रिश्तो में अपनापन “….पूर्वानुमानित धारणा ना बनाएं… – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

देखो कुहू ….इस बार भी तुमने मना किया ना तो फिर तुम ही ढूंढ लेना अपने लिए लड़का…….

झल्लाते हुए मीना ने बिटिया कुहू को शादी के रिश्ते के लिए हांमी भरने की चेतावनी दी……! 

हाँ मम्मी बिल्कुल…यदि लड़का मेरे लायक होगा और मुझे पसंद आयेगा तो जरूर रिश्ता पक्की हो जायेगी….हँसते हुए कुहू ने मम्मी का टेंशन दूर करने की कोशिश की…..!!

 मीना हमेशा चिंतित रहती …क्या बात है…कैसा लड़का चाहिए कुहू को….क्या चाहती है कुहू….जब भी किसी लड़के से बात करती है….. कभी किसी की इंग्लिश अच्छी नहीं होती….तो कभी किसी को बात करने का ढंग नहीं आता….कोई कद में छोटा…..किसी में कोई कमी तो किसी में कोई कमी…I 

      मीना हमेशा सोचती आखिर कुहू को चाहिए क्या….?    कैसा जीवन साथी चाहिए कुहू को…..?? इसी उधेडबुन में लगी रहती थी मीना……!!

किस्मत से इतने रिश्ते लड़कों की तरफ से आ रहे हैं और ये बेवकूफ लड़की न जाने क्यों… कुछ कमी कुछ असमानताएं बता कर मना किए जा रही है…!

 कुहू भलीभाँति समझ रही थी कि मम्मी – पापा मेरी शादी को लेकर परेशान हैं ….मम्मी पापा की नजरों में कोई कितना भी पढ़ ले….नौकरी कर ले …पर जब तक शादी ना हो….जीवन अधूरा सा होता है I कई बार कुहू ने समझाने की कोशिश की है मीना को…..

     मम्मी …ज़माना बदल गया है…” जिंदगी में शादी बहुत कुछ है पर सब कुछ नहीं “….!! आप चिंता ना करें….और ऐसा नहीं है कि मैं शादी नहीं करना चाहती हूं….मैं भी शादी करना चाहती हूं मम्मी…..

      मुझे ऐसा लड़का चाहिए जो मुझे समझ सके , मेरी भावनाओं की कदर कर सके….मुझे पैसा , सुंदरता कुछ नहीं सिर्फ प्यार करने वाला पति चाहिए मम्मी…I 

बेटी कुहू की बातों से कुछ पल के लिए संतुष्टि मिल जाती थी मीना को…..I कुछ समय बाद फिर वही मन में उथलपुथल मच जाती थी….I

मां की व्याकुलता देखते हुए एक दिन कुहू ने अपने मन की बात मां से बतानी चाही….

 मम्मी एक लड़का है दिव्य…..उससे मेरी बातें होती हैं….मुझे लगता है …जैसा मैं पति के रूप मे लड़का चाहती हूँ वो सभी गुण उसमें है….! एक बार आप लोग भी देख लीजिए….उनके परिवार से बात कर लीजिये मम्मी….कुहू ने बड़े आराम से अपनी पसंद के बारे में मीना को बताया….! 

      पर बेटा तूने जैसा बताया उसके अनुसार तो हमारे और उनके रहन-सहन, रीति-रिवाज काफी अलग हैं….तु कैसे एडजस्ट कर पायेगी…I 

हम मध्यम वर्गीय परिवार से , ताल्लुकात रखते हैं और वो  हाई सोसाइटी वाले लोग…

अरे मम्मी हो जायेगा ना….! मीना समझ चुकी थी दिव्य कुहू को पसंद है…बड़े मुश्किल से तो कोई लड़का पसंद आया … मीना ने स्वीकृति में सिर हिला दिया….I

 मन में अनेक आशंकाओं के बीच मीना और उसके पति आकाश स्वयं दिव्य के घर जाकर उनके माता-पिता से मिलकर शादी पक्की कर दी….और दो महीने के बाद शादी भी हो गई…I

 शादी के बाद धीरे धीरे कुहू …दिव्य और अपने परिवार को और ज्यादा समझने लगी….जितना कुहू ने सोचा नहीं था उससे कहीं ज्यादा प्यार करने वाले सास ससुर को पाकर कुहू बहुत खुश थी…दिव्य भी कुहू को प्यार के साथ साथ पत्नी का पूरा सम्मान देता था….I

 सास ससुर की प्यारी बहु कुहू भी फोन पर अपनी मम्मी से हमेशा बात करती थी ……विशेषकर अपने सास ससुर जी का……!! जब भी कोई सलाह मशविरा लेना होता झटपट अपने ससुर जी को फोन लगा कर….डैडी जी ऐसा है….वैसा है…..अपनी सारी समस्याओं का हल निकलवा ही लेती थी कुहू….!! 

   कभी-कभी दिव्य मज़ाक भी करता तुम्हारे आने के बाद तो  इस घर में…मैं ही पराया हो गया….और कुहू मुस्करा देती……!!!

 मीना जब भी अपने समधी और समधन जी से बातें करती उसे हमेशा कुछ ना कुछ सीखने को ही मिलता….I

     मीना बातों बातों में बताती भी थी  समधन जी से….कुहू को ये नहीं आता…वो नहीं आता ….तो समधन जी हमेशा मीना की बात काटकर बोलती …अरे नहीं वो घर बाहर ( नौकरी) का संतुलन बहुत अच्छे ढंग से कर रहीं हैं ….शानदार तरीके से अपना घर चला रहीं हैं…समधन जी के मुहँ से बिटिया की तारीफ सुनकर मीना फूले ना समाती ..I 

     मेट्रोसिटी में घर और ऑफिस की दूरी….और सबसे बड़ा कारण समय ….के चलते कुछ समय के लिए कूहू और दिव्य ऑफिस के नजदीक ही एक किराए का मकान ले लिए और  कुछ दिनों के लिए सास ससुर से अलग रहने लगे….सारी व्यवस्था सास , ससुर जी ने ही मिलकर की थी…!

एक दिन मम्मी पापा से मिलने दिव्य अकेले ही उनके घर चले गए …..दिव्य को अकेला देखकर ससुर जी ने तुरंत पूछा ….बहू कहां है …?

      दिव्य ने ना आने का कारण बताया… तब ससुर जी ने कहा…. चलो पहली बार है इसलिए तुम्हें अंदर आने दे रहा हूं …?वरना बहू के बिना मेरे घर में तुम्हारी भी एंट्री नहीं होगी….. इतना प्यार करते हैं सास ससुर …बहू  कुहू को ….

      कुहू  के किस्मत को किसी की नजर ना लगे…..मीना हमेशा भगवान से यही प्रार्थना करती थी….I

 सच मे बिटिया हमेशा अपने पापा की प्रिय होती है… बचपन से कुहू माँ की अपेक्षा अपने पापा से ज्यादा जुड़ी हुई थी….जैसे जैसे बड़ी होती गई…कभी माँ….कभी बहन…कभी बेटी बन कर हमेशा मायके का भला चाहने वाली कुहू ससुराल में भी सब की प्रिय बन गई….!!

 फोन पर मीना ढेर सारी बातें कुहू से करती थी ….कुहू जितना दिव्य की बातें बताती उससे कहीं ज्यादा अपने सास ससुर की तारीफ किया करती थी… एक बार तो कुहू ने यहाँ तक कह दिया….

        मम्मी मैं पैरेंट्स के मामले में बहुत किस्मत वाली हूँ….बचपन में जैसे पापा मेरी परेशानियों को झटपट दूर कर देते थे….वैसे ही अब मेरे डैडी (ससुर) भी मेरा उतना ही ख्याल रखते हैं….मैं हमेशा उनकी छाँव में अपने को सुरक्षित महसूस करती हूं……I

 सच मे साथियों ….कभी-कभी हम रिश्तों को नाम से ही …..इतना बदनाम कर देते हैं ……उनके बारे में अच्छी सोच की कल्पना भी नहीं कर पाते….! 

 बहुओं के प्रति अभिभावक दोहरे व्यवहार का ही उपयोग करें…हमेशा ये सच नहीं होता…I किसी भी ” रिश्ते की मर्यादा ” होती है … और हमेशा  पहले से ही नकारात्मक धारणा नहीं बनानी चाहिये….!! 

समय बदल गया है….बेटियाँ पढ़ लिख कर शिक्षित व आत्मनिर्भर हो गई हैं और वो व्यवहार कुशलता को भलीभाँति समझती हैं……

     वहीँ दूसरी ओर पढ़े लिखे , सभ्य , शिक्षित सास ससुर भी वातानुकूलित अपेक्षा ही रखते हैं …और वो भी समझते ही समय के अनुसार परिवर्तन आवश्यक है….I दोनों पक्षों के समझदारी से टकराव की स्थिति नगण्य हो जाती है….हम नाहक ही परेशान होते हैं…..!!!

 कुहू के सास ससुर के व्यवहारिक कुशलता के कारण मीना और आकाश हमेशा उन्हें इज्जत भरी नजरों से देखते तो है ही….अपनी जिंदगी भी शांति पूर्वक निर्वाह कर पा रहे है….!!

(स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित और अप्रकाशित रचना )

साप्ताहिक विषय: # रिश्तो की मर्यादा

 ✍🏻 संध्या त्रिपाठी 

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