संजना और आनंद का इकलौता बेटा पियूष है…… जो इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करके…… एक मल्टीनेशनल कंपनी में कार्यरत है ।
जैसा कि हम जानते हैं …… बच्चा नौकरी करने लगता है …… तो रिश्तों की लाइन लग जाती है……. वैसे ही संजना और आनंद से भी लोग पूछते हैं …….. कि आपको किस तरह की बहू चाहिए ,बेटे के लिए रिश्ते देख रहे हैं , हम भी अपना अप्लीकेशन भेज देते हैं ।
संजना ने भी आनंद से कहा- “ जब रिश्ते आ रहे हैं तो देख लेते हैं ….. बाद में अच्छी लड़की नहीं मिलती है । “
पियूष शादी के नाम पर चिड़ जाता है ….. इसलिए उसके सामने …. रिश्ते की बात करने में भी डर लगता था ।
संजना ने सोचा , आज तो… उससे बात करके ही रहूँगी ….. नौकरी करते हुए तीन साल हो गए हैं… यह भी पूछ लेती हूँ कि उसके दिल में कोई है क्या ?
हमसे बताने में हिचकिचा रहा हो… आश्चर्य की बात यह थी कि …. आज जब डायनिंग टेबल पर रिश्तों की बात छेड़ी तो…. पियूष ने कुछ नहीं कहा!
पियूष दूसरे दिन माँ के पास आकर बैठ गया । उसे इस तरह से बैठा हुआ देख …… वह समझ गई कि ….. इसे कुछ जरूरी बात करनी है …. बचपन से उसकी यही आदत है… धीरे से माँ का हाथ थामे कहने लगा….. माँ, मेरे ही ऑफिस में, मेरे साथ नौकरी करती है …….
सुनयना नाम है उसका!! तीन साल से हम एक दूसरे को….. जानते हैं अब जब आप शादी की बात कर ही रहीं हैं ….. तो बता दे रहा हूँ…. हम दोनों ने भी…… शादी करने का फ़ैसला किया है…. उसने बताया है कि….. उसके पिताजी … पापा से बात करेंगे ।
संजना खुश हो गई चलो ! उसकी पसंद की लड़की होगी तो …… उसकी ज़िंदगी सँवर जाएगी ।
सुनयना के पिता ने आनंद से फोन पर बात करके ….. अपने परिवार के बारे में बता दिया ।
उनका नाम श्याम सुन्दर है…. वे एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करते थे , अब रिटायर हो चुके हैं … पत्नी उमा हाउस वाइफ़ है…. सुनयना उनकी इकलौती बेटी है।
उनका खुद का कोई घर भी नहीं है…. सुनयना को इंजीनियरिंग की पढ़ाई करवानी थी । मैंने सोचा है कि पहले उसकी शादी करा दूँगा उसके बाद …… खुद के घर के बारे में सोचूँगा …. अभी तो किराए के मकान में रह रहे हैं । उन्होंने सब कुछ अपने बारे में खुली किताब के समान …… आनंद के सामने रख दिया ।
आनंद और संजना को इस रिश्ते से कोई एतराज़ नहीं था …. दोनों परिवार एक-दूसरे से मिले …. शादी की तारीख़ तय करने की तैयारी कर रहे थे …… सुनयना ने कहा , मुझे आप लोगों से कुछ कहना है….. ।
सब उसकी तरफ देखने लगे…… उसने कहा, शादी के बाद ….. मेरे माता-पिता हमारे साथ रहेंगे ।
संजना को यह सुनकर खुशी हुई कि लड़की है ….. परंतु माता-पिता को छोड़ नहीं रही है….. उनके बारे में इतना सोच रही है । इसका मतलब है ….. सुनयना को रिश्तों की अहमियत पता है ।
सब राजी खुशी …. इनकी शादी के लिए तैयार हो गए …..इसलिए उन दोनों की शादी धूमधाम से हो गई ।
पियूष और सुनयना ने मिलकर …. अपने ऑफिस के पास ही…. तीन कमरों का घर ख़रीद लिया…… ताकि दोनों के माता-पिता , यहाँ आकर रह सकें ।
सुनयना के माता-पिता …… दोनों ने मिलकर सुनयना को पाल पोसकर अच्छे संस्कार दिए…… ।
जैसे ही गृहप्रवेश हुआ पियूष और सुनयना अपने – अपने….. माता-पिता के ऊपर प्रेशर डालने लगे कि ……यहाँ इस नए घर में शिफ़्ट हो जाएँगे ।
उमा तो खुश होकर , शंकर जी के पीछे पड़ गई थी…….. चलिए !! ना बिटिया के साथ….. रहने के लिए चलते हैं ।
उन्होंने प्यार से कहा- अरे! उमा चलते हैं , “पहले पियूष के माता-पिता को वहाँ जाकर रह लेने दो…… आख़िर वे लड़के के माता-पिता हैं उनके बाद फिर हम चलते हैं । “
पियूष ने अपने माता-पिता से कह दिया….. इस घर को किराए पर चढ़ा देते हैं……. हम सब साथ रहेंगे ।
आनंद ने उनसे थोड़ा सा समय मांगा । इस दौरान , पियूष और सुनयना भी …… घूम फिरकर आ गए ।
आनंद का कहना है कि …… हमारा इंडिपेंडेंट घर है….. साथ ही सालों से उसी घर में ….. रहने के कारण सामान बहुत हैं …… वहाँ तीन कमरों के मकान में ….. इन पुराने सामानों को लेकर नहीं जाएँगे……… इसलिए अपने घर को किराए पर….. नहीं चढ़ाएँगे , कुछ दिन बाद देखेंगे क्या करना है ।
पियूष और सुनयना के ….. माता-पिता अपने-अपने सामानों के साथ ….. तीन कमरों वाले फ्लैट में पहुँच गए ।
उन्होंने अपने-अपने कमरों में…… सामान जमा लिया । संजना सुबह उठकर…. सबके लिए रसोई में चाय, नाश्ता बनाने लगी । उमा भी सबके साथ देर से उठी…. संजना जब टेबल पर चाय लेकर आई तो…… धन्यवाद कहते हुए ….. सबसे पहले कप उठाकर , चाय पीते हुए कहने लगी समधन जी… चाय बहुत अच्छी बनी है । उमा नाश्ता, खाना सब ……. संजना की तारीफ़ करते हुए खाने लगी ।
उस दिन से यह रोज का सिलसिला हो गया था कि…… संजना पूरे घर का काम करती थी, उमा टीवी देखती थी ……. फोन पर बातचीत करती थी ।
वहाँ इतने लोगों का काम करते हुए……. संजना थकने लगी….. । उमा की थोड़ी मदद मिल जाती थी तो …. उसे अच्छा लगता था । वह तो सब्जी भी काटकर नहीं देती थी ।
संजना घर के कामों को कर नहीं पा रही थी ….. वह खाना बनाकर रसोई की सफ़ाई किए बिना ……कमरे में लेट जाती थी ।
सुनयना घर पहुँच कर देखती थी …… कि पहले घर सुथरा रहता था ……. लेकिन अब घर गंदा पड़ा रहता था….. रसोई में सामान जमाना तो दूर….. इधर – उधर पड़ा रहता, कपड़े घड़ी नहीं किए होते….. ।
इस तरह से घर को गंदा देखकर सुनयना बेज़ार हो जाती थी….. एक दिन उनके कमरे से आवाज आ रही थी दोनों ……इसी बात पर लड़ रहे थे ।
आनंद सुबह मार्निंग वॉक पर जाते थे ……. कई बार शंकर भी , उनके साथ चले जाते थे । उस दिन भी आनंद के साथ चलते हुए शंकर ने कहा- “ आनंद जी कल मेरे पुराने मकान मालिक ने फोन करके बताया …… आपके जाने के बाद घर को रेनिवेट करा दिया है…. आपके पहचान में किसी को किराए पर मकान चाहिए तो उन्हें बताइए ….. हम घर को किराए पर दे देंगे ।”
आनंद जी मैं सोच रहा था कि …… मैं खुद वहाँ वापस चला जाऊँ । आप से क्या कहूँ उमा घर पर भी …. बड़ी मुश्किल से काम करती है ।
यहाँ सारे काम का बोझ….. संजना जी पर आ गया है और वह बीमार पड़ गई हैं । मैं सोचता हूँ……. रिश्तों की मर्यादा को बनाए रखना है तो …… हम यहाँ से चले जाएँ तो ही अच्छा होगा ।
आनंद ने कहा तो …. कुछ नहीं परन्तु वे जैसा सोच रहे थे वैसा ही …. शंकर जी ने कह दिया था ।
शंकर जी आपको तो पेंशन भी नहीं मिलता है …… आप यहीं रहो , हम चले जाएँगे ….. क्योंकि हमारे पास तो अपना घर है …. और मुझे पेंशन भी मिलती है ।
शंकर जी ने कहा—- “ आनंद जी मुझे एक प्राइवेट फर्म में नौकरी मिल गई है । “ मुझे उन लोगों ने ऑफिस में जॉइन होने के लिए …… एक सप्ताह का समय दिया है ।
आनंद और शंकर दोनों घर पहुँचे…… रात को सब मिलकर खाना खाते थे ……. डायनिंग टेबल पर सबसे पहले शंकर जी ने ही …… बात उठाई और कहा, “ हम लोग अपने पुराने घर में जा रहे हैं …. सुनयना फिक्र मत करो बेटा !! मुझे नौकरी मिल गई है ….. हम दोनों कल ही यहाँ से चले जाएँगे…. एक बात और बेटा जरूरत पड़ने पर….., हमारे लिए आप लोग हैं ही ना ।
दो दिन में उमा और शंकर जी ….. अपने पुराने घर में चले गए ।
उनके जाते ही ….. आनंद और सुनयना ….. भी अपना सामान बाँधने लगे ।
पियूष ने कहा- “आप लोग तो रुक सकते हो…..
उनके जाते ही आप भी सामान बाँधने लगे हैं ।”
देखो बेटा ! वहाँ का घर खाली पड़ा है …. तुम्हें मालूम है …… वह मेरा फ़ेवरेट घर है …. वहाँ के पेड़ – पौधे ……. तुम्हारी माँ की राह , देख रहे होंगे । पियूष और सुनयना को मजबूरन ही……, सही उनकी बात माननी पड़ी ।
इस तरह से सब लोग ……. रिश्तों की मर्यादा का पालन करते हुए ….. अपने – अपने घर चले गए ।
अब पियूष और सुनयना एक वीकेंड शंकर के घर जाते थे ……. एक वीकेंड आनंद के घर चले जाते थे । इस तरह से उन्होंने दूर रहकर भी….. अपनी ख़ुशियों को चुन लिया था ।
के कामेश्वरी