रिश्तों की मर्यादा – खुशी : Moral Stories in Hindi

रति एक खुशमिजाज लड़की थी उसे सबसे बाते करना ।मजाक छेड़छाड़ उसे बहुत पसंद थी।पर वो अपनी सीमा जानती थी।घर भर की रौनक थी वो।घर में बड़े भाई राजेश और उनकी पत्नी सुनीता थी।माता कमला और पिताजी रतन सिंह थे।राजेश और सुनीता दोनों बैंक में थे।रतनसिंह बिजली विभाग से रिटायर थे।राजेश और सुनीता के दो बच्चे थे किरण और मानस ।रति ग्रेजुएशन पूरा कर चुकी थी और फैशन डिजाइनिंग का कोर्स कर रही थी।

राजेश और सुनीता सुबह चले जाते।रतनसिंह बच्चों को स्कूल बस तक छोड़ना लाना बाजार के काम सब करते।कमला जी सुबह खाने का काम देख लेती क्योंकि बच्चों ने स्कूल जाना होता।सुनीता और रति ,राजेश को भी जाना होता था।इसलिए वो सुनीता के उठने से पहले सब्जी बना कर आटा गूंथ कर रख देती।

सबके फ्रूट्स और सलाद box भी रेडी कर  ।चाय चढ़ाती तब तक सुनीता आ जाती।फिर दोनो चाय पी कर ।सुनीता नाश्ता बनाती और कमला रोटी।सब का लंच पैक कर रति और कमला नाश्ता लगाते और सुनीता बच्चो को रेडी करती।इस तरह से हर कोई जिम्मेदारी से अपने काम करता।रति की शरारतों के कारण उसके भतीजा भतीजी उससे ही चिपके रहते।

सुनीता कहती मां ये अपने घर की रौनक है ससुराल चली जाएगी तो हम कैसे रहेंगे। इसी बीच रति के लिए गौरव का रिश्ता आया।गौरव एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करता था।उसके घर में उसके पिता रघुराम मां सुष्मिता बड़ा भाई विनय उसकी पत्नी नंदिनी उनकी एक बेटी निया ।शादी शुदा नंनद प्रीति और उसके पति आदर्श जी थे।गौरव एक होनहार और अच्छे स्वभाव का लड़का था। रघुराम जी भी जाने माने व्यक्ति थे।

उनकी बहुत बड़ी बर्तनों की दुकान।थी।जो वो और विनय मिल कर चल।ते थे। सबको रति पसंद आई पर कमला जी को सुष्मिता जी की बातों से लगा कि उनका झुकाव बेटी और दामाद पर ज्यादा है। कमला ने ये बात रतनसिंह से भी कही ।रतन सिंह ने कहा कोई नहीं जब घर में दो बहुएं आ जाएगी तो थोड़ा कम हो जाएगा उनका झुकाव।

सभी बाते तय हुई और शादी की तारीख पक्की हो गई।उस समय भी सुष्मिता जी ने बार बार जोर देकर कहा कि हमारे दामाद और बेटी का मानपान अच्छा करना उन्हें सोने के जेवर और ब्रांडेड कपड़े ही देना । कमला को फिर खटका लगा पर सबने कहा एक ही दामाद है ना इसलिए।रति शादी हो कर घर आई सारी रस्मे हुई उसका बैग खुला तो सबसे पहले ननद रानी आ गई

और उसकी फेवरेट साड़ी और भैया ने उसे जो डायमंड नेकलेस दिया वो भी ले लिया।रति को बुरा लगा उसकी सास बोली बहु ये तो ननद का नेग है।रति बोली दीदी रुकिए आप के लिए ये भी है।शादी में इतना देने के बाद भी सुनीता ने एक अंगूठी और ब्रांडेड सूट प्रीति के लिए दिया था।रति बोली दीदी ये भाभी ने आपके लिए दिया है

और मां ये आपके लिए साड़ी और ये नेकलेस। सुष्मिता बोली तुम्हारी तो मै सास हूँ।मां तो मै बस अपने तीनों बच्चों और दामाद जी की हूं तो तुम भी मुझे सासू मां ही कहना और वो वहां से चली गई। नंदिनी रति के लिए चाय नाश्ता ले कर आई।रति का मूड अपसेट देख वो समझ रही थीं।कुछ हुआ है।नंदिनी बोली रति आदत डाल लो यहां ऐसा ही होता है

और एक खास बात आदर्श जी के सामने अकेले मत जाना या वो कही भी दिखाई दे तो रास्ता बदल लेना।तभी सुष्मिता के बुलाने पर नंदिनी नीचे गई।रति और गौरव हनीमून से वापस आए और गौरव ने ऑफिस जाना शुरू कर दिया।रति बोली क्या मै भी अपना बुटीक शुरू कर लू। सुष्मिता ने साफ मना कर दिया हमारी बहुएं घर में रहती हैं सड़को पर नहीं निकलती।

रति को बुरा लगा पर वो कुछ बोली नहीं।वो हंसती बच्चो के साथ मजाक करती तो भी सुष्मिता उसे टोकती की हमारे यहां इतना मुंह फाड़ कर नहीं हंसती।गौरव रति का बहुत ख्याल रखता और वो अपनी मां को कई बार कहता भी मम्मी जो काम भाभी और रति के लिए गलत हैं वो दीदी जीजाजी के लिए सही हैं।

सुष्मिता जी उसे ही उल्टा सीधा बोलती की बीवी आने के बाद ज्यादा जुबान खुल गई है।दिन गुजर रहे थे जब नंनद ननदोई आते तो सुष्मिता बिछी जाती और बहुओं को नौकरानी समझती जिन्हें ना हंसने का अधिकार था ना कुछ जब भी आदर्श आता तो नंदिनी कोशिश करती की वो खुद भी सामने कम जाए और रति भी पर मजबूरी में जाना पड़ता आदर्श की नजर इतनी गंदी थी कि बस एक बार आदर्श और प्रीति दो दिन उनके घर रहने आए ।

विनय,गौरव और रघुराम काम पर चले गए।बच्चे स्कूल और मां बेटी बाजार घूमने।घर में आदर्श ,रति और नंदिनी थे।आदर्श हॉल में आया इतने छोटे शॉर्ट्स पहने थे कि बस नंदिनी नाश्ता बनाने लगी और वो रति से बाते करने लगा उससे इतने अश्लील सवाल कर रहा था।गौरव तुम्हे खुश रख पाता है अगर चाहो तो मै तुम्हारी जरूरत पूरी कर दूं।

रति बोली तुम्हे तमीज नहीं है क्या फालतू बात कर रहे हो। आदर्श मुंह बंद कर अंदर चला गया और जैसे ही सुष्मिता और प्रीति घर आई वह चिल्लाने लगा चलो यहां से मेरी कोई इज्जत नहीं  ये आज की लड़की मेरी बेइज्जती कर रही है। सुष्मिता ने पूछा तो झूठ सच बोलने लगा।रति बोली आपको झूठ बोलते शर्म नहीं आती हर रिश्ते की मर्यादा होती हैं हम आपको सम्मान देते है

और आप हमारी इज्जत से खिलवाड़ करना चाहते है।रति कमरे में आ गई बाहर सुष्मिता और प्रीति बड़बड़ाती रही और नंदिनी से आदर्श की खातिर करवाती रही।गौरव को घर आते ही रति ने सब बताया और बोली मै यहां नहीं रहूंगी। गौरव और विनय के समझाने पर रति रुकी पर अब वो संभल गई थी और उधर आदर्श भी अपना अपमान नहीं भूला था।

गौरव को ऑफिस के काम से बंगलोर जाना पड़ा।इसी मौके का फायदा उठा आदर्श फिर घर आ गया था बस इस बार उसे ये नहीं पता था कि भाइयों ने घर में खुफिया सीसीटीवी कैमरे लगवा दिए हैं। उस कैमरे में आदर्श का नौकरानी के साथ बदतमीजी करना नंदिनी को छेड़ना और रात को जबरदस्ती रति के कमरे में घुसने की कोशिश करना सब रिकॉर्ड हो गया।गौरव घर आया

उसने सारी क्लिपिंग्स अपने पापा को और विनय को दिखाई और बोला अब हम यहां नहीं रहेंगे जहां हमारी बीवियां सुरक्षित नहीं है। रघुराम ने कहा ये मेरे बच्चों का घर है वो यही रहेंगे।अगले दिन सुबह रघुराम ने सारी क्लिप्स सुष्मिता ,प्रीति को दिखाई और प्रीति से कहा तुम अपने पति को अपने ढंग से समझाऊंगी या मै पुलिस में बात करूं। सुष्मिता बोली अरे वो हमारा दामाद है

प्रीति बोली बस मां आदर्श रिश्तों की मर्यादा भूल गया। इस घर ने उसे इतना प्यार दिया और वो इसी घर की इज्जत से खेलना चाहता था।प्रीति ने आदर्श को फोन कर बुलाया और सब दिखाया और बोली अगर अपनी खैर चाहता है ना तो दुबारा इस घर की तरफ मत देखना तुझे तलाक़ के कागज मिल जाएंगे तेरे जैसे चरित्र हीन के साथ मैं नहीं रहूंगी।

आदर्श को धक्का दे विनय और गौरव ने घर से निकाल दिया।प्रीति रो रो कर अपने भाई भाभी से माफी मांग रही थी और आज सुष्मिता जी भी चुप थी क्योंकि उन्हें पता था कि वो गलत कर रही थी और वो पछता रही थीं। रघुराम बोले बेटा ये घर तुम्हारा है और मुझे माफ कर दो मेरी वजह से तुमने ये परेशानी भुगती अब तुम आजादी से सुरक्षित तरीके से अपने घर में रह सकती हो।

आज गौरव और रति की सूझबूझ से आदर्श जैसे राक्षस से उनका पीछा छूट गया था।

स्वरचित कहानी 

आपकी सखी 

खुशी

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