पट्टी  पढ़ाना – महजबीं : Moral Stories in Hindi

मौसी जी मम्मी को पट्टी पढ़ा रही थी और  नेहा उनकी बातों को ध्यान से सुन रही थी। मौसी जी  अयान भैया  की शादी मे  किसी कारण वश नहीं आ पायी थी।  वो भोपाल मे रहती थीं और हम नागपुर में।  अब शादी के दो महीने के बाद वह भाभी को देखने आयी थीं।

शादी की तमाम  जानकारी लेने के बाद वह मम्मी से कह रही थीं ,”ये क्या बाजी, अयान बेटे को दहेज मे तो कुछ मिला ही नहीं। न कार, न कैश, न कोई फ्लैट। इंजीनियर है हमारा अयान। पर क्या मिला उसको?  बहु भी  दिखने मेंबस ठीक ही है। कहाँ शादी कर दी उसकी? इतनी जल्दी क्या थी। मुझे बताती बहुत बड़े घर मे रिश्ता कराती।” मम्मी बोली, “अरे दीदी ठीक है। अब जो हो गया सो हो गया।

मेरा  बेटा खुश है, यही काफी है। ” मौसी जल भुन  गयी। बोली, ” क्या ख़ाक खुश है।  खुश होने का  दिखावा कर रहे हो तुम लोग।अभी  भी कुछ नहीं बिगड़ा है। मैं कहती हूँ बहु को तलाक़ दिलवा दो। मैं दूसरी शादी करवा दूँगी बहुत अच्छी। ” मुझसे अपने प्यारे भाई और भाभी के लिए ये सब सुनना अच्छा नहीं लग रहा था। भैया जब ऑफिस से घर आये।

तो मैंने उनको चुपके से  उन्हे मौसी जी की सारी बात बताई। भाभी रसोई मे थीं वो कुछ नहीं जान सकी। भैया मेरी बात सुन कर बहुत गुस्से मे आ गए। उन्होंने रसोई में जाकर भाभी का हाथ पकड़ा और उन्हें लेकर मम्मी के कमरे मे पहुँच गए जहाँ मौसी  मम्मी  के साथ खुसर –  पुसर कर रही थीं।  भैया गुस्से से बोले,

“मम्मी और मौसी आप दोनों हमें अलग करने की जो साज़िश रचा रही हैं उसे भूल जाइये। शीबा से मैंने अपनी मर्ज़ी से शादी की है। मुझे दहेज में कुछ नहीं चाहिए था। मौसी जी, आपको ये सब कहते शर्म आनी चाहिए। आपकी खुदकी दो बेटियाँ हैं। शीबा की मम्मी सिंगल पैरेंट हैं। उन्होंने किस मुश्किल से शीबा और उसके छोटे भाई को पाला है और पढ़ाया है।

शीबा  एक बड़े कॉलेज में लेक्चरर है। हम दोनों अपनी मेहनत से सब कुछ बना लेंगे। आपको चिंता करने की ज़रूरत नहीं है। प्लिज़  आप मेरी  सीधी सादी मम्मी को पट्टियाँ न पढ़ाइये। ” मौसी का चेहरा देखने वाला था। उनको ऐसा जवाब मिलेगा उन्होंने सोचा भी नहीं था। 

लेखिका :  महजबीं

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