परिवार की इज्जत – बिंदेश्वरी त्यागी : Moral Stories in Hindi

विवाह मंडप में बैठे पंडित जी बार-बार कह रहे थे की फेरों का समय हो गया है कन्या को लाइए l कन्या को लाने में देरी हो रही थी l सक्षम दूल्हा बना मंडप में बैठा दुल्हन का इंतजार कर रहा था

थोड़ी देर बाद साक्षी की मां सक्षम की मां गीता देवी कन्या को लेकर आती हैं l उसे देखकर सक्षम उठने को होता है तभी गीता उसे बैठने का इशारा करती है l सक्षम बहुत संस्कारी लड़का था अतः वह चुपचाप बैठा रहता है l उसकी मां साक्षी की यादों में खो जाता है l सक्षम होकर भी वहां नहीं होता l 8 महीने से जी शुभ घड़ी का वह इंतजार कर रहा था वह इस तरह से आएगी सक्षम ने कभी कल्पना भी नहीं की थी l

जो लड़की उसके साथ बैठी थी वह साक्षी नहीं उसकी छोटी बहन सोनाली थी l

पंडित जी ने हवन की बेदी तैयार कर ली और बोले वर कन्या फेरों के लिए खड़े हो जाएं l सक्षम अपने आंसुओं को रोक कर भारी मन से खड़ा हो गया साथ में सोनाली भी खड़ी हो गई l पंडित जी मंत्र उच्चारण करते रहे और सक्षम और सोनाली कठपुतली की तरह फेरे लगाते रहे सात फेरे पूरे होने पर पंडित जी बोले की फेरे पूरे हुए अब घर कन्या की मांग में सिंदूर भरकर उसे मंगलसूत्र पहना दे l सक्षम कठपुतली की तरह पंडित जी के कहे अनुसार सब करता गया l आखिर में पंडित जी ने कहा कि अब आप दोनों पति-पत्नी हुए l सभी बड़ों का आशीर्वाद लीजिए l

विधि विधान से सक्षम और सोनाली का विवाह संपन्न हुआ और विदाई की तैयारी होने लगी l सक्षम केवल शरीर से वहां उपस्थित था मन तो साक्षी की यादों में खोया हुआ था और उसके अंतर मन में उथल-पुथल मची हुई थी कि ऐसा क्या हुआ जो चुपचाप दोनों परिवारों ने उसकी शादी साक्षी के बदले सोनाली से कर दी l वह चाह रहा था कि जल्दी से विदाई हो और वह अपनी मां से सच्चाई जाने की उन्होंने ऐसा क्यों किया l

थोड़ी परिवारों के मामले में जानकारी लेते हैं l दरअसल बात यह थी कि दोनों ही प्रतिष्ठित परिवार थे l सक्षम के पिता का रेडीमेड कपड़ों का कारोबार था और साक्षी के पिता कॉलेज में प्रोफेसर थे l दोनों परिवारों के बीच पहले से मेलजोल था तो घर पर आना-जाना भी रहा इस दौरान साक्षी और सक्षम भी एक दूसरे को पसंद करने लगे यह देखकर दोनों परिवारों की सहमति से करीब 8 महीने पहले साक्षी और सक्षम की सगाई कर दी गई l तब से दोनों का मिलना जुलना और घूमना फिरना चला रहा l फिर उनके विवाह की तारीख भी निश्चित हो गई l

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अब आगे की कहानी की ओर चलते हैं l सोनाली की विदाई हो गई और वह अपनी ससुराल पहुंच गई दरवाजे पर सक्षम की मां मां गीता देवी आरती की थाली लिए खड़ी थी l उन्होंने वर वधु की आरती उतार कर बहू का गृह प्रवेश कराया l उसके बाद सोनाली को सक्षम के कमरे में पहुंचा दिया गया l

सक्षम मौका देखकर अपनी मां को एक कमरे में ले गया और बोला 

मम्मी मुझे बताओ मेरी शादी आप लोगों ने सोनाली के साथ क्यों करवाई जबकि रिश्ता साक्षी के साथ हुआ था l मैं बहुत असमंजस में हूं जल्दी बताओ l

गीता देवी प्यार से बोली की बेटा दोनों परिवारों की इज्जत का सवाल था इसलिए ऐसा किया गया l फिर बोली की फेरों के समय जब साक्षी को लेने उसकी मां उसके कमरे में पहुंची तो वहां पर साक्षी नहीं थी सब जगह देखा कहीं नहीं मिली l शादी का जोड़ा और ज्वेलरी एक जगह पर रखे हुए थे वह समझ गई की साक्षी भाग गई है l उन्होंने इशारे से मुझे और तेरे पिताजी को बुलाया और सच्चाई बयान कर दी l वह बहुत रो रही थी और माफी मांग रही थी कह रही थी कि मुझे इस बारे में कुछ भी पता नहीं था l मौके की नजाकत समझते हुए और परिवारों की इज्जत रखने के लिए सोनाली को बुलाया और उससे कहा की दोनों की परिवारों की इज्जत अब तुम्हारे हाथ में है तुम चाहो तो सक्षम से शादी करके दोनों परिवारों की इज्जत बचा सकती हो l सोनाली बहुत समझदार और संस्कारी लड़की थी वह शादी के लिए तैयार हो गई और तुम्हारे साथ वह मंडप में बिठा दी गई l

सक्षम की आंखों से लगातार आंसू बह रहे थे वह मन ही मन कह रहा था की साक्षी तुमने ऐसा क्यों किया मेरे प्यार में क्या कमी थी l

फिर गीता देवी बोली बेटा सोनाली का कोई कसूर नहीं है वह आप तुम्हारी पत्नी है l मेहमानों से घर भरा हुआ है अपने परिवार की इज्जत का ध्यान रखना इतना कहकर वह कमरे से चली गई l

रात में सक्षम अपने कमरे में जाता है जहां पलंग पर सोनाली बैठी हुई थी सक्षम के कमरे में आते ही वह खड़ी हो जाती है और सक्षम से कहती है 

की जीजू साक्षी दीदी का एक लड़के से 3 साल पहले से अफेयर चल रहा था पर लड़का अच्छा नहीं था इसलिए पापा उसके साथ दीदी की शादी के इच्छुक नहीं थे l फिर दीदी ने कुछ खास प्रतिक्रिया नहीं दिखाई इसलिए आपके साथ सगाई हो गई l

सक्षम बोला कि साक्षी ने मुझे इस बारे में कभी कुछ नहीं बताया l

सोनाली बोली शायद उन्होंने सोचा होगा कि शादी से पहले तक वह मम्मी पापा को मना लेंगे l लेकिन ऐसा नहीं हुआ l जीजू आप बताइए इसमें मेरी क्या गलती है और अभी मैं आपके जीजू ही कहूंगी l

सक्षम बोला कि तुम तो बहुत महान हो तुमने दोनों परिवारों का मान रखा लेकिन तुम यह बताओ कि तुम्हारी जिंदगी में भी कोई लड़का है जिससे तुम प्यार करती हो l

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वह बोली कि मैं भी एक लड़के से प्यार किया था लेकिन कुछ दिन बाद उसने दूसरी लड़की से शादी कर ली l फिर मेरा प्यार पर से विश्वास उठ गया l

सक्षम ने कहा कि सोनाली बाहर मेहमान है इसलिए हाल में मैं नहीं सो सकता मैं यही सोफे पर सो जाता हूं और तुम बेड पर सो जाओ l

सुबह गीता जी उठकर रसोई में चाय बना रही थी तभी उन्हें पीछे किसी के खड़े होने का एहसास हुआ l पीछे मुड़कर देखा तो सोनाली खड़ी मुस्कुरा रही थी l वह नहा कर तैयार भी हो गई थी l

गीता जी बड़े प्यार से बोली की बेटा आज तुम्हें पग फेरे के लिए अपने मायके जाना है सक्षम को भी उठा दो वह भी तैयार हो जाए l

सोनाली ने सक्षम को जगाया और कहा की मां कह रही है कि आज हम लोगों को पग फेरे के लिए मम्मी पापा के घर चलना है आप तैयार हो जाइए l

भारी मन से सक्षम उठा और अपनी तैयारी करने लगा l

इधर गीता जी ने चाय नाश्ता बना दिया था और सोनाली से बोली की बेटी तुम दोनों नष्ट कर लो फिर जाना l

फिर गीता जी ने दोनों को अच्छे से तैयार करके भेज दिया l सोनाली अपने मायके पहुंच गई l वहां बेटी और दामाद का भव्य स्वागत किया गया l सोनाली के मम्मी पापा हाथ जोड़कर बोल की ऐसी बेटी दामाद प्रकार हम लोग धन्य हो गए l जिन्होंने अपनी भावनाओं को मार कर कर हमारी इज्जत राखी हमें माफ कर दो जो स्थिति को देखते हुए हमें ऐसा करना पड़ा l वह बोले सोनाली बेटी आज तुमने यह साबित कर दिया की बेटी घर की इज्जत होती है मायके में माता-पिता की और ससुराल में सास ससुर के घर की l फिर सक्षम से बोले की बेटे आपको आपके माता-पिता ने बहुत अच्छे संस्कार दिए हैं l

सक्षम का दिल अब हल्का हो गया था वह सोचने लगा कि अगर साक्षी को मुझसे प्यार होता तो वह दूसरे लड़के के साथ नहीं जाती l अब सोनाली मेरी पत्नी है और मेरे परिवार की इज्जत l

वह सोनाली के चेहरे की तरफ बड़े प्यार से देखने लगा जो बहुत सुंदर और मासूम सी लग रही थी l

सक्षम ने एक जगह गाड़ी रोक रोक दी और सोनाली से बड़े प्यार से बोल कि मैं बहुत खुशनसीब हूं जो तुम मुझे पत्नी के रूप में मिली l अब मैं बिल्कुल तनाव मुक्त हो गया हूं l आज की रात हमारी सबसे हसीन और यादगार रात होगी l

दोनों बहुत खुश थे l

 

बिंदेश्वरी त्यागी बरहन आगरा

स्वरचित 

अप्रकाशित

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