फ्रेंडस एंड फैमिली ग्रुप- मनीषा सिंह 

“मां!आपकी रिटायरमेंट अगले महीने की अंतिम तारीख को है ना•••?

 फोन पर कोमल अपनी मां दीपा जी जो “हाई स्कूल की प्रधानाचार्या” थीं उनसे बात कर रही थी।

 हां बेटा! अगले महीने को ही है•• तुम लोगों को आना है! आओगे ना••?

बिल्कुल मां!

भगवान की दुआ से हमसब को ऐसा सौभाग्य देखने को मिलेगा और आप पूछ रही हैं तुम आओगी ना? इनफैक्ट आज ही मैं रोहन को अपनी छुट्टी अप्लाई करने को बोल देती हूं और मैं भी! 

थोड़ी देर सोच कर 

 पता नहीं बास  छुट्टी देंगे या नहीं••?एनीवेज मैं इस क्षण को मिस नहीं करना चाहती!

कोमल चेहेकते हुए बोली।

 बेटी के बोलने के अंदाज से दीपा जी तुरंत ही समझ गई कि कोमल को छुट्टी लेने में दिक्कतें आ सकती है क्योंकि अभी वह पिछले महीने 15 से 20 दिन  छुट्टी पर थी। उसे टाईफाइड हो गया था। इसलिए वह घबरा रही है! 

बेटी को संतावना देते हुए बोलीं 

 कोई बात नहीं कोमल! इतनी टेंशन लेने की जरूरत नहीं••• जैसी स्थिति देखना वैसा ही करना••!

 हां मम्मी! पर मेरी कोशिश तो रहेगी! 

ठीक है•• अब आप भी स्कूल के लिए रेडी हो रही होंगी मैं शाम में बात करती हूं!

 कहते हुए कोमल ने फोन रख दिया।

 इधर दीपा जी नहा-धोकर नाश्ता किया फिर स्कूल के लिये अपनी गाड़ी से (  वह खुद ही ड्राइव करती थी) निकल गईं! 

शाम को जब वह घर पहुंचीं तो धर्मेश जी ,(घर के बाहर सीढ़ियों पर बैठे उनका इंतजार कर रहे थे) को देखा। 

आप यहां? क्या कोई काम है ?नहीं बस इधर से गुजर रहा था तो सोचा तुमसे भी मिलता जाउ!

आइये अंदर चल कर बैठते हैं! कहते हुए उन्होंने दरवाजे का ताला खोल उन्हें आदर-पूर्वक कुर्सी पर बैठने का इशारा किया। 

पानी पियोगे•••?

 और पानी लेने किचन में चली गईं ।

सुना है तुम अगले महीने रिटायर हो रही हो तुम अकेले अब कैसे••

कैसे का क्या मतलब? पानी टेबल पर रखते हुए दीपा जी बोलीं ।

मेरा मतलब है कि••अकेले तुम्हारे लिए कठिन हो जाएगा!  हिचकीचाते  हुए धर्मेश जी बोलें।

अब क्या फायदा दोकेले का••? जब वक्त था साथ रहने का तब तुमने मुझे दो बच्चों के साथ अकेला छोड़ दिया! 

मैं तब भी खुश थी और अब भी! लेकिन हां तुम अगर अपनी जिंदगी अकेले नहीं काट सकते तो ये घर तुम्हारे लिए हमेशा खुला रहेगा मर्जी हो तो आ जाना! 

एक बात और 

अब मेरे मन में तुम्हारे प्रति प्यार और श्रद्धा की भावनाएं खत्म हो चुकी हैं मैंने इन भावनाओं की उसी दिन तिलांजलि दे दी जिस दिन तुमने मुझे घर से निकला!

धर्मेश जी ने दीपा जी के बात पर  कोई भी प्रतिक्रिया नहीं दी। 

 ठीक है अब मैं चलता हूं•• शाम होने को आई है!

 वह वहां से चले गए ।

उनके जाते ही दीपा जी अपने अतीत के आगोश में खो गईं ।

 दीपा जी के पापा “एलिट ऑफिसर” थे। घर में वो दो-भाई बहन थे जिसमें वह सबसे बड़ी थीं। उच्य स्तर की शिक्षा प्राप्त करने के बाद उनके पिताजी ने उनकी शादी धर्मेश जी से कर दीं जो की एक साइंटिस्ट थे और  मां-बाप के इकलौते संतान ।

उनके घर में मां का बोलबाला था। धर्मेश जी उनके इशारों पर ही चला करते। शादी के 2 साल तो अच्छे गुजरे पर जैसे ही कोमल का जन्म हुआ कमलाजी अपने फार्म में आ गईं ।

पता नहीं क्यों वह जब भी कोमल को देखती तो देखते ही मुंह फेर लेती । जब वह 4 साल की हुई तो दीपा जी एक बार फिर मां बनने वाली हुईं ।

इस बार फिर से लड़की होता देख कमला जी का पारा सातवें आसमान पर चढ़ गया।

 क्या लड़की पैदा करने की मशीन हो तुम••?

 पहले भी लड़की हुई तो सोचा कि चलो अगले बार तो जरूर लड़का ही होगा पर यह भी लड़की! भाई मैं नहीं झेल पाऊंगी तुम सबको! तभी 5 साल की कोमल धूल-मिट्टी में सनी दादी के आंचल को पकड़ के बोली दादी-दादी बहुत जोरों की भूख लगी है कुछ खाने को दो ना!

सुनते ही कोमल को उन्होंने दुर झटक दिया 

जा••• कहीं डूब मर!

कहते हुए वह वहां से चली गईं। अभी डिलीवरी के चार दिन ही हुए थे इसलिए दीपा जी को रसोई में जाने की पाबंदी थी••पर फिर भी वह बेटी के मोह-माया में उठकर उसके लिए कुछ बनाने लगीं कि तभी कमलाजी दीपा जी को किचन में नाश्ता बनाते देखा और आग- बबूला हो उन्हें बहुत खरी-खोटी सुनाईं ।

बस•••! अब मुझसे बर्दाश्त नहीं होता धर्मेश जी! क्या हमने बच्चियां पैदा करके गुनाह किया? चलो अब यहां से मुझे नहीं रहना इस माहौल में! 

दीपा जी रोते हुए बोलीं।

 देखो दीपा मां है वह मेरी! मैं कुछ नहीं कह सकता उनको! 

 समय दो और तुम शांत रहो! सब ठीक हो जाएगा!

 दीपा जी ने समय तो दिया ही दिया और साथ में उनकी हर बदतमीजियां बर्दाश्त करती चली गईं परंतु उनमें कोई सुधार नहीं हुआ।

 एक दिन हाई स्कूल के टीचर की वैकेंसी आई दीपा जी ने तो पहले से ही बी एड कर रखा था तो उन्होंने फौरन ही जाब के लिए अप्लाई कर दी! 

जब उनका कन्फर्मेशन लेटर आया तो घर में तांडव छिड़ गया। कमलाजी ने सख्त मना किया कि जाब नहीं करना है और धर्मेश जी भी अपनी मां का साथ दे रहे थें।लेकिन बच्चियों का वर्तमान तथा भविष्य देखकर दीपा जी ने उनकी बातों को अनसुना कर जॉब करने का कठिन फैसला लिया।

 ठीक है दीपा तुम अगर नौकरी करना चाहती हो तो इस घर में तुम्हें रहने का कोई हक नहीं••• अपनी बच्चों को लो और जाओ।  कमला जी ने अपना अंतिम फैसला सुनाते हुए बोला।

 दीपा जी स्तंभ थीं और वो प्रश्न वाचक नजर से पति धर्मेश जी को भी देख रही थी पर उन्होंने भी मुंह फेर लिया!

मां जी मैं अपने बच्चों को ले, ये घर छोड़कर सदा-सदा के लिए जा रही हूं क्योंकि मुझे पता है यहां से निकलने के बाद ही मैं खुद को और अपनी बच्चियों को एक बेहतर भविष्य और जिंदगी दे पाऊंगी!

 आज धर्मेश मुझे ‘अकेले रहने का डर’ दिखाने आए थे!

 मैंने अकेले रहकर अपनी नौकरी भी संभाली और दोनों बच्चियों को उच्च शिक्षा देकर उन्हें इस लायक बनाया कि आज वह दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रही हैं ।

अब मुझे अपने लिए जीना है सोचते हुए वह अपनी डेली रूटीन में लग गईं ।

देखते-देखते दीपा जी का #रिटायरमेंट के दिन भी आ गये। दोनों बेटियां और दामाद सभी उनके समारोह में शरीक हुए ।

मां आपने पापा को नहीं बुलाया••?

 वीणा जो दीपा जी की छोटी बेटी थी बोली।

 नहीं बेटा मुझे नौकरी से रिटायरमेंट मिली है अब मुझ पर कोई बंदिशे मत डाल क्योंकि मैं अपने लिए जीना चाहती हूं!

 दीपा जी के आंखों में इसके पहले किसी ने आंसु नहीं देखें ऐसा लगा मानो उन्होंने वर्षों से इसे सहेज के रखा था कि उन्हें रोता देख ,बच्चियां कमजोर ना पड़ जाए और कहीं वह खुद कमजोर ना पड़ जाएं••• परंतू आज जाने क्यों उनकी आंखों से आंसू निकल पड़े। 

बहुत ही धूमधाम से उनकी विदाई की गई और इस दौरान उन्होंने अपने भाषण में “लड़कियों की शिक्षा”पर जोर दिया।

 वाह मां•••! मजा आ गया सभी स्टाफ्स आपकी कितनी इज्जत करते हैं और आपने कितने खूबसूरती से भाषण दिया! खासकर लड़कियों के बारे में! कोमल अपनी मां की प्रशंसा करते हुए बोली।

 हां दीदी! हमारी मां तो है ही “आयरन लेडी”! जिन्होंने खुद को तो संभालना ही साथ में हम लोगों को भी बेहतर शिक्षा और जिंदगी दी! 

बस-बस ज्यादा इमोशनल करने की जरूरत नहीं!

 दीपा जी दोनों बेटियों के गाल को खींचते हुए बोलीं ।

हां मां! मैंने आपका रिजर्वेशन कराया है कल आप मेरे साथ भोपाल जा रही हैं! 

वीणा बोली।

 अच्छा••! तू ज्यादा सयानी बन रही है किस से पूछ कर तूने रिजर्वेशन कराया? मैंने पहले से ही बेंगलुरु की तीन टिकट बुक करा रखी है! मां मेरे साथ जाएंगी !

कोमल बोली।

 नहीं मेरे साथ!

 दोनों बहनें आपस में लड़ने लगीं। अरे शांत हो जाओ••• मुझे तुम दोनों में से किसी के साथ नहीं जाना!

फिर हंसते हुए दीपा जी बोलीं 

 तुम लोगों के लिए मैंने एक सरप्राइज रखी है! 

 कैसा सरप्राइज मां?

 वह तुम्हें आधे घंटे में पता चल जाएगा ।

बेटी दामाद भी आश्चर्य में थे कि कौन सी सरप्राइज ?कैसी सरप्राइज?

 20-25 मिनट में डोर बेल बजा। जब कोमल डोर खोलती है तो 20 लेडिज का ग्रुप उन्हें रिटायरमेंट की बधाई देने पहुंचतीं हैं ।

दीपा जी सभी से गले मिलती हैं और सभी के लिए उन्होंने पहले से ही नाश्ता और ठंढे का इंतजाम कर रखा था ।

कोमल और वीणा उन सारी लेडिजो को जानती थीं जो उनके ही सोसाइटी में और कुछ बगल के सोसाइटी में रहती थीं ।

बेटा तो मेरा सरप्राइज यही है! हम सब ने मिलकर”फ्रेंड्स एंड फैमिली” ग्रुप बनाया है जिसमें 60-65 साल की उम्र वाली महिलाएं शामिल है!

 हमारे ग्रुप में बहुत से लेडिज के बच्चे विदेश चले गए हैं तो किन्हीं के मेरी तरह रिटायरमेंट आ गये•• जिससे घर में अकेलापन और तनाव आ जाता है!

 एक दिन शाम के वक्त मैं पार्क में बैठी थी तभी तुम्हारी भावना मासी, (कोमल और विणा प्यार से उन्हें मासी कहती हैं) ने मुझे ग्रुप बनाने का सजेशन दिया इसमें हम महीने में एक या दो बार मिल सकते हैं कभी हम बाहर फिल्म देखने जा सकते हैं ,कभी रेस्टोरेंट में लंच तो कभी दो-तीन दिन का ट्रिप भी हो सकता है! जरूरत पड़ने पर हम एक दूसरे का ख्याल भी रख सकती हैं !

कहो कैसी रही हमारी प्लानिंग और सरप्राइज? 

भावना जी बच्चियों से थपथपाते हुए पूछीं !

वाह मासी  ! आप सब ने तो जिंदगी को रंगारंग ही कर दिया! सच में आप लोगों का प्लान जबरदस्त है!

 सुबह जब बच्चे अपने-अपने जगह जाने लगे तो कोमल मां से लिपट गई।

 अरे••• यह आंसू तुम पर शोभा नहीं देता बेटा! 

कोमल के आंसू को पोंछते हुए दीपा जी बोलीं।

 आंसू इसलिए नहीं है मां की आप अकेली हो जाएंगी बल्कि इसलिए कि आप तब भी आयरन लेडी थीं और आज••• रिटायरमेंट के बाद भी हमें ” जिंदगी जीने की कला” को सिखाया ! 

हमें गर्व है आप पर! 

दोनों मां-बेटी गले मिल गईं।

दोस्तों महिलाओं का यह सामाजिक जुड़ाव उन्हें मानसिक और भावनात्मक रूप से मजबूती प्रदान करता है और ऐसे सामाजिक गतिविधियों के प्रभाव, न केवल तनाव को काम करता है बल्कि महिलाओं में आत्मविश्वास और सकारात्मकता भी बढ़ाता है। यह बदलाव उनके परिवारों पर भी सकारात्मक प्रभाव डालता है ।

दोस्तों मेरी इस कहानी को लिखने का सिर्फ यही उद्देश्य था कि

 55 या 60 की महिलाएं भी ग्रुप्स बनाकर हर पल बेफिक्र और खुशहाल जी सकती हैं ।

 मेरी कहानी पसंद आई हो तो प्लीज इसे लाइक्स,कमेंट्स और शेयर जरूर कीजिएगा ।

धन्यवाद ।

मनीषा सिंह

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