रिशभ और सिमी की शादी को 10 साल हो चुके थे। दोनों अपने-अपने काम में इतने व्यस्त रहते थे कि अब वो पुराने दिनों की मस्ती, रोमांस और बातचीत कहीं गायब हो गई थी। रिश्ते बस एक रूटीन बनकर रह गए थे। सुबह ऑफिस की भागदौड़, शाम को थकान और वीकेंड्स पर भी बस थोड़ा आराम। उनके रिश्ते में धीरे-धीरे एक अजीब सी खामोशी आ गई थी।
सिमी को यह बात धीरे-धीरे खटकने लगी थी। वह सोचती, “पहले तो कितना मज़ा आता था! डिनर डेट्स, लॉन्ग ड्राइव्स, और अब… अब तो हम जैसे दो रोबोट बन गए हैं।” उसने कई बार कोशिश की कि रिशभ से इस बारे में बात करे, लेकिन वह हमेशा किसी न किसी बहाने से टाल देता।
एक दिन सिमी ने सोच लिया, अब तो कुछ करना ही पड़ेगा। लेकिन सीधा बात करने से तो कुछ नहीं होगा। उसे कुछ मजेदार प्लान बनाना होगा ताकि रिशभ को एहसास हो कि उनके रिश्ते को रीचार्ज करने का वक्त आ गया है।
संडे की सुबह सिमी ने प्लान तैयार किया। उसने पूरे दिन के लिए रिशभ के मोबाइल, लैपटॉप, और टैबलेट की चार्जिंग हटाकर छुपा दी। वह जानती थी कि रिशभ अपनी गैजेट्स के बिना एक मिनट भी नहीं रह सकता।
रिशभ की रविवार की सुबह की शुरुआत हमेशा मोबाइल स्क्रॉल करने से होती थी, लेकिन आज उसकी बैटरी लो थी। उसने चार्जर ढूंढने की कोशिश की, पर कहीं नहीं मिला। उसने सिमी से पूछा, “अरे यार, मेरा चार्जर देखा क्या?”
सिमी ने मुस्कुराते हुए कहा, “नहीं, मैंने नहीं देखा।
रिशभ ने थोड़ा झुंझलाते हुए कहा, “अरे, यार! आज का पूरा दिन बेकार हो गया।”
सिमी ने बड़ी मासूमियत से कहा, “कोई बात नहीं, चलो, आज हम कुछ नया करते हैं।”
रिशभ ने हैरान होकर पूछा, “क्या नया?”
सिमी ने शरारत भरी मुस्कान के साथ कहा, “तुम्हें रीचार्ज करते हैं।”
रिशभ को कुछ समझ नहीं आया, लेकिन उसने सोचा कि चलो, सिमी की बात मान लेते हैं। वैसे भी चार्जर न मिलने से उसका कोई और ऑप्शन भी नहीं था।
सिमी ने उसे पहले किचन में बुलाया। उसने कहा, “आज हम साथ में ब्रेकफास्ट बनाएंगे।”
रिशभ ने हैरानी से कहा, “साथ में? लेकिन मैं क्या करूंगा?”
“तुम टोस्ट बनाओ, और मैं अंडे फ्राई करती हूं,” सिमी ने जवाब दिया।
रिशभ पहले तो थोड़ा अजीब महसूस कर रहा था, लेकिन फिर उसने टोस्ट बनाना शुरू किया। दोनों ने साथ में काम किया और इस छोटे से काम में भी खूब मस्ती की। हंसी-मजाक के बीच, रिशभ ने महसूस किया कि ये पल भी कितने खास हो सकते हैं।
ब्रेकफास्ट के बाद सिमी ने दूसरा सरप्राइज प्लान तैयार किया—पुरानी तस्वीरें देखना। उसने रिशभ के साथ पुरानी एलबम निकाली और दोनों ने अपनी पुरानी यादों को फिर से जीना शुरू किया। शादी के दिन, हनीमून, दोस्तों के साथ बिताए पलों की तस्वीरें देखकर रिशभ की आंखों में वो पुराना प्यार और जोश फिर से लौट आया।
रिशभ हंसते हुए बोला, “यार, वो दिन भी क्या दिन थे! अब हम कितना बदल गए हैं।”
सिमी ने गंभीर होकर कहा, “बदलना ठीक है, रिशभ, लेकिन हम अपने रिश्ते को पीछे नहीं छोड़ सकते। हमें इसे भी समय देना होगा, जैसे पहले देते थे।”
रिशभ ने सिमी की बात पर ध्यान दिया और उसे महसूस हुआ कि वह सही कह रही है।
सिमी ने फिर एक नया आईडिया निकाला, “चलो, आज हम पूरा दिन एक-दूसरे के साथ बिताते हैं, बिना किसी फोन, बिना किसी गैजेट के। बस हम और हमारी बातें।”
रिशभ ने थोड़ी सी नाटकीयता के साथ कहा, “हाय! बिना फोन के एक दिन? ये तो बहुत बड़ी सजा है!”
सिमी ने हंसते हुए कहा, “हां, सजा ही समझ लो, पर ये हमारे रिश्ते को रीचार्ज करने के लिए जरूरी है।”
दिनभर दोनों ने साथ में समय बिताया। कभी चाय बनाते हुए मस्ती की, कभी घर की छत पर बैठकर पुरानी बातें कीं। यहाॅं तक कि दोपहर को दोनों ने एक पुराने बोर्ड गेम को बाहर निकाला, जिसे वे सालों से नहीं खेले थे। खेलते-खेलते, हॅंसते-हॅंसते वक्त कैसे गुजर गया, पता ही नहीं चला।
शाम होते-होते रिशभ को एहसास हो गया कि उसके जीवन में जो खुशी गायब हो रही थी, वो सिमी के साथ बिताए इन छोटे-छोटे पलों में ही छुपी हुई थी।
रात में जब दोनों एक साथ बैठकर डिनर कर रहे थे, रिशभ ने सिमी से कहा, “तुम्हारा ये रीचार्ज प्लान शानदार था। मैंने समझा ही नहीं था कि हम अपने रिश्ते को कितना नज़रअंदाज़ कर रहे थे। अब से मैं हर संडे तुम्हारे साथ बिताऊंगा, बिना किसी काम और बिना किसी फोन के।”
सिमी ने मुस्कुराते हुए कहा, “बस यही तो चाहती थी, कि हम थोड़ा अपने रिश्ते को भी रीचार्ज करें।”
और इस तरह, सिमी का छोटा सा प्लान उनके रिश्ते में फिर से वही ताजगी और प्यार ले आया। अब हर संडे उनके लिए एक रीचार्ज डे बन गया था, जहां वे बिना किसी बाहरी शोर के सिर्फ एक-दूसरे के साथ होते थे।
धन्यवाद
लेखिका- श्वेता अग्रवाल,
धनबाद झारखंड
कैटिगरी -लेखक /लेखिका बोनस प्रोग्राम (सितंबर माह-द्वितीय कहानी)