पिया की प्यारी-संगीता अग्रवाल

” श्रुति जल्दी से नाश्ता बना दो यार इंटरव्यू के लिए जाना है मुझे !” रमन बाथरूम में से बोला।

” हां हा बना रही हूं …लगता है जनाब शादी की सालगिरह ही भूल गए .. मैं भी नहीं विश करूंगी जब तक जनाब को याद नहीं आता !” श्रुति रसोई की तरफ़ जाती हुई खुद से बोली।

” अरे बहू तुम आ गई जरा मुझे पूजा के लिए बर्तन धो कर दे दो !” उसे रसोई में आता देख सास निर्मला जी बोली।

” जी मांजी अभी देती हूं!” श्रुति बर्तन धोने में लग गई फिर रमन के आते ही उसे नाश्ता दिया और रमन इंटरव्यू के लिए निकल गया।

” अरे श्रुति बेटा आज तो तुम्हारी शादी की सालगिरह है शादी की सालगिरह बहुत बहुत मुबारक हो बेटा !” नाश्ता करते हुए श्रुति के ससुर रवि जी बोले।

” हां पापाजी शुक्रिया !” श्रुति ने हंसते हुए जवाब दिया।

” आज का क्या प्लान है फिर तुम्हारा ?” सास ने रसोई में आ विश करते हुए पूछा।

” मांजी रमन तो भूल ही गए मुझे विश भी नहीं किया!” श्रुति रुआंसी हो बोली।

” बेटा इन दिनों नौकरी की टेंशन है उसे और हो सकता है उसने कोई सरप्राइज प्लान किया हो तुम चिंता मत करो शाम के लिए कुछ उसकी पसंद का बना लो और ये साड़ी पहन कर तैयार हो जाना। देखते हैं शाम को आता है तो क्या होता है !” निर्मला जी प्यार से बोली और उसे एक साड़ी उपहार में दी।

” हां मांजी ये तो है नौकरी की चिंता तो है इन्हे छह महीने हो गए नौकरी छूटे मिल ही नही रही लगता है जैसे नौकरियों का अकाल सा पड़ गया है !” श्रुति बोली।

” वो तो है बेटा ये तो शुक्र है तुम्हारे पापा जी की सरकारी नौकरी है वरना पता नहीं क्या होता।” निर्मला जी बोली और फिर अपने कमरे में चली गई।

शाम को श्रुति ने रमन की पसंद का खाना बनाया और नई साड़ी पहन तैयार हो गई। निर्मला जी और रवि जी समय से खाना खा अपने कमरे में चले गए और श्रुति रमन का इंतजार करने लगी। आज देर हो गई थी रमन को।

” आ गए आप ?” रमन के आते ही श्रुति बोली।

” हां ….वो …!” रमन हकलाने लगा।

” अरे पीछे क्या छिपा रहे हो ?” श्रुति रमन का हाथ पीछे देख बोली।

” वो …वो !” रमन कुछ बोलता इससे पहले ही श्रुति ने उसका हाथ आगे कर दिया।

” अरे वाह गुलाब मतलब तुम्हे याद था हमारी सालगिरह का पर सुबह क्यों नहीं विश किया!” श्रुति झूठी नाराज़गी दिखाते हुए बोली।

” श्रुति सोचा था तुम्हे नौकरी की खुशखबरी के साथ विश करूंगा पर…कोई गिफ्ट भी नहीं ला पाया तुम्हारे लिए अब पैदल आया तब बस इस गुलाब के पैसे बचा पाया हूं ! मुझे माफ़ कर दो कुछ नहीं कर पाया तुम्हारे लिए । पर मैं तुमसे वादा करता हूँ जिस दिन मुझे एक और मौका मिलेगा खुद को साबित करने का मैं तुम्हारी हर ख्वाहिश पूरी करूंगा  !” रमन रूआंसा होते हुए बोला।

” तुम्हारा दिया ये गुलाब मेरे लिए किसी भी उपहार से कीमती है।क्योंकि इसमें तुम्हारे प्यार की खुशबू आ रही है। रही नौकरी की बात वो आज नहीं तो कल मिल ही जाएगी और मेरी ख्वाहिश तो बस हमारा साथ है ।” श्रुति रमन के गले लगकर बोली।

” कितना किस्मत वाला हूं मैं जो इतनी समझदार पत्नी मिली मुझे वरना मैने तो दोस्तों से सुना है पत्नियां गिफ्ट के लिए लडती हैं तुम इस धरती की हो भी या कहीं आसमान से उतरी हो सिर्फ मेरे लिए !” रमन उसे गले लगाए लगाए बोला।

” अब ज्यादा मस्का नहीं चलो मुंह हाथ धो लो और खाना खाओ मैने तुम्हारी पसंद की चीजे बनाई है !” श्रुति उससे अलग होती हुई बोली।

” हैप्पी एनिवर्सरी श्रुति शुक्रिया मेरी जिंदगी में आने के लिए !” रमन श्रुति का माथा चूमते हुए बोला।

” हैप्पी एनिवर्सरी यू टू शुक्रिया मुझे अपना बनाने के लिए !” श्रुति मुस्कुरा कर बोली और रसोई में चल दी रमन भी हंसते हुए मुंह हाथ धोने चला गया।

दोस्तों बस सोच का फ़र्क है अगर श्रुति बिन सोचे समझे रमन से लड़ लडती तो उनकी जिंदगी का खुशनुमा दिन बेकार जाता पर श्रुति ने रमन की आर्थिक और मानसिक दोनों स्थितियों को समझा और अपने खूबसूरत दिन को और खूबसूरत बना लिया और अपने पिया की प्यारी बन गई। वरना तो रमन की किस्मत तो उसे एक और मौका दे ही देती पर शायद उनके रिश्ते को वो मौका ना मिलता । 

कैसी लगी कहानी आपको बताइएगा जरूर।

आपकी दोस्त 

संगीता अग्रवाल । 

#एक और मौका 

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