रिश्ते – खुशी

मौलिक और रति दोनो एक लॉ फर्म में काम करते थे।वो फर्म मौलिक के पिता राजनाथ सहाय जी की थी ।राजनाथ के 3 बेटे और 1 बेटी थी।तीनों बेटे विवेक,विनय और मौलिक तीनों पिता के साथ फर्म में थे। पत्नी राजेश्वरी एक कॉलेज में हिंदी की अध्यापिका थी और फिर प्रमोशन लेकर प्रिंसिपल बन गई।

बेटी सुरीली बीए पूरा कर मास्टर्स कर रही थी उसे भी पिता की तरह लॉ कर फर्म ज्वाइन करनी थी।पर राजेश्वरी ने कहां तुम लड़की हो मास्टर्स करो और मेरी तरह शिक्षिका बनो।  ताकि तुम्हारे होने वाले परिवार को भी फायदा मिले।सुरीली की इच्छा भाई और पिता की तरह लॉयर बनने की थी पर मां के कड़क और जिद्दी स्वभाव के कारण उसकी एक ना चली ।

मास्टर्स पूरा होते ही उसका विवाह रामनाथ जी के बेटे आदर्श से हो गया।विवेक और विनय का भी विवाह हो गया था।बहुएं पढ़ी लिखी थी परंतु राजेश्वरी को बहुओं से नौकरी नहीं करानी थी इसलिए उन्हें इजाज़त नहीं दी।विवेक की पत्नी कल्याणी शादी से पहले डांस एकेडमी चलाती थी।

क्लासिकल डांस  उसका पैशन था जो उसे शादी की  वजह से छोड़ना पड़ा।विनय की पत्नी पूनम को शेयर मार्केट में इंटरेस्ट था और शादी से पहले वो एक इन्वेस्टमेंट फर्म में काम करती थी जो उसके चाचा जी की थी। पर उसे भी अपनी नौकरी छोड़नी पड़ी।पर उसकी कैलकुलेशन इतनी सटीक होती कि उसके चाचाजी उसे बड़ा मानते इसलिए विनय ने एक डेस्कटॉप जो उसके पास था वो पूनम को दे दिया

अब पूनम घर से काम करती चुपचाप और उसकी तनख्वाह सीधा उसके अकाउंट में आती जिसकी जानकारी राजेश्वरी को नहीं थी।राजनाथ ,विनय ,विवेक और मौलिक के पैसे शेयर मार्केट में पूनम ने ही लगाए थे।परंतु राजेश्वरी के कारण 

अब दोनो घर की देखभाल करती और सास के अनुशासन में रहती।मौलिक और रति दोनो एक दूसरे को चाहते थे।पर मौलिक को यही डर था कि राजेश्वरी को कैसे मनाया जाए। मौलिक ने ये बात अपने भाइयों को बताई वो भी बोले एक बार पापा मान जाएंगे पर मां बहुत मुश्किल उसी समय अचानक राजेश्वरी की बड़ी बहन की तबियत खराब हो गई

तो राजेश्वरी को सिल्ली गुड़ी जाना पड़ा घर में थोड़ा शांति का माहौल था।राजनाथ सहाय जिंदादिल आदमी थे बाहर पर घर में राजेश्वरी के कारण सदा अनुशासन में रहना पड़ा।सब रात के खाने पर बैठे । राजनाथ बोले बहु कल सुबह पराठे बनाना।कल्याणी बोली पर पापा मां तो आपको पराठे नहीं खाने देती तभी तो वो गई है तो कुछ आजादी मिले।

फिर राजनाथ विवेक को बोले तुम लोग सो जाओ मैं अपने मित्रो के साथ ब्रिज खेलने जा रहा हूं।पापा का ये रूप देख बेटे भी अचंभित थे।बेटा हैरान मत हो मैं ऐसा ही हूं बस तुम्हारे मां के अनुशासित घर को जोड़ कर रखना चाहता हूं।विनय बोला पापा आज हम भी पिक्चर जाए ।

जाओ बेटा पर जल्दी आ जाना। 10 दिन घर बड़े अच्छे तरीके से चला ।घर में ससुर बहु बेटे ताश खेलते बड़ी बहु अच्छा नाचती है तो उसका एक दिन कार्यक्रम रखा गया।रति को भी बुलाया गया और मौलिक ने पिता से निवेदन किया कि वो उसका और रति का रिश्ता करवा दे ।

मां को मना कर ।राजनाथ रति के पिता से मिले जो कॉलेज में प्रोफेसर थे उनकी पत्नी का देहांत हो चुका था।बड़ी बेटी निवेदिता मुंबई रहती थी उसके पति बैंक में थे और वो खुद भी बैंक में ही नौकरी करती थी।रति अपने पिता का ध्यान रखती थी।

राजनाथ को घर बार पसंद आया पर उन्होंने कहा ये बात कभी नहीं खुलनी चाहिए कि ये शादी लव मैरिज है यही लगना चाहिए कि मैने लड़की पसंद की है और तुम भी ये नहीं बताना कि तुम वकील हो और हमारे यहां काम करती हो।कुछ दिन तो तुम्हे घर में ही रहना पड़ेगा।फिर सोचेंगे क्या करना है।

जब राजेश्वरी वापस आई तो उन्हें घर में सब बड़े खुश नजर आए ।फिर आते ही अनुशासित वातावरण शुरू हो गया।अब बेटे और पिता कभी कभी शाम को ऑफिस में ही कार्ड की बाज़ी लगाते और बड़ी बहु को भी कभी कभी नृत्य अकादमी भेज देते।फिर एक दिन राजनाथ नाश्ते की मेज पर बोले मेरे मित्र रघुनाथ की दो बेटियां है बड़ी बेटी निवेदिता मुंबई में रहती हैं दोनो पति पत्नी बैंक में है। रघुनाथ कॉलेज में प्रोफेसर थे

वो रिटायर हो गए हैं उनकी पत्नी सावित्री का स्वर्गवास हो गया है उनकी पुत्री रति को मैने मौलिक के लिए पसंद किया है।तुम देख लो तो रिश्ता पक्का कर देते है ।आपने बिना मेरे लड़की देख ली राजेश्वरी बोली अरे परसो में ऑफिस से निकला तो रघुनाथ से टकरा गया फिर वो जबरदस्ती घर ले गया मुझे बिटिया पसंद आई बस इसीलिए।

ठीक है आप फोन कर दीजिए कि हम अगले इतवार आ रहे हैं।पर मां मौलिक बोला चुप रहो तुम्हारे भाइयों के रिश्ते भी हमने तय किए हैं।अगले हफ्ते देखने दिखाने का कार्यक्रम हुआ और रिश्ता पक्का हो गया।रति मौलिक से बोली मां से ये बात क्यों छुपाई की मै उन्हें सच बता देती हूं यूं झूठ बोलना अच्छा नहीं।अभी प्लीज़ तुम चुप रहो शादी हो जाने दो फिर बता देंगे।

धूम धाम से शादी हो गई और रति घर आ गई।भाभी और भाइयों से रामनाथ जी से उसकी बॉन्डिंग अच्छी थी।अगली सुबह वो उठी तो सूट पहन नीचे आई ।राजेश्वरी बोली अब तुम्हारी शादी हो गई है तो ये सूट नहीं चलेगा। साड़ी पहनो जी मां पर मुझे साड़ी पहननी नहीं आती।बड़ी बहु रति को साड़ी तुम पहनना सिखाओ।

जी मां जी कल्याणी बोली।राजेश्वरी उठी और बोली आज हमारे एनजीओ की मीटिंग है तो मै वहां जा रही हूं।4 बजे तक लौटूंगी इस लिए दिन का खाना नहीं खाऊंगी।शाम को बहु ये बनवाना खानसामे से जी मां तीनों बोली धीरे धीरे रति घर का माहौल समझ रही थी वो हंसती खिलखिलाती लड़की थी

यहां उसे चुप रहना पड़ता क्योंकि राजेश्वरी को तेज हंसना पसंद नहीं था।एक दिन राजेश्वरी बोली तुम्हारे पिताजी के दूर के चाचा की बेटी का विवाह है तो हम 4-6 दिन के लिए वहां जा रहें हैं।घर की जिम्मेदारी कल्याणी बहु तुम्हारी और पूनम बहु की है और रति अपनी जेठानियों की बात सुनना जी मां।

अगले दिन सुबह उन्हें निकलना था तभी रात के खाने के बाद रति राजनाथ के पास आई ।पापा मेरे एक केस की तारीख लगी है परसो क्या मैं जाऊ लड़ने।राजनाथ बोले हा बेटा जाओ तुम्हारे मुवक्किल को तुम्हारी जरूरत है।अगली सुबह राजनाथ और राजेश्वरी  चले गए।पूनम ने कंप्यूटर निकाल चाचा जी को कहा निवेश करना है ये बताया अपने काम में लग गई ।रति ने सूट पहना आज दोनों भाभिया भी कंफर्टेबल कपड़े पहने थी ।नाश्ते की टेबल पर सब हसी मजाक कर रहे थे।गीत गा रहे थे।

आज रति ऑफिस गई केस की तैयारी करने ।शाम को सब मूवी देखने गए डिनर किया और लौटे ।अगले दिन रति कोर्ट गई और कल्याणी अपनी डांस परफॉर्मेंस के लिए।घर पर सिर्फ पूनम थी शाम के 4 बजे होंगे की गाड़ी का हॉर्न सुनाई दिया ।

पूनम भी अपनी मीटिंग में थी राजनाथ और राजेश्वरी लौट आए थे क्योंकि किसी कारण से वो शादी टूट गई थी।डाइनिंग टेबल पर कार्ड्स पड़े थे।पूनम के कमरे से शेयर्स की बिक्री की आवाज आ रही थी वो हिदायत दे रही थी यह फायदे का सौदा है।राजेश्वरी गुस्से में रसोई में आ कर बोली बड़ी छोटी बहु कहा है।रामू बोला कि घर पर तो कोई नहीं है।कहा गई वो राजनाथ से बोली मेरे जाते ही मनमानी शुरू मैने काम को मना किया पर ये पूनम काम कर रही है।तभी गाड़ियों की आवाजें सुनाई दी।

राजेश्वरी राजनाथ को ले एक कोने में चुप गई ।पहले तीनों भाई अंदर आए फिर पूरे श्रृंगार में कल्याणी और वकील की यूनिफार्म में रति ।तीनों भाई रति को उसकी जिरह के लिए और केस जितने कि बधाई दे रहे थे  और कल्याणी को उसकी नृत्य प्रतियोगिता जितने कि।तभी पीछे से तालियों की आवाज आई वाह बेटे बहुओं के साथ मिल तुम भी झूठे हो गए मैने मना किया था कि ये नाच गाना इस घर में नहीं होगा फिर भी तुम नाची ।पूनम को भी बुलाओ ।

मेरे मना करने के बाद भी तुम शेयर मार्केट में काम कर रही हो और तुम झूठी तुम्हारे पिताजी ने भी नहीं बताया कि तुम वकील हो।तुम सब झूठे हो निकल जाओ यहां से मेरा मान मेरे घर का अनुशासन तोड़ा है तुमने तुम्हे सजा मिलेगी मेरे घर से निकलो ।राजनाथ जी इन्हें फर्म से भी बेदखल कीजिए ।हमे ऐसी झूठी संतान की आवश्यकता नहीं। निकल जाओ यहां से राजनाथ बोले कोई कही नहीं जाएगा।

राजेश्वरी तुम एक अच्छी महिला हो पर तुम अपना कॉलेज के प्रिंसिपल वाला रूप घर ले आई ।शांति के कारण मैने कभी कुछ नहीं कहा इसलिए तुम्हारे नियम मै और बेटे मानते रहे तुम स्वयं कामकाजी थी फिर बहुएं घरेलू क्यों तुम्हारी एक बहु कला का भंडार है दूसरी को रुपए पैसे को एक का 4 बनाने का हुनर है।तीसरी हमारी तरह प्रसिद्ध वकील है तुम्हे खुश होना चाहिए और तुम गुस्सा कर रही हो।

आप भी इनलोगों के साथ मिले है जाओ कोई मुझसे बात नहीं करना और वो अपने कमरे में चली गई।राजनाथ बोले अब तुम सब ये लो चाबी और फॉर्महाउस चले जाओ एक दो दिन अकेली रहेगी तो समझ आएगा।सब बच्चे चले गए और राजनाथ वही सोफे पर लेटे रहे।अगली सुबह राजेश्वरी बाहर आई और नाश्ते की टेबल पर बैठी कोई नहीं आया।राजनाथ बाहर लॉन में बैठे थे वो वही आई और बोली आपके बच्चे कहा है।बच्चे उन्हें तो तुम ने घर से निकाल दिया था ना। मै भी जाने वाला था पर 

तुमसे कुछ बात करनी थी बोलिए राजेश्वरी इसे अपनी आना का मसला मत बनाओ सबको अपनी जिंदगी जीने का अधिकार है तुम्हे पता है तुमने कल्याणी से कहा कि डांस छोड़ दे उसने छोड़ दिया पर अपना शौक छोड़ वो डिप्रेस्ड होने लगी।डॉक्टर के कहने पर ही मैने उसे इजाज़त दी।पूनम इतनी टैलेंटेड वो भी घर बैठ गई उसके पिता ने तो कुछ नहीं कहा पर उसके चाचाजी जिनके साथ वो काम करती थी उन्होंने मुझे कहा कि वो इतनी टैलेंटेड है कि जिस शेयर पर आप पैसा लगाओ वो चाहे कितने नुकसान में हो फायदा देता है उसने हमारा पैसा भी इनवेस्ट किया है और प्रॉफिट मिल रहा है।रही रति तो रति मेरे ही ऑफिस में है मैं उसे बहुत पसंद करता था जब मौलिक ने बताया कि वो उसे पसंद करता है तो मैने आनन फानन उसका रिश्ता अपने मौलिक के लिए मांग लिया।तुम्हे याद होगा हमारे पास पिछले साल एक रेप केस आया था जिसमें MLA का बेटा इन्वॉल्व था वो अपने दम पर रति ने ही जीता था।इतनी कुशल बच्चियों से उनका अधिकार कैसे छीन लूं।तुम दूर क्यों जाती हो सुरीली वकालत करना चाहती थीं तुमने उसे प्राध्यापक बना दिया जिससे वो तुमसे और मुझसे आज तक नाराज़ है कहा आती हैं वो भाइयों की शादी में मेहमानों जैसे आई और चली गई।सोचो कल अपने बच्चे भी दूर हो गए तो क्या करोगी इतने संस्कारी बेटा बहु मिले है तुम्हे।राजेश्वरी थोड़ी देर चुप बैठी फिर बोली सबको घर बुलाओ ।दोपहर को सब घर आ गए।खाना खा कर 4 बजे सबको हॉल में आने का कह राजेश्वरी घर से चली गई।शाम 5 बजे वो लौटी 4 लिफाफों के साथ और सबको एक एक देते हुए बोली ये तुम्हारा हिस्सा ये तुम्हारा और ये चौथा हिस्सा सुरीली का।बहु बेटों ने वो लिफाफे फेक दिए और बोले हमें कुछ नहीं चाहिए सिर्फ आपका आशीर्वाद छोड़ कर ।बहुएं बोली मां माफ कर दीजिए जो आप कहेंगी वही होगा हम घर में रहेंगी काम नहीं करेंगी। राजेश्वर बोली पहले लिफाफा खोलो तो सही। उसमें माफी नामा और सबको सब करने की आजादी थी परंतु अनुशासन में सब मुस्कुराने लगे। राजेश्वरी बोली कल्याणी आज शाम तुम्हारी परफोर्मेंस होगी तैयार हो जाओ।पूनम मेरी पेंशन  का पैसा भी इनवेस्ट कर दो ताकि में ngo में दे पाऊं।रति तुम यहां आओ वकील हो घर में वकालत नहीं करनी पापा के साथ अब हमारे ngo की तुम लीगल एडवाइजर हो।फिर सुरीली को फोन कर माफी मांगी और उसे भी शाम को घर बुलाया आज घर में हंसी गूंज रही थी और राजेश्वरी सोच रही थीं अपनी दादी के अनुशासन ने जैसे मां की जिंदगी में जहर घोला वैसा ही मै अपने बच्चों के जीवन में घोलने चली थी।शाम को कल्याणी का नृत्य हुआ और रात को सब ताश खेलने बैठे जीत रही थी राजेश्वरी।सब ने कहा मां आप तो खिलाड़ी है हु तो बेटा पर इस अनुशासन और अकड़ में अपने दिल का बचपन खो बैठी थी।मुझे माफ करदो।मां आप माफी मत मांगिए आप के अनुशासन से ही तो घर बंधा है नहीं तो सब अपनी मनमानी करते।बेटा वो तो मै अभी भी नहीं करने दूंगी उस लिफाफे में घर के रूल रेगुलेशन भी है समझे और सब हस दिए।घर परिवार में अनुशासन जरूरी है परन्तु सब को अपने दायरे में रह आजादी भी चाहिए।

स्वरचित कहानी 

आपकी सखी 

खुशी

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