रिश्तें और प्रथा –  उषा वेंकटेसन

रेखा  ने धीरे से अपनी आंखें खोली !  ऐसा लग रहा था की पूरा कमरा घूम रहा है । वह सुस्त और कमजोरी महसूस कर रही थी।

वह जानती थी कि उसे उठकर खाना बनाना है।

दादी उठ गयी! दादी  उठ गयी!” उसका पोता दौड़ते हुआ अपने पप्पा को बता रहा था।

चिंतित अमित कमरे में दौड़ता हुआ आकर पूछा,”कैसी हो अम्मा?”

मैं ठीक हूँ। क्या हुआ?”

इससे पहले कि उसका बेटा जवाब देता, रेखा ने पूछा, “क्या टाइम है? बच्चों को भूख लग रही होगी। चलो मैं खाना बनाती हूँ।

सब ठीक है अम्मा। चिंता मत करो हमने कल खाना खा लिया। और अब बुधवार की शाम है।

हे भगवान! मुझे क्या हो गया है? बस इतना याद है कि मुझे थोड़ा चक्कर आ रहा था। मैंने सोचा कि मैं सभी के लिए खिचड़ी बनाऊंगी और लेट जाऊंगी। उसके बाद मुझे कुछ याद नहीं है।

यही प्रॉब्लम है, अम्मा! अगर आपकी तबीयत ठीक नहीं थी तो आपको बताना चाहिए था और लेट जाना चाहिए था। भगवान का शुक्र है, फर्श पर गिरने से पहले अंकुश ने आपको देखा और पकड़ लिया। क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि अगर आप फर्श पर गिर गए होते तो आपको कितनी चोट पहुँचती थी? अमित ने चिंतित स्वर में कहा।

आप बेहोश हो गए। हमने डॉक्टर देसाई को बुलाया। उन्होंने कहा कि आपका बीपी बहुत कम है। आपको एक इंजेक्शन दिया। आप 16-18 घंटे से अधिक समय तक सोए हैं।“

सॉरी बेटा। मुझे कुछ भी याद नहीं है।” रेखा ने बिस्तर से उठने की कोशिश करते हुए कहा।

अब उठो मत। मैं सूप और कुछ खाने के लिया लाता हूँ।

रेखा को याद आया की दो हफ़्तों से वह घर  का काम और  खाना पीना  सब कुछ अकेले  संभाल रही थी क्योंकि उसकी बहु मइके गयी थी। आराम से जीवन जीने के बाद इतना काम करना बहुत ज्यादा था और वह थकान और शरीर दर्द अनुभव कर रही थी लेकिन उसने इसे अपने बेटे से छिपा दिया।

नम्रता के लौटने तक मुझे काम चलाना ही है,” वह खुद को आश्वासन दिला रही थी।

तभी नम्रता सूप का कटोरा लेकर अंदर आई।

अम्मा, चलो पहले गर्म सूप खाते हैं। आपको भूख लग रही होगी क्योंकि आपने कल दोपहर के भोजन के बाद से कुछ नहीं खाया है। डिनर भी मैं जल्दी परोसती हूँ।

नम्रता को घर वापस देखकर रेखा को राहत मिली, लेकिन उसे याद आया।

कैसी हैं तुम्हारी माँ?”

वह बेहतर है। बुखार कम हो गया है, लेकिन कमजोरी अभी है। “नम्रता ने बताया।

डेंगू के बाद बहुत कमजोरी महसूस होती है । मैं जानती हूँ । याद है दो साल पहले मुझे  जब डेंगू हुआ तो  करीब दो महीनों तक कमजोरी थी।

हाँ, मम्मी बहुत कमजोरी महसूस कर रही हैं। मैंने पड़ोसियों से उसके लिए कुक की व्यवस्था करने के लिए कहा है,” नम्रता ने बताया।

तुम्हें वापस नहीं आना चाहिए था। तुम्हारी माँ अकेली है। यहां अमित और बच्चे हैं और हम मैनेज कर लेते,” रेखा ने कहा।

जब आप अचानक बेहोश हो गए तो सभी बहुत डर गए। तो मैं कैसे नहीं आती? मुझे तो आना ही था।

जब मम्मी ने सुना, तो उन्होंने मुझे तुरंत जाने के लिए कहा। मैंने पड़ोसियों से मम्मी की देखभाल करने के लिए कहा और मैं दौड़े चली आयी।“

मैं आपकी बहू हूँ। मुझे आपकी सेवा करनी चाहिए,” नम्रता ने सास को सूप देते हुए धीरे से कहा.

लेकिन बहु, अपनी माँ की देखभाल करना भी तुम्हारा कर्तव्य है।आपका भाई भी इस शहर में नहीं है, इसलिए आपकी माँ की देखभाल करना आपकी जिम्मेदारी है।“

नम्रता ने बताया, “मुझे पता है, लेकिन मम्मी कहती है कि शादी के बाद मेरा पहला कर्तव्य मेरे ससुराल वालों के प्रति है।“

रेखा ने बहस नहीं की। लेकिन उसे एक आईडिया सूझी।

जब वह पूरी तरह से ठीक हो गई, तो उसने अपने परिवार के साथ अपने विचार पर चर्चा की।

लीना का कमरा जो सालों से बंद पड़ा है, मैं रेनोवेट करवाना चाहती हूँ।” उसने खाने की मेज पर शुरू किया।

क्या लीना भारत आ रही है?”

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जीजाजी भी आ रहे हैं या सिर्फ लीना और बच्चे?”

रुको ज़रा रुको लीना नहीं आ रही है। और अगर वह आती भी हैं, तो पिछली बार की तरह वे होटल में रहेंगे, “रेखा ने बताया।

फिर उसका कमरा क्यों रेनोवेट करना है?” अमित ने पूछा।

मैं चाहती हूं, मीनाजी वहां शिफ्ट हो जाएं। “

मम्मी यहाँ? बिलकुल नहीं। वह नहीं आएगी” नम्रता ने कहा।

मीनाजी की उम्र कम नहीं है। ऊपर से पिछले एक साल से उनकी तबियत भी ढीली रहती हैं। तो, मैं सोचती हूँ की क्यों न हम उन्हें यहाँ हमारे साथ रहने को कहें।

यह संभव नहीं है। आप उनकी चिंता मत कीजिये। मैं एक फुल टाइम औरत ढूंढ रही हूँ। वह काम भी करेगी और मम्मी के लिए एक कम्पैनियन भी रहेगी।नम्रता ने कहा।

वह यहाँ क्यों नहीं रह सकती? शुक्र है, हमारे पास एक एक्स्ट्रा कमरा है, “रेखा ने तर्क दिया।

मम्मी हमारे साथ कैसे रह सकती हैं?” नम्रता बोल पड़ी।

जैसे मैं आप के साथ रहती हूँ।” रेखा ने शांति से जवाब दिया।

क्या मतलब है आपका! आप अमित की माँ हैं। आपको यहां रहने का अधिकार है!” नम्रता हांफने लगी।

बेटा, मैं अमित की माँ हूँ और वह तुम्हारी माँ है। अगर मुझे यहां रहने का अधिकार है, तो मुझे लगता है कि आपकी मां को भी यहां रहने का अधिकार है,” रेखा ने नम्रता की पीठ थपथपाई और धीरे से बोली।

नम्रता रोने लगी।

मम्मी जी, आप बहुत अच्छी हैं। मैंने सपने में भी नहीं सोचा की आप मेरी मम्मी के बारे में ऐसे बोलेंगीं।

नम्रता, तुम एक मॉडर्न लड़की हो । अमित और तुम दोनों कमा रहे हो और साथ में इस घर और परिवार को चला और संभाल रहे हो।

 “तो उसी तरह अपने रिश्तों को भी सामान्यत से चलना चाहिए। सिर्फ इसमें तुम ससुराल और मइके की भेदभाव क्यों ला रही हो?”

अपने परिवार और अमित के परिवार के रिश्ते भी निष्पक्ष और समान होने चाहिए।“

मैं ठीक बोल रही हूँ ना?” रेखा ने नम्रता और अमित को देखते हुए पूछा।

लेकिन…”

हमारे पूर्वजों ने उस समय के समाज के लिए उपयुक्त नियमों और परम्पराएँ बनाए थे। अब समय बदल गया है और इन नियमों को भी वर्तमान आवश्यकताओं के लिए बदलना चाहिए।

उन नियमों के मुताबिक, मीनाजी को जबरदस्ती USA में अपने बेटे के साथ रहना चाहिए, जहाँ का ठंढ वह सह नहीं सकती! क्या यह ठीक है? नहीं। बिलकुल नहीं।“ 

इसलिए मैं कहती हूँ की नियम और प्रथा को समय के अनुसार बदलना चाहिए। और यह बदलाव हमे ही लाना है।“ 

मेरा मानना ​​है कि अच्छे स्वभाव और मानवता से ऊपर कोई प्रथा नहीं है।

रिश्तों और परिवार को महत्व दो। रिश्तों की मान्यता रखने के लिए, प्रथा और नियमों में  बदलाव लाना पड़ेगा।

मम्मी तुस्सी ग्रेट हो!” अमित रेखा को फ्लाइंग किस्स दिया।

नम्रता ने सास को गले लगाया।

लेकिन मेरी पुरानी ख़यालात की मम्मी को मैं कैसे पटावुं!”  नम्रता बोली।

चिंता मत करो, यह मुझ पर छोड़ दो!” रेखा मुस्कुराते हुए कहा। 

                                                 उषा वेंकटेसन

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