“रिटायरमेंट या ज़िन्दगी की दूसरी पारी” – कुमुद मोहन

काॅलबेल बजी, देखा एक 10-12साल का लड़का कैरी बैग लिए खड़ा था,” क्या काम है ?” 

सीमा ने पूछा,

वो कोने वाली कोठी से आंटी ने भेजा है,खोला तो देखा थोड़ा सा ताजा पालक,मेथी, चार छः टमाटर, हरी धनिया और,एक टुकड़ा कद्दू, करौंदे,नींबू ?इतनी ताज़ी सब्जियां देख कर उसे मज़ा आ गया।

सीमा और अतुल कालोनी मे अभी कुछ दिन पहले ही आए थे किसी को अच्छी तरह से जानते भी नहीं थे।पर तभी उसे ध्यान आया उस कोठी मे तो एक बुजुर्ग कपल धीरज गुप्ता और उनकी पत्नि रमा रहते है, उनके घर की हरियाली देख कर बरबस नज़र उस तरफ़ उठ जाती थी।

अक्सर मार्निग वाॅक के दौरान उन दोनों को चाय पीते कभी बातें करते कभी किसी बात पर हंसते खिलखिलाते देख लगा था जैसे वे अपनी ही दुनिया में मस्त हैं!

इतवार को सीमा और अतुल दोपहर में 12बजे के करीब उनके घर उन्हें धन्यवाद देने गये तो देखा गुप्ता जी अखबार में लीन थे,दोनों की उम्र लगभग 70-75साल की होगी,उनकी वाइफ़ रमा जी और वो छोटा लड़का ताजी सब्जियों के पैकेट बना रहे थे।

नज़र घुमा कर देखा क्यारियों में,गमलों में,फिनाइल के प्लास्टिक के डिब्बों को काट कर, पेंट की छोटी-बड़ी बाल्टियों में,ग्रो बैग में तरह तरह की सब्जियां उगा रखी थी।

ज़मीन में लगी,कद्दू, लौकी,तोरई,खीरे की बेल,फर्स्ट फ्लोर तक फैली थीं,जिनमें छोटे छोटे कद्दू तोरी, खीरे लगे थे ।

दो बड़े गमलों में नींबू के छोटे-छोटे पेड़ हरे पीले नींबूओं से लदे थे।बाहर लगी करौंदे की छोटी सी “बुश”छोटे बड़े करौंदे से भरी हुई थी।

दही के,मैगी के खाली प्लास्टिक के छोटे-छोटे गिलासों में फूलों की छोटी-बड़ी पौध/कटिंग लगी थी।

रमा जी ने बताया,घर में उगी सब्जियों वे कालोनी में बांट देती हैं।इसी बहाने सबसे मेल मिलाप और जानपहचान भी हो गई! 

अपने माली और मेड को पौधे बेचने से कुछ एक्स्ट्रा इन्कम हो जाऐ,उसमें सहायता करती हैं।

ये छोटा लड़का स्कूल के बाद और छुट्टी के दिन  बगीचे का काम करता है,इसकी फीस और किताबों का ,यूनिफॉर्म का खर्चा उठाती हैं ।

रंग बिरंगे फूलों से भरा उनका छोटा सा बगीचा देखते ही लगा जैसे स्वर्ग में आ गये हों।

” और अंकल ! उनका मन कैसे लगता है आप तो इन पेड़ पौधों में बिज़ी रहती हैं”?सीमा नें पूछा?

“अरे अंकल जिन्होंने नौकरी करते हुए कभी अपनी अफसरी एक मिनट को नहीं छोड़ी थी रिटायर्मेंट के बाद घर के छोटे मोटे कामों में मेरी सहायता करते हैं!सुबह का नींबू शहद का पानी तो हम दोनों के लिए ये ही बनाते हैं!रमा जी ने शरारत से गुप्ता जी को देखते हुए जवाब दिया!

कभी-कभार मुझे बुखार हो तो चाय भी बना देते हैं!

इनका कहना है आदमी तो रिटायर हो जाता है क्या बीवियों को रिटायर्मेंट की जरूरत नहीं उनकी भी तो उम्र हमारे साथ बढ़ती है!जब घर में नौकर-चाकर थे तब काम करने की जरूरत नहीं थी अब नहीं हैं तो मैं इनको सहारा नहीं दूंगा तो कौन देगा?

शाम को ये इस लड़के को पढ़ा देते हैं कम्प्यूटर सिखा देते हैं ,

नौकरी में रहते ये कई इंजिनियरिंग सोसाइटीज के मेंबर थे वे लोग कभी कभी लेक्चर देने या फंक्शन में बुला लेते हैं!तो इसी बहाने सबसे जुडें रहते हैं!आऊटिंग के साथ साथ थोड़ा-बहुत मनोरंजन भी हो जाता है!

बोर शब्द हमारी डिक्शनरी में है ही नहीं!

मैं काम वाली लड़कियों को खाना बनाना, मेंहदी लगाना सिखा देतीं हूँ।दिन बहुत अच्छे से कट जाता है!

उन दोनों की सोच पर सीमा और अतुल आश्चर्य चकित रह गए! 

तभी उनकी मेड ताज़े नींबू की शिक॔जी और लौकी के पकौड़े, हरी धनिया की चटनी के साथ ले आई, वाओ! सब कुछ ऑरगैनिक घर का उगा हुआ,।

रमाजी सीमा और अतुल को अपना छोटा सा गार्डन जिस उत्साह से दिखा रही थी,इस उम्र में इतना हौसला बहुत कम देखने को मिलता है।

फिर घर के पिछवाड़े गड्ढे में रोजाना की सब्जियों और फलों के छिलके जमा करके बहुत बढ़िया खाद बन जाती है उसी को वे अपने पौधों में डालती हैं, कोई कैमिकल इस्तेमाल नहीं करती।

सीमा नें उनकी फिटनेस के बारे में जानना चाहा,क्योंकि उनकी त्वचा और फ़िगर से उनकी उम्र का पता ही नहीं चल रहा था कि वे जीवन के 70 बसंत देख चुकी हैं उन्होंने बताया सुबह उठकर दोनों 365 दिन नींबू शहद का पानी पी कर आधा पौने घंटे योग और प्राणायाम करते हैं,फिर 5बादाम,एक अखरोट के साथ गुड़ की मसाला चाय पीते हुए अखबार पढ़ते हैं।

खाना रमा जी खुद बनाती हैं मेड उन्हें सब्ज़ी काटने आदि में सहायता कर देती है!

शाम को हम लोग पार्क में टहलते हैं,हमारे जैसे और सभी से मिलते, हंसते बतियाते हैं,स्वयं को व्यस्त रखते हैं!

अब थोड़ी हैल्थ प्रॉब्लम्स की वजह से बाहर नहीं जा सकते,वरना खूब घूमते हैं, “पूरी दुनिया इन्होंने घुमा दी है “आंटी ने प्यार भरी नज़र से अंकल को देखा।

“तुम्हारी आंटी को लिखने, पेंटिंग का भी बहुत शौक है,हिंदी मैगज़ीन के लिए लिखती हैं”तीन चार एकल पेंटिंग एक्जीबिशन भी लगा चुकी हैं, ऑल इंडिया पेंटिंग कंपीटिशन में अवार्ड भी मिला”अंकल ने  बड़े गर्व से बताया।

“आप दोनों अकेले यहाँ और बच्चे”?अतुल ने पूछा?

“सच पूछो तो रिटायर्मेंट के बाद व्यक्ति के जीवन की दूसरी पारी शुरू होती है!अब यह हम पर निर्भर करता है उसे हंस कर खेलें या रोकर?”रमा जी बोलीं

उन्होंने बताया बच्चे बहुत कहते हैं अब हम उनके साथ रहें, कुछ दिनों के लिए जाते हैं, पर मन यहीं अपने घर में ही लगता है।रोजाना बच्चों का फोन आ जाता है, पोते और नातिन की आवाज़ सुनकर हमारी बैटरी चार्ज हो जाती है।

वे बोली “मेरे बच्चे तो कभी-कभी कहते हैं कि तुम्हें हमसे ज़्यादा ये पेड़ पौधे प्यारे हैं “।

नौकरी की वजह से हमेशा अकेले रहे इसलिए अकेले रहने की आदत हो गई है!

रिटायर्मेंट के बाद जो सबसे ज़्यादा अच्छा हुआ वो ये कि सर्विस में ये बहुत व्यस्त रहते थे अक्सर टूर पर भी जाने के साथ साथ सामाजिक दायित्व भी निभाना पड़ता था!अब सारा दिन हम साथ रहते हैं!इनके दिन रात सब मेरे लिए हैं!रमाजी नें एक प्यारी सी मुस्कान से गुप्ता जी को देखते हुए कहा!

बच्चे छुट्टियों में आ जाते हैं या हम कभी-कभार उनके पास चले जाते हैं!

छोटी मोटी बीमारी की खबर बच्चों को नहीं देते!उनकी अपनी ज़िन्दगी है अपना परिवार और जिम्मेदारियां है!बेकार में परेशान करके नहीं दौड़ाते !

सीमा ने पूछा”नौकरी में तो कई मातहत होते हैं जो बाज़ार हाट का काम कर देते थे!अब आप दोनो कैसे मैनेज करते हैं!”

इसपर रमा जी बोली”शुरू शुरू में थोड़ी परेशानी हुई फिर धीरे धीरे सब्जी फलवाला,दर्जी,राशन वाला सब तय हो गए अब फोन कर देते हैं सब घर बैठे हो जाता है! शाम को अंधेरा होने से पहले ये कार ड्राइव कर लेते हैं इसलिए दिन के समय हम दोनों जाकर बाकी काम निपटा लेते हैं!

रात को कहीं जाना हो तो ड्राइवर किराए पर बुला लेते हैं!और अब तो टैक्सी भी सुविधाजनक हो गई हैं!

सरकार से इतनी पेंशन मिलती है कि हम दोनो इज्ज़त से खुशहाल जिन्दगी जी सकें!अपनी जिम्मेदारियां अच्छे से निभा दी इसका संतोष है!हम बहुत ज्यादा किसी से कोई अपेक्षा भी नहीं रखते,बच्चों से भी नहीं!

कोई इमर्जेंसी हो तो हमारे अड़ोसी-पड़ोसी बहुत ख्याल रखते हैं।बाकी भगवान् भरोसे!

“हम दोनों की सकारात्मक सोच है,जब अंकल सर्विस में थे तब दस लोग खडे हो जाते थे उस टाइम का सुख उठा लिया,अब एक है उसके साथ एडजस्ट कर लिया,हम पास्ट में क्या था या आगे क्या होगा नहीं सोचते।

हम मरने के लिए नहीं जी रहे, ज़िन्दगी की शाम को पूरी तरह से ऐंजाय कर रहे हैं”।

हमारे साथ के कुछ लोग हैं जो जब भी मिलो हर वक्त यह रोना रोते रहते है फलानी पोस्टिंग पर इतना बड़ा घर था,इतने नौकर-चाकर थे!मैडम को तो एक ग्लास पानी भी लेकर पीना नहीं पडता था!बस क्लब ,किट्टी और आऐ दिन की पार्टियां!अब रिटायर्मेंट के बाद वही लोग जो आगे पीछे घूमते थे सामने पड़कर भी कतराकर निकल जाते हैं!दिनभर खाली बैठे ऊब जाते हैं करें तो क्या करें!

 रमाजी बोली “वे लोग भूल जाते हैं कि जिस दिन व्यक्ति नौकरी ज्वाईन करता है उसके रिटायर्मेंट की तारीख उसी दिन तय हो जाती है! रिटायर्मेंट के साथ ही सरकार से मिलने वाली सुविधाऐं भी खत्म हो जाती हैं!जो मिला था उसे भोग लिया जो छिन गया उसका क्या गिला करना!

हम खुश हैं,मस्त हैं और इनके रिटायर्मेंट को पूरी तरह से ऐंजाय कर रहे हैं!

सीमा और अतुल उनका छोटा सा आशियाना, उनके ज़िन्दगी जीने के ज़ज्बे,आत्म-विश्वास ,उनकी ज़िन्दादिली और एक दूजे के लिए प्यार और समर्पण को सलाम करते हुए निकल आए! 

गुप्ता दंपति से मिलकर सीमा और अतुल को लगा अक्सर लोग अपनी युवावस्था में किट्टी, क्लबों,मौज़ मस्त आदि में लगे रहते हैं, इनके साथ अगर कोई हाॅबी भी डेपलेप कर लें तो जीवन संध्या में या रिटायरमेंट के बाद जिन्दगी बहुत आसान और ख़ुशनुमा हो सकती है।

कुमुद मोहन

 स्वरचित-मौलिक

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