घर में घुसते ही अवनी ने जो नजारा देखा वो प्रीति पर। चिल्ला पड़ी, प्रीति अतुल के माथे पर बर्फ की।पट्टी रख रही थी। प्रीति पोली दीदी जीजा जी तब ऑफिस से आए थे
तो उन्हें बहुत तेज बुखार हो रहा था देखो ना मुझे आधा घंटा हो गया है बर्फ की पट्टी रखते हुए शायद बुखार उतर गया होगा लेकिन अवनी का चेहरा गुस्से से टमटम आया हुआ था आज उसके सब्र का बांध टूट ही गया था
प्रीति तुम्हें शर्म नहीं आती, अरे रिश्तों की मर्यादा का कुछ तो ख्याल करो।प्रीति ने चौंककर मुड़कर देखा तो सामने अपनी बड़ी बहन को देखकर बोली क्या हुआ दीदी आप इस तरह क्यों कह रही हैं मैंने क्या किया है? अतुल को भी अवनी का इस तरह से प्रीति को डांटना बहुत बुरा लगा उसने कह दिया
क्या हुआ तुम इस तरह प्रीति पर गुस्सा क्यों कर रही हो क्या किया है प्रीति ने, तुम तो रहने ही दो अतुल मैं खूब जानती हूं यहां क्या चल रहा है? तुम्हें तो किसी रिश्ते का कोई ख्याल ही नहीं है। प्रीति मेरी छोटी बहन है और हमारी बेटी के जैसी है वह तो छोटी है लेकिन आप तो समझदार हो।
अपनी पत्नी का कहा हुआ एक-एक शब्द अतुल का कलेजा छानी कर गया वह कुछ बोल नहीं पा रहा था क्योंकि एक तो उसे बहुत तेज बुखार ही हो रहा था?
दूसरा उसे अवनी की गंदी सोच पर भी शर्म आ रही थी। वह खुद को अपनी नजरों में बहुत गिरा हुआ महसूस कर रहा था। प्रीति को भी बहुत गहरा आघात लगा था इसलिए वह बिना कुछ कहे दूसरे कमरे में रोती हुई चली गई।
प्रीति और अवनी दोनों सगी बहनें हैं। दोनों ही बहने आपस में बहुत प्यार करती हैं। प्रीति के जन्म के समय अवनी 12 बरस की थी, मां बनकर ही देखभाल की थी उसने अपनी छोटी बहन की क्योंकि जब वह 4 साल की हुई तो उसकी मां भी दिल के दौरे से चल बसी
अपनी मां के बहुत समझाने पर भी प्रीति के पापा ने दूसरी शादी नहीं की क्योंकि उन्हें डर था कि कोई आने वाली मेरे बच्चों को मां जैसा प्यार देगी भी या नहीं?
अवनी के पिता व्यापारी थे पैसे की कोई कमी नहीं थी। लेकिन परिवार में दोनों बहने और पिता और उनकी दादी के सिवा कोई नहीं था।
कुछ बरस बाद दादी की भी मृत्यु हो गई। मां के न रहने से अपनी उम्र से पहले ही बहुत समझदार हो गई थी। अवनी प्रीति तो अपनी बड़ी बहन के बिना एक पल भी नहीं रहती थी।
अवनी नई दिल्ली से ही एमबीए किया था और वही एक कंपनी में उसकी जाब भी लग गई थी,उसी कंपनी में अतुल से उसकी मुलाकात हुई थी। पहली ही नजर में अवनी अतुल को बहुत पसंद आई थी। अतुल का परिवार सहारनपुर में रहता था अतुल नौकरी की वजह से दिल्ली में फ्लैट लेकर रहता था।
जल्दी ही दोनों की शादी हो गई। अवनी की शादी के समय प्रीति 10th में पढ़ रही थी। एक ही शहर में रहने के कारण प्रीति अपनी बहन के घर खूब आया जाया करती थी। अतुल भी प्रीति को अपने बच्चों के समान ही मानता था। अवनी भी एक बेटी की मां बन गई थी। जो अब देहरादून से B.Tech।
की पढ़ाई कर रही थी। प्रीति बैंक में नौकरी करती थी। सब कुछ ठीक ही चल रहा था लेकिन अभी 6 महीने पहले ही कैंसर के कारण अवनी के पिता की मौत हो गई। उन्होंने अपना सब कुछ अपनी दोनों बेटियों के नाम कर दिया था और
अवनी से एक वादा लिया था कि अपनी छोटी बहन का ख्याल रखेगी उसे मां-बाप की कमी महसूस नहीं होने देगी।, अवनी सच में प्रीति का बहुत ध्यान रखती थी दोनों बहनों में आपस में अच्छी बनती थी। अतुल को भी इससे क्या आपत्ति हो सकती थी?
अवनी कंपनी में नौकरी करती थी इसीलिए वह थोड़ा देर से आती थी और प्रीति की बैंक से छुट्टी जल्दी हो जाती थी इसीलिए पहले आ जाती थी। अतुल ने अपनी कंपनी बदल ली थी जिसमें दो दिन के लिए ही ऑफिस जाना होता था
बाकी दिनों में वर्क फ्रॉम होम ही रहता था , एक दिन बातों ही बातों में उसके साथ काम करने वाली उसकी सहकर्मी वंदना ने बोल ही दिया अरे दाग देनी पड़ेगी तुम्हारे विश्वास की अपनी बहन को अपने पति के पास अकेली छोड़कर आ जाती हो?
मैं तो ऐसा बिल्कुल नहीं कर सकती ,आजकल अखबार में कितने किस्से आ रहे हैं किसी भी रिश्ते में मर्यादा कहां बची है और फिर जीजा साली का रिश्ता तो पहले से ही बदनाम है। उस दिन तो उसने बंदना को चुप कर दिया मुझे अपने पति और अपनी बहन पर पूरा भरोसा है हर कोई एक जैसा नहीं होता।
लेकिन न जाने क्यों अब उसके मन में शक घर करने लगा था और शक एक बार पैदा होते ही हम चीजों को जैसा देखना चाहते हैं हमें वैसी ही नजर आती हैं? वह चिड़चिड़ी रहने लगी थी अपनी बहन को बात बात पर डांटती रहती थी और अपने पति से भी सीधे मुंह बात नहीं करती थी। अतुल ने और प्रीति ने ऐसा सोचा ही नहीं था
कि वह उन दोनों के बारे में इस तरह के विचार भी रख सकती है इसीलिए घर का माहौल बहुत खराब हो गया था। उसे दिन सब बिना खाए ही सो गए। अगले दिन 9:00 तक भी जब प्रीति अपने कमरे से उठकर ना आई तो अवनी ने उसके कमरे में जाकर देखा तो वहां प्रीति नहीं थी, लेकिन अपने बेड पर एक चिट्ठी छोड़कर गई थी। अवनी घबरा गई उसने चिट्ठी उठाकर पढ़नी शुरू करी
तो उसके पैरों तले जमीन खिसक गई। मेरी प्यारी दीदी, मुझे अपनी मां की शक्ल भी अच्छे से याद नहीं है मैंने अपने जीवन में आपको मां जैसा प्यार ही किया है आप दोनों के सिवा मेरा है ही कौन बचपन से आपने मुझे मां बनकर ही पाला है?
जीजा जी में भी मैंने अपने पापा की छवि देखी है,वो देवता इंसान है और आपसे बहुत प्यार करते हैं। मैं नहीं चाहती कि मेरी वजह से आप दोनों के प्यार में कोई कमी आए इसीलिए मैं यहां से हमेशा के लिए जा रही हूं मुझे ढूंढने की कोशिश मत करना। आपकी प्रीति।
अतुल भी अपनी पत्नी को डांटना शुरू हो गया कि तुमने अच्छे खासे घर का नाश कर दिया हर जगह फोन किया गया। काफी देर हो चुकी थी।वे दोनों पुलिस स्टेशन जाने के लिए तैयार भी हो गए।।अभी यह बातें चल ही रही थी
कि उनके पास प्रीति की दोस्त सारिका का फोन आया, प्रीति का एक्सीडेंट हो गया था और अब वह आईसीयू में थी। अतुल और अवनी बदहवासी हालत में अस्पताल पहुंचे तो सारिका नाम बताया, रात को वह मेरे ही घर आई थी और बहुत परेशान थी ,
सारी बात जानकर मैंने उसे बहुत समझाया लेकिन वह पूरी रात रोती रही और सुबह इसी तनाव में पैदल ही बैंक भी चली गई और किसी टैक्सी के सामने आ गई और यह हादसा हो गया। वह तो तुरंत ही किसी सज्जन ने पास ही अस्पताल में पहुंचा दिया और मुझे फोन कर दिया।
क्योंकि आखिरी नंबर मेरा ही उसके मोबाइल में था?
अवनी का रो-रो कर बुरा हाल था अतुल भी बहुत परेशान था उसने अपनी पत्नी से कहा क्या तुम्हें मुझ पर बिल्कुल भरोसा नहीं था तुमने ऐसा सोच भी कैसे लिया अरे मैंने प्रीति को हमेशा अपने बच्चों की तरह माना है।
अभी तो अपने पति के गले लगा कर बुरी तरह राई जा रही थी उसे अपनी बहन की बहुत चिंता हो रही थी तभी डॉक्टर ने उसके होश में आने की खबर दी तो तुरंत उससे मिलने दौड़ पड़े। सर मैं काफी चोट आई थी फिर भी ईश्वर का शुक्र था कि उसकी जान बच गई।
अवनी ने अपनी बहन और पति से माफी मांगी। और दो-चार दिन में प्रीति को अस्पताल से छुट्टी भी मिल गई। वक्त रहते सब ठीक भी हो गया।
दोस्तों की सच है कि हर रिश्ते की अपनी अलग-अलग मर्यादा होती है। मगर सभी इंसान एक जैसे नहीं होते। समाज की बढ़ती दुर्घटनाओं से अब मन भी घबराने लगा है।
अंधविश्वास तो नहीं लेकिन रिश्तों में फिर भी थोड़ा सा विश्वास तो करना ही पड़ता है।
पूजा शर्मा स्व रचित।