पतिधर्म – देवश्री गोयल : Moral Stories in Hindi

कई वर्षों बाद सौरभ नाम से किसी का फ्रेंड रिक्वेस्ट  देख कर  अचंभित हो गयी थी सुरभि…!अनायास ही प्रोफाइल चेक करने लगी देखूं तो कौन है??।प्रोफ़ाइल फोटो देख कर सुरभि का शक यकीन में बदल गया।ये तो सौरभ ही थे। जल्दी 2 उसने सौरभ का पूरा प्रोफ़ाइल  देख डाला ।पत्नी, बच्चे,व्यवसाय मित्र कामयाबी की दास्तां आदि।  मुस्कुरा उठी सुरभि फिर…वर्षो बाद भी सौरभ को वो याद है…. हां सच ही तो है वर्षो बीत गए…!

इंटर कॉलेज कॉम्पिटिशन होने वाला था।सुरभि बहुत ही अच्छा गाती थी…!फाइनल ईयर भी था। बाद कॉलेज के बाद कौन कहां मिल पाते हैं कोई मलाल बाकी नहीं रखना चाहती थी सुरभि, इसलिए उसने अपना नाम singing में लिखवा दिया था।मैम ने कहा भी  “girls में तो तुम हर बार ये कॉम्पिटिशन जीतती हो..

पर हमारे कॉलेज से कोई भी boys नही जीत पाते उस सौरभ से…!लगातार2 साल से वो ही जीत रहा है।”  सौरभ दूसरे कॉलेज का  स्टूडेंड थे। सुरभि ने पहली बार उसे मंच पर ही देखा था।बहुत ही सधा हुआ गला था सौरभ का …मुग्ध भाव से सुना था सुरभि ने उसका गाना…

और जब वो प्रथम आया तो बहुत खुश भी हुई थी वो। कुछ हल्के फुल्के पलों की मुलाकात थी दोनों की … सौरभ, सुरभि की आवाज से बहुत प्रभावित था। किंतु वे मंच के बाहर बाद में कभी नहीं मिले।कॉलेज से निकलते ही सुरभि की आकाशवाणी में  नौकरी लग गई…!!

एक दिन पता चला अंचल के गायक कलाकार  टीम के कलाकारों का इंटरव्यू  था।और होस्ट थी सुरभि …सौरभ भी वहां आये हुए थे …!एक बार में ही सुरभि ने उसे पहचान लिया।सौरभ भी उसे भूला नहीं था…!कार्यक्रम के बाद औपचारिक बातों के बीच सौरभ ने उसे पूछा”क्या हम कहीं मिल सकते हैं “? “क्यों??”सुरभि ने पूछा! “बस ऐसे ही!” और सुरभि ने मना नहीं किया।एक अजीब आकर्षण था सौरभ के व्यक्तित्व में…!

काफी हाउस के कोने के टेबल में बैठ कर सौरभ  ने सुरभि से अचानक पूछा” विवाह कब तक करने का इरादा है?”अचानक ही इस प्रश्न से सुरभि थोड़ी अनमनी हो गयी…

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मजे की बात ये थी कि दोनों ही सजातीय थे।सुरभि एक अत्यंत मध्यम परिवार से थी, वहीं सौरभ आभिजात्य परिवार से सम्बद्ध रखता था।””अभी तो कुछ नहीं सोचा है… पहले दीदी लोगों की शादी हो जाये फिर मेरी होगी … सौरभ भी अधिक कुछ बोल नहीं पाए …किन्तु इस मुलाकात ने दोनों के मन को छू लिया था… एक अपनापन एक सोंधा सा सम्बंध पनप गया था दोनों के बीच….!

फिर दोनों ही लौट गए अपनी दुनिया में… न वादा न करार फिर भी….!

इधर दोबारा कभी सौरभ से सुरभि की मुलाकात नहीं हुई…!

उन दिनों न तो फोन हुआ करता था न ही कोई msg करने का साधन …!किन्तु जिन्हें मिलाने का नियति ठाने बैठती है …वो मिल ही जाते हैं…!

सुरभि के मामा की लड़की की शादी में दूसरी जगह जाना हुआ…वहां लड़के के घर में अचानक उसने सौरभ को भी देखा…!दोनों अचंभित भी हुए और खुश भी…!क्यों ??दोनों को नहीं पता था !पर एक मीठा सा अहसास हुआ दोनों को एक दूसरे को देख..कऱ “अरे …आप”?सुरभि ने अपनी खुशी छुपाते हुए पूछा “हाँ मेरे दोस्त के भाई की शादी है!”तुम किसके साथ आई हो?

पूरा परिवार मेरे मामा की लड़की है ….!अरे वाह इस तरह तो हम रिश्तेदार हुए…मुस्कुराती हुई सुरभि ने अपना सर नीचे कर लिया…!बंगाली शादी में शादी की रात एक रस्म होती है जिसे कालरात्रि कहते हैं…!दूल्हा दुल्हन अपने दोस्तों सहेलियों के साथ गाते बजाते पूरी रात बिता देते हैं…!

उस रात सौरभ ने भी  सुरभि से अपने दिल की बात कह दी… क्या तुम मुझसे विवाह करोगी…?” देखिए मैं इस बारे में आपको कुछ नहीं कह सकती..!”आप घर में रिश्ता भेजिए…!”और शर्मा कर सुरभि भाग गयी। रिश्ते की बात चली भी, लेकिन दान दहेज में बात अटक गयी …और फिर दोनो कभी मिले..!

आज फेस बुक में फ्रेंड रिक्वेस्ट देख कर सुरभि अतीत की यादों में खो गई थी…उसने रिक्वेस्ट स्वीकार की,और मन ही मन मुस्कुरा पड़ी…। एक सुखद आश्चर्य ये था कि सौरभ भी अभी इसी शहर में था…।एक प्रोग्राम में दोनो आमने सामने हुए…। सौरभ को देख कर सुरभि बेहद आश्चर्य चकित हुई।काफी उम्र दराज दिखने लगा था…आंखों के काले घेरे चश्मे से साफ दिख रहे थे ..। बात भी बहुत कम ही हुई… पत्नी बच्चे साथ थे… शायद झेंप रहे होंगे… सुरभि ने सोचा।

बहरहाल उस प्रोग्राम में सुरभि का एक जानने वाला भी था… उसने जो कुछ सौरभ के बारे में बताया तो सुरभि चौंक उठी…”हेवी ड्रिंक करने लग गए हैं दादा…पत्नी बच्चे की भी नहीं सुनते… गाना तो छोड़ ही दिए हैं…। कहते हैं सब कुछ है मेरे पास बस सुकून नहीं है…।”सुरभि समझ नहीं पा रही थी कि वह कैसे सौरभ को समझाए..?”

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दूसरे दिन उसने सौरभ को cl किया…! औपचारिक बातें करते करते सुरभि ने कहा “आप बहुत कमजोर हो गये हैं क्या कोई तकलीफ है आपको?”नहीं भी और हां भी!”सौरभ ने कहा!!”क्या तकलीफ है बता सकते हैं…!”कुछ छूट गया है सुरभि पीछे…!” सुरभि का दिल धक्क से रह गया…! क्या सौरभ मुझे भूले नहीं?

“आज मन की कह लेने दो सुरभि प्लीज”..! मैने मन ही मन तुमको अपनी पत्नी मान लिया था..शादी के लिए मेरी दादी ने मुझे अत्यंत इमोशनल ब्लैकमेल किया। विवाह की रात अपनी पत्नी को तुम्हारे बारे में मैने सब कुछ बताने की सोची..! पर क्रोध मे आकर यदि वो घर में बता दी तो तुम पर आंच आयेगी ये सोच कर चुप रहा.!” गहरी सांस लेकर सौरभ ने कहा मेरी पत्नी विवाह से पूर्व ही गर्भवती थी..!”क्या???सुरभि चौंक गई।

“बस पहली ही रात मुझे पत्नी धर्म निभाने का रास्ता मिल गया था। उसके जुड़वा बच्चों को मैने अपना नाम दिया…।और मैं तुम्हारे लिए सुरभि अब तक अपना पति धर्म निभा रहा हूं।”

सुरभि सन्नाटे में थी पत्नी अपने पति के लिए पति धर्म निभाने वाली बात सबने सुनी देखी है पर पति धर्म वो भी ऐसा..? सुरभि ने बिना कुछ कहे फोन रख दिया और रोती रही…!

अगले दिन सुरभि के पास एक फ़ोन आया…”दीदी सौरभ दादा नहीं रहे उनके गले में कैंसर था। अंत तक उन्होंने किसी से कुछ नहीं बताया था।”

,सुरभि जो अब किसी दूसरे की सधवा थी ,वो ये समझ नहीं पा रही थी कि वो खुद को क्या समझे..?”कैसे धर्म संकट में प्रभु ने उसे डाल दिया…!”निढाल होती सुरभि सिर्फ और सिर्फ सौरभ को आंसुओं से श्रद्धांजलि दे रही थी।

देवश्री गोयल जगदलपुर

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