रिश्ते – शालिनी दीक्षित

डॉक्टर की क्लीनिक में बैठे हुए मनीषा की नजर दूसरी तरफ बैठे हुए एक इंसान पर पड़ी,

दुख और टेंशन में भी उसके चेहरे पर चमक सी आ गई लेकिन वो सोच में पड़ गई क्या ये सच मे अनुराग है?

पहचान पाना मुश्किल हो सकता है क्योकि करीब करीब 25 साल हो गए उस ने अनुराग को नही देखा था ।

उस ने पास जा कर पूछना चाहा पर खुद को रोक लिया यह सोच कर की क्या पागल पन है अनुराग नही है।

उस का मन यूनिवर्सिटी के सुहाने दिनों में जाने ही वाला था  कि अचानक से आज के कांटो ने उस के मन को रोक दिया क्योकि मनीषा टिट बैक यानी कि टिटनेस का इंजेक्शन लगवाने आई थी तो सोचा डॉक्टर से मिल के कोई दवा लिखवा ले घाव पर लगाने वाली ।

अब तो जैसे रोज का ही मामला हो गया है इस 50 वर्ष की आयु में भी चैन नही है आज फिर विकास ने उस को झिड़की देते हुए धक्का दे दिया तो खिड़की की ग्रिल हाथ मे लग गई 

लोहे की ग्रिल थी इसलिये वो इंजेक्शन लगबाने

आई है ।

क्या ये वही विकास है जो उसको पसंद करता था और शादी के लिए प्रपोज किया था?

उसको सवाल कचोटने लगा।

मन के सवाल उसको 25 साल पीछे खींच ले गए 

उसकी सहेली की बड़ी बहन की शादी थी इसलिए वो लगभग हर रोज सहेली के घर जाती रहती कालेज के पहला साल पूरा हो गया दूसरा शुरू ही हुआ था इसलिये पढ़ाई का लोड कम था और अब स्कूल के बाद माता पिता भी बच्चों जैसी रोक टोक नही करते थे जानते थे अब समझदार हो गई है ।

सहेली की बहन की शादी के दौरान ही उसकी मुलाकात विकास से हुई थी वो बारात में आया था।

उन दिनों शादी ब्याह में रात भर दोनो पक्ष के लड़के लड़कियों में हंसी मजाक चलता था और सभी इन सब का आनद लेते थे विकास को मनीषा भा गई थी और कही न कही मनीषा को विकास पसंद आ गया था।

 विकास ने उस से बात करने की कोशिश भी की और  चुपके से बता भी दिया उसकी बैंक में जॉब लगी है अभी 2 महीने पहले, मनीषा ने भी अपने बारे में बता दिया कि वो पढ़ाई कर रही।

शादी के बाद मनीषा को विकास की याद आती रहती मन न लगता उसने सोचा  कही प्रेम तो नही हो गया है पर करती क्या वो तो बारात के साथ ही वापस चला गया ।

मनीषा अतीत में खीई हुई थी कि हॉस्पिटल में अचानक से विकास आ के पास की सीट पर बैठ गया तो उसकी तन्द्रा कुछ देर को टूटी लेकिन वो फिर सोचने लगी कि 

जैसे आज विकास आ गया है क्लीनिक में वैसे ही उस दिन उसका फोन आ गया था अचानक उस ने बोला भाभी से नम्बर लिया भाभी यानी कि मनीषा की सहेली की बहन विकास उस के पति के मोहल्ले के ही रहता था।

विकास ने फोन पर शादी के लिए प्रपोज कर दिया था सीधे शादी को बात सुन कर वो थोड़ा सकपका गई थी लेकिन विकास ने समझाया मेरी नौकरी लग गई घर मे शादी की बाते हो रही तुम को अगर मैं पसंद हूँ तो तुम्हारी पढ़ाई पूरी होने के बाद घर मे बात करेंगे ।

बस फिर 2 वर्ष तक फोन पर बाते और कभी कभार मिलना भी हो जाता था दोनो खुश थे।

मनीषा अतीत की खुशियों से बाहर आ कर सोचने लगी खुश तो वो लोग अभी 2 वर्ष पहले तक थे अचानक से न जाने क्यों विकास को इतना गुस्सा आने लगा है कि आये दिन झगड़े होने लगे है।

आज तो वो सोच ही रही थी कि विकास आ जायेगा क्योकि छोटी मोटी बात के लिए इसी डिस्पेंसरी में आते है वो लोग पिछले 20 सालों से डॉक्टर भी इन के साथ साथ ही बुड्ढा हो रहा है ।

वैसे तुरंत ही विकास सहम सा गया उस का हाथ पकड़ कर देखने लगा खून को रोकने के लिए जोर से हाथ को दबाये रखा पर ये सब मनीषा को बहुत ही बुरा लग रहा था।

उस ने हाथ को जोर दे कर छुड़ाया खुद से फ़ास्ट एड की और पर्स उठा के डॉक्टर की क्लिनिक आ गई।

वो खुद भी नही समझ पा रही थी आखिर वो आई ही क्यों है ?क्या टिटनेस के डर से ?अरे मर ही तो जाएगी वैसे भी कौन सा वो खुश है।

किसी को भी अब उस की जरूरत तो है नही 

बेटी की शादी हो गई वो अपने परिवार नौकरी में व्यस्त है।

पर अपनी भावनाओं पर काबू रखते हुए

हर बार की तरहः इस बार भी मनीषा ने माहौल को नॉर्मल कर ही दिया ,”विकास ने कहा आज बहुत भीड़ है।”

उस ने हां में सर हिला दिया।

अब फिर से उस ने देखा तो उस को यकीन  हो चला कि वो मोबाइल में नजर गड़ाए बैठा शख्स अनुराग ही है ।

शरीर पहले से भर गया पेट भी निकल आया है बाल थोड़े उड़ गए है फिर भी पहचान में आ रहा है ।

मनीषा ने अपने पति से कहा ,”वो आदमी देख रहे हो  जहां तक उम्मीद है वो यूनिवर्सिटी का मेरा  पुराना मित्र अनुराग है।”

“अरे तो जा के मिलना चाहिये।”

“चुप रहो धीरे बोलो मैं कोई कन्फर्म नही हूँ”

इतने में मनीषा का नम्बर आ गया वो डॉक्टर के केबिन में जाने के लिए खड़ी हुई तो साथ मे विकास भी खड़ा हो गया

मनीषा थोड़े गुस्से में बोली , ‘मैं अकेले ही जाऊंगी।”

वो चुप चाप बैठ गया आज उस ने चुप रहने में ही भलाई समझी।

मनीषा केबिन से बाहर आई और पति से चलने के लिए बोली।

“अपने मित्र से नही मिलोगी पता नही करोगी वही है या नही”, विकास ने कहा।

“नही!!!”, सख्त स्वर में बोल कर मनीषा बाहर की तरफ चल दी।

पीछे पीछे विकास भी बाहर आ गया।

कार में घर जाते समय दोनो चुप है

मनीषा के मन मे शोर है उसको शांत करने की कोशिश कर रही है वो।

अनुराग ने ग्रैजुएशन के अंतिम वर्ष में उसको प्रपोज कर दिया था 

मनीषा सिर्फ अनुराग को मित्र समझती थी

उसको अंदाजा नही हुआ था कि अनुराग का मन उसके साथ सुंदर सपने बुनने लगा है

मनीषा और विकास पहले से ही एक दूसरे को पसंद करते थे विकास के पास अच्छी नौकरी थी इंतजार तो बस इस बात का था कि मनीषा की पढ़ाई पूरी हो जाये फिर दोनों अपने सुंदर सपने को पूरा करने के लिए घर पर बात करें।

आज अनुराग से न मिलने का निर्णय उस ने इसलिए ही लिया क्योकि उस को नही पता अब अनुराग के जीवन मे क्या चल रहा कैसा है उसका जीवन कही ऐसा न हो उस से मिलने पर पुराने सपनो को हवा मिल जाये 

आज कल वो भी परेशान है कही अनुराग जैसे मित्र से मिल कर उसके जीवन में कोई तिराहे वाली स्थिति न उत्पन्न हो जाये

क्योकी भावनात्मक परेशानी के समय इंसान कमजोर हो जाता है खुद को संभालना मुश्किल होता सहारे का कंधा बहुत आकर्षित करता है।

घर पहुँचने तक मनीषा ने निर्णय ले लिया था वो विकास को मनाएगी दोनो मिल कर साइकोलॉजिस्ट के पास जाएंगे ताकि दोनो को ही अपनी कमियां पता चल जाये और विकास के अचानक बढ़ गए गुस्से का कारण भी पता चल जाये।

जो सुंदर सपना देख कर उन दोनों ने घर बसाया था उस को सुंदर बनाए रखना  ही उन दोनों का उद्देश्य होना चाहिये क्योकि रिश्ते अहंकार से नही प्यार और माफी से टिकते हैं।

शालिनी दीक्षित

स्वरचित

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