पिता जी की तेरवी के बाद, सुमित ने अपनी मॉ कमल देवी से कहा, मॉ, अब आप भी हमारे साथ शहर चलो, यहाँ गावँ में अकेली रहेगी तो पिताजी की याद आएगी ओर आप परेशान होती रहेंगी। बेटे का दिल रखने के लिए मॉ ने कहा, अभी थोड़े दिन यहीं रहने दे, अगली बार जब आएगा तो साथ चलूँगी।
सुमित अपने बेटे राहुल ओर पत्नी सुनीता की साथ वापस चला गया। कुछ समय बाद सुमित फिर गाँव गया और मां को साथ ले आया, परंतु सुनीता नही चाहती थी कि सासू मॉ साथ रहे।
शहर में कमलादेवी को सब कुछ नया नया लगता था। राहुल का बस से स्कूल जाना, हर दूसरे दिन अलग यूनिफॉर्म, अलग जूते, ऊँची ऊंची बिल्डिंग, गाड़ियों का शोर शराबा वगैरह वगैरह, पर घर में शान्ति थीं। मंदिर जाते आते पड़ोस वाली राधा चाची से जान पहचान हो गई। उसका पोता भी राहुल का हम उम्र था ओर साथ साथ खेलते थे।
एक संडे, सुमित संब्ज़ी लेने गया तो राहुल भी साथ चला गया। बाजार में राधा चाची मिली तो राहुल ने पापा से कहा, ये बुढ़िया मेरे दोस्त के घर रहती है। सुमित ने ध्यान नही दिया और मोबाइल पर बाते करता रहा। कुछ दिन बाद राहुल की स्कूल बस निकल गई तो सुमित स्कूल छोड़ने चला गया। रास्ते मे एक बजुर्ग औरत सड़क पार कर रही थी,
उसे देखकर राहुल चिल्लाया, ऐ बुढ़िया, देख के चल। सुमित ने राहुल को डांटा, ये क्या बत्तमीजी है, बड़ो के लिये ऐसे बोलते हैं क्या? सब मैनर्स भूलता जा रहा है। फिर एक दिन रात को खाना खाने के लिए सुनीता ने राहुल को बोला,
सबको बुला लो, खाना लग गया है। राहुल ने पापा ओर दादी को बोला, चलो, खाना लग गया है। पापा आ गए पर दादी रामायण पढ़ रहीं थीं इसलिए नही आई। राहुल के 2-3 बार बुलाने पर जब दादी नही आई तो राहुल बोला, मम्मी, बुढ़िया नही आ रही है।
राहुल की बात सुनकर सुमित को गुस्सा आ गया और उसने राहुल को थप्पड़ मार दिया और बोला, यही सब स्कूल में सीखने जाते हो? अगले दिन सुमित ने राहुल के स्कूल प्रिंसिपल ने बात की ओर बताया कि राहुल स्कूल में बहुत गलत शब्द सीख रहा है, जरा ध्यान रखें? कुछ दिन बाद, स्कूल काउन्सलर ने राहुल से बात की ओर सुमित को सारी फीडबैक दे दी।
थोड़े दिन बाद सुनीता की मॉ घर आई, तो उसे देख कर राहुल चिल्लाने लगा, मेरे घर मे दो दो बुढ़ियाँ। ये सुनकर, सुमित ने राहुल को थप्पड़ मार दिया ओर वो रोता हुआ मॉ के पास चला गया। मॉ प्यार से बोली, बेटा, ये तुम्हारी नानी है, ऐसा नही बोलते। राहुल बोला, तो क्या दादी को ही बुढ़ियाँ बोलते हैं,
नानी को नही? राहुल की बात सुनकर सुमित सासु मॉ की तरफ देखकर बोला, जो थप्पड़ मेने राहुल को मारा है, वो सुनीता को मारना चाहिए था। बच्चे चार पांच घंटे स्कूल में रहते हैं, बाकी के बीस घंटे तो मॉ को देखते, सुनते ओर सीखते हैं। मॉ जैसा व्यवहार, बोलचाल घर मे रखती हैं, बच्चे भी वही सीखते हैं।
कुछ समय बाद जब राहुल तुम्हें भी बुढ़िया आदि नाम से बुलायेगा, तब शायद तुम्हें समझ आएगा। सुमित की बात सुलकर, सुनीता सासू माँ की पैर पकड़ कर रोने लगी ओर बोली, मॉ जी मुझे माफ कर दो, मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई,
आगे से किसी के लिए भी गलत शब्द का प्रयोग नहीं करूंगी। मैं नहीं जानती थीं मेरी सारी हरकते राहुल भी देख सुन रहा है ओर गलत गलत बातें सीख रहा है । मैं अनजाने में अपने बेटे का जीवन बिगाड़ रही थीं।
सुनीता की मॉ बोली, बच्चों का पहला टीचर उनके मॉ बाप ओर पहला स्कूल उसका घर होता है। यहां की शिक्षा सारी उम्र उनके दिलों दिमाग पर छाई रहती हैं।
लेखक
एम. पी. सिंह
स्वरचित, अप्रकाशित