राखी – खुशी : Moral Stories in Hindi

मीनू अपने घर में सबकी लाडली थी दो भाई रतन और मदन माता कमला और पिताजी श्यामलाल थे।मीनू के भाई मीनू पर जान छिड़कते थे।रतन मीनू को अपनी बेटी की तरह प्यार करता था।रतन मीनू को कभी किसी को डांटने भी नहीं देता था। रतन और मदन की पत्नियां भी मीनू को बहुत स्नेह करती थीं।मीनू की पढ़ाई चल रही थी वो कॉलेज के आखिरी साल में थी उसी के साथ पढ़ने वाले अनुराग से

उसकी दोस्ती हो गई।वो और अनुराग शादी करना चाहते थे।मीनू को रतन से बात की रतन ने साफ मना कर दिया बोला मीनू हमारे प्यार का नाजायज फायदा नहीं उठाना चाहिए तुम ऐसा कोई काम  मत करना जिससे हमारी नाक कट जाए।पर मीनू पर अनुराग का ऐसा भूत सवार था कि वो एक दिन कॉलेज के लिए निकली।घर से पैसे और कपड़े ले कर निकली और अनुराग के साथ चली गई।अनुराग

और मीनू शहर छोड़ अनुराग के शहर आ गए।उसके मां बाप ने उन दोनों की शादी करवा दी और खुशी खुशी संसार करने लगे।इधर मीनू के घर से जाने के कारण घर में भूचाल आ गया।रतन की मां  तो मीनू के गम में पागल हो गया। रतन का दिल टूट गया पर वो कुछ बोला नहीं इसका असर ये हुआ कि उन्होंने अपना मोहल्ला छोड़ा आनन फानन घर बेच वो दूसरी जगह चले गए। घर की लड़कियों

पर बंदिश लग गई।स्कूल जाने लाने की जिम्मेदारी भी भाइयों की थी।घर में भी कड़ा अनुशासन था।उधर मीनू अपने घर में सुखी थी पर अपने मायके को बहुत याद करती एक आध बार संपर्क करने की कोशिश भी की। पर वहां से कोई जवाब नहीं आया।इसी ग़म में पिताजी स्वर्ग सिधार गए।रतन पत्थर

हो चुका था गुस्सा करने लगा था।जो किसी से ऊंची आवाज में बात नहीं करता था।मीनू को अपने घर की याद आती अनुराग उसे मिल।ने लाया वहां आकर पता चला कि वो लोग घर बेच कर चले गए हैं।समय बीत रहा था मीनू दो बच्चों की मां बन गई थी।पर वो अभी भी अपने भाइयों और परिवार के लिए

तड़पती थी।एक दिन अनुराग किसी काम  से मीनू के शहर  आया।वहां उसे मीनू का भाई मदन दिखाई दिया।उसका पीछा करते करते वो उसके घर तक आया।उसने देखा घर के बाहर एम्बुलेंस खड़ी है।उसने पड़ोसियों से पूछा कौन बीमार है? तो उन्होंने कहा घर का बड़ा बेटा उसे किडनी का प्रॉब्लम है डोनर ढूंढ रहे हैं।बहुत परेशान हैं। अनुराग सब पता कर घर आया और उसने सारी बात

मीनू को बताई ।मीनू बोली मै भाई से मिलने जाऊंगी। अनुराग उसे लेकर हॉस्पिटल आया।डॉक्टर से बात की डॉक्टर बोला डोनर नहीं मिल रहा है उनके लिए मीनू बोली डॉक्टर प्लीज़ आप मेरे टेस्ट करे मेरे भैया को बचाइए। डाक्टर ने टेस्ट किए सब मैच हो गया। ऑपरेशन की तैयारी की गई।मीनू के कहने पर डोनर की पहचान ऑपरेशन तक गुप्त रखी गई। ऑपरेशन हो गया सब खुश थे कि रतन

अब जिंदगी ढंग से जी पाएगा।वो लोग जानना चाहते थे कि किस ने किडनी दी पर पता ना चल सका।उसी बीच एक दिन हॉस्पिटल में मदन रतन की दवाइयां लें रहा था वहीं अनुराग भी दवाई ले रहा था दोनो की दवाई के लिफाफे बदल गए इसलिए मदन अपनी दवाई लेने आया वहां उसने देखा मीनू लेटी है।मदन बोला ये तो मेरी बहन मीनू है इसे क्या हुआ ये यहां कैसे ।अनुराग बोला भैया घबराइए नहीं मीनू ने ही बड़े भैया को किडनी दी है।अब वो ठीक है मै उसका पति अनुराग बैंक में काम करता हूं।

हम देहरादून में रहते हैं। मदन बोला आप लोगों को ये सब कैसे पता चला।अनुराग बोला हम तो शुरू से ही आपकी तलाश कर रहे थे।पुराने घर गए तो पता चला कि आप लोग कही और चले गए हैं।बहुत साल लगे आपको ढूंढने में।मीनू होश में आई बोली मदन भैया मुझे माफ कर दो।मुझे रतन भैया से मिलना है प्लीज़ भैया ।मदन बोला तुम ठीक हो जाओ फिर मिलवाता हूँ।20 दिनों में दोनो को

हॉस्पिटल से डिस्चार्ज मिला।अगले दिन राखी थी मदन बोला बहना तू कल जरूर आना।भैया तुझे देख पिघल जाएगा।मीनू ने दोनो भाइयों के लिए राखी खरीदी। सुबह वह अनुराग और दोनों बच्चे ।मीनू के घर के बाहर खड़े थे।मीनू बहुत कमजोर हो गई थीं उधर रतन भी बिस्तर पर लेटा था आज उसे मीनू बहुत याद आ रही थी।पर अपनी सुनी कलाई को वो बैठा तक रहा था।तभी मदन अंदर आया बोला

भाई तुमसे मिलने कोई आया है।रतन बोला कौन है? मीनू अंदर आई ।रतन चिल्लाया तू तू यहां क्यों आई है हमारे लिए तू मर गई है जा यहां से।रतन की पत्नी कल्याणी बोली अजी यही है वो जिसने आपको जीवन दान दिया है।मदन बोला हा भैया वो अपने घर में खुश हैं देखो दामाद जी आए हैं।रतन बोला इसने तो हमारी जान ले ली तू कह रही है जीवन दिया है। मदन बोला हा भैया अपनी एक

किडनी देकर मीनू ने ही तुम्हें बचाया है।रतन बोला मीनू मेरी बच्ची ये तूने क्या किया मेरे लिए अपना शरीर खोखला कर दिया।मीनू बोली भैया मुझे माफ करदो।ये बंधन सिर्फ कच्चे धागों का नहीं है।ये प्यार विश्वास और स्नेह का बंधन है।मेरा भाई जीएगा तो मैं जिऊंगी।तब तक कल्याणी और रश्मि

आरती का थाल सजा लाई।15 साल बाद आज रतन और मदन की कलाई पर राखी थी।मदन की

बेटियों ने भी रतन के बेटों और मीनू के बेटे को राखी बांधी और मीनू की बेटी ने भी भाइयों को राखी बांधी। रतन बोला बहन तुझे इस रक्षाबंधन क्या चाहिए।मीनू बोली भाइयों की सेहत और उनका प्यार बस मेरा यही सपना है।तब तक भाभी ने सबको खाना परोसा।मीनू और रतन को परहेजी खाना दे आराम करने को कहा।

रतन और मीनू दोनों यही सोच रहे थे ये प्यार का धागा हर चीज से बड़ा है ।है ईश्वर इसे यूहीं सलामत रखना।

स्वरचित कहानी 

आपकी सखी 

खुशी

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