Moral Stories in Hindi : रजनी अपने भाई विशाल से बहुत प्यार करती थी उसको जरा सा भी दुखी नहीं देख सकती थी क्यूंकि रजनी के माता – पिता विशाल दो साल का था तब एक हादसे मै गुजर गए
रजनी को आज भी याद है जब मां उसके पास छोड़कर जा रही थी तब उन्होंने कहा था रजनी विशाल का खुद से भी ज्यादा ध्यान रखना हम शाम तक आ जाएंगे पर वो शाम कभी नहीं आई दस साल की रजनी विशाल की खुद से भी ज्यादा
देखभाल करने लगी उसके नाना दोनों को अपने साथ ले आए थे नाना ,नानी और सभी के लाड प्यार मै विशाल उद्दंड हो गया था जैसे जैसे बड़ा हुआ और बिगड़ गया अब वो किसी की नहीं सुनता ।
रजनी की उम्र शादी लायक हो गई उसके रिश्ते की बात चलने लगी और अविनाश के साथ बात पक्की हो गई और जल्दी ही शादी हो गई रजनी अपनी ससुराल आ गई ससुराल मैं अविनाश के अलावा सास,ससुर,और एक छोटी ननद थी जो
विशाल की हम उम्र है
विशाल को रजनी के बगैर रहने की आदत नही थी तो वो अक्सर ही रजनी के ससुराल आ जाता रजनी उसको मना भी करती पर मांजी कहती कोई बात नहीं धीरे धीरे आदत हो जाएगी
रजनी को ससुराल मैं सब बहुत प्यार करते और विशाल को भी बराबर मान देते हम उम्र होने के कारण रजनी की ननद अविका विशाल के साथ समय व्यतीत करती विशाल के मन मै कुछ और चल रहा था जिसकी खबर किसी को नही थी
एक दिन सास ससुर बाहर गए थे घर मैं विशाल और रजनी थे रजनी को जरूरी काम से बाजार जाना था उसने विशाल से कहा कि वो साथ चले
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पर विशाल ने सरदर्द का बहाना करके मना कर दिया अविका भी स्कूल से नहीं आई थी।
रजनी को अकेले बाजार जाना पड़ा वो काम खत्म करके घर आई तो देखा अविका रो रही थी
पूछने पर पता चला विशाल जबर्दस्ती किस करने की कोशिश कर रहा था
रजनी ने विशाल मै दो चांटे लगाए और कहा तेरी हिम्मत कैसे हुई ये सब करने की आइंदा यहां आया तो पुलिस मै दे दूंगी
विशाल बोला आप मुझसे इतना प्यार करती हो और इसके लिए मुझे दूर कर दोगी कह देना घर मैं की ये झूठ बोल रही है
रजनी बोली मुझे पता है ये झूठ नहीं बोल रही इसका डर सच्चा है और प्यार से बड़ा मेरा फर्ज है
एक लड़की की इज्जत बचाना आज तुझे माफ कर दिया तो ये हमेशा डर मै रहेगी जब भी तुम यहां आओगे जाओ माफी मांगो उस से और अभी निकल जाओ यहां से और आइंदा कभी मत आना
और अविका को गले लगाकर चुप कराया ।
विशाल को अपनी गलती समझ आ गई उसने रजनी से भी मांगी एक गलती के कारण वो अपनी दीदी से दूर हो गया था ।।
#तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई ,प्रतियोगिता
स्वरचित
अंजना ठाकुर