परिवार – खुशी :

 Moral Stories in Hindi

जगन्नाथ जी समाज के प्रतिष्ठित व्यक्ति थे जिनकी कपड़े की मिल थी।घर में दो बेटे विनय और गौरव प्यारी सी बेटी मेघा और पत्नी पूजा थे।सुखी परिवार था। जगन्नाथ जी बाहर का देखते और उनकी मां जानकी देवी की मृत्य के बाद घर की सारी जिम्मेदारी पूजा पर थी।जब तक सास का राज्य था घर में उनका हुकुम बजता था। उनके जाने के बाद सारी बागडोर पूजा पर आ गई। पूजा के कहने के घर और  बच्चे दोनो थे।बच्चे मां की आज्ञा विरुद्ध कुछ नहीं करते थे।बेटी मेघा तो मां की सबसे ज्यादा

लाडली थी।पढ़ाई पूरी कर MBA करके विनय ने पिता का व्यवसाय संभाला और गौरव ने भी इंजीनियरिंग कर कुछ समय नौकरी की फिर पारिवारिक बिजनेस ज्वाइन कर लिया।दोनो बेटों की शादी अच्छे व्यापारी परिवारों में हुई ।रीना और आरवी के साथ परंतु दोनो जगह रिश्ता पक्का करते हुए  पूजा ने कह दिया था कि आप  की बेटियों को कोई काम नहीं करना घर में नौकर है परंतु रसोई

इनकी जिम्मेदारी होगी सब तरह का खाना  इन्हें  बनाना आना चाहिए।शादी में और सगाई में 4 महीने का अंतर इसी  कारण रखा गया था कि वो खाना बनाना सीख सके। बेटों की शादियां हुई उन्होंने बीवियों को समझा दिया मां जो चाहेगी वो जैसा कहेंगी वैसा होगा उनकी बात हम नहीं काट सकते।

पूजा बहुओं के आने के बाद और बदल गई जहां बेटी के लिए प्यार वहां बहुओं के लिए सख्ती।बहुएं सिर्फ साड़ी पहनेगी। सुबह जल्दी उठ कर नहा कर रसोई में आएगी।उन पांच दिन अलग अपने कमरे में बैठेगी खाना भी सबके बाद मिलेगा।परंतु बेटी के लिए कोई कानून नही।मेघा भी पढाई पूरी कर

चुकी थी उसके लिए लड़के देखे जाने लगे।पर पूजा की शर्तें सुन कोई आगे ना आता।तभी रोहित का रिश्ता आया अच्छा घर परिवार उसके पिता का बहुत बड़ा कोल्हू मिल था।वो बैंक में मैनेजर था। परंतु बिजनेस में घाटे के कारण उनका काम बंद हो गया और इसी दुख में उनका निधन हो गया।पुस्तैनी

घर था।गांव में जमीन थी घर में मां रोशनी  और बहन मिताली थे।रोहित मेघा को बहुत पसंद आया था इसलिए पूजा को ये रिश्ता करना पड़ा।रिश्ते के वक्त ही रोशनी ने और रोहित ने कहा था हमारे यहां सब है कुछ मत देना फिर भी पूजा रोहित के घर गई।और जिस पोर्शन में वो रहने वाले थे उसमें नए

तरीके का काम करवा सामान रखवा दिया। रोहित ने बोला भी कि इस सबकी कोई जरूरत नहीं थी अगर चाहिए था तो आप मुझे बता देते मैं करवा देता। पूजा को समझ आ गया था कि यह बात रोहित को अच्छी

 नहीं लगी पर वह अपनी बात से कहां  मानने वाली थी उसने शादी की शॉपिंग भी बढ़ चढ़ कर की।शादी में इतना लेना देना किया कि बस। शादी निपट गई और मेघा रोहित के घर आ गई।मेघा ने रोहित से पूछा हम हनीमून पर कहा जाएंगे रोहित बोला जहां तुम कहो 15 दिन की छुट्टी है मेरे पास चलो गुलमर्ग चलते है।मेघा बोली नहीं मुझे स्विट्जरलैंड जाना है।रोहित बोला इतनी जल्दी तो पॉसिबल नहीं है।मेघा मुंह फेर सो गई।अगले दिन उसने अपनी मम्मी को फोन कर बताया कि उसे कहा जाना

है।शाम को रिसेप्शन में भाइयों ने गिफ्ट में पूरा ट्रिप ऑर्गनाइज करके दे दिया।रोहित को बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा ।अगले दिन दिल ना चाहते हुए भी दोनों को जाना पड़ा।रोहित के ऑफिस में भी 1 हफ्ते एकस्ट्रा छुट्टी के लिए बोल दिया गया।रोहित को ससुराल वालों की इतनी दखलंदाजी पसंद नहीं थी।वापस आकर रोहित ऑफिस जाने लगा। मेघा 10 बजे तक उठती तब तक रोहित जा चुका होता।

नाश्ता खाना सब रोशनी करती। मेघा उठती मन होता तो खाती नहीं तो ऑर्डर करती फिर तैयार हो मायके चली जाती वही से खा पी कर आती और कई बार रोहित को भी बुला लेती।रोहित मेघा को समझाता इस तरह बार बार ससुराल जाना अच्छा नहीं लगता पर वो कहा मानती। शादी को 2 महीने बीत चुके थे।रोशनी बोली बेटा  खीर बनाने की रसम कर लेते है ताकि तुम अपने मन से किचेन में चाय

काफी या तुम्हे कुछ खाना हो तो बना सको।मेघा बोली ना तो मुझे खाना बनाना आता है नहीं कोई इंट्रेस्ट है।मेघा ने अपनी मां को बताया अगले दिन सुबह उनके दरवाजे पर शेफ खड़ा था बोला मैडम ने भेजा है।खाना अब मैं बनाऊंगा।आज रोहित को बहुत गुस्सा आया।उसने अपने ससुर  जगन्नाथ जी को फोन किया पिताजी मै आपसे मिलना चाहता हूं।जगन्नाथ ने उसे काफी शॉप में बुलाया रोहित ने

सारी बात बताई वो बोला ये सब करके आप मेरे आत्मसम्मान को ठेस पहुंचा रहे है मेरे और मेरे परिवार के लिए यह सब सहना बहुत मुश्किल है। हम सीधे साधे लोग हैं आप कृपया मेघा को समझाए।जगन्नाथ घर  पहुंचे तो मेघा आई हुई थी।मेघा को देख जगन्नाथ बोले बेटा तू यहां कल भी आई थी नई नई शादी है घर को टाइम दो ।पूजा बोली अरे बेटी अपने घर आई है आपको क्या तकलीफ है। जगन्नाथ बोले तकलीफ नहीं पर ये अपनी गृहस्थी में कैसे बसेगी सोचो ना क्या अपनी

बहुएं रोज मायके जाती हैं।खाना खुद बनाती है तुमने मेघा को खाना बनाने के लिए बोलने की जगह शेफ भेज दिया।पूजा बोली आपको किसने बताया जगन्नाथ ने कहा आज रोहित मिला था वहीं सब बता रहा था।यह सुन मेघा घर आई और रोहित से लड़ने लगी।रोशनी बोली बेटा उसने कुछ गलत नहीं कहा मायके से सामान लाना रोज वहां जाना अच्छी बात है क्या? मेघा बोली आपको मुझसे क्या परेशानी।है अपनी ये लड़की बैठी है इसको कुछ सिखाओ इससे घर के काम करवाओ लगती भी

नौकरानी जैसी है ।मेघा रोहित चिल्लाया क्या बोल रही हो।तुम्हे तमीज है माफी मांगो मेरी बहन से ।मेघा बोली माफी और मै माय फुट मै हमेशा के लिए जा रही हूं अगर मेरे साथ रहना हो तो मेरे घर आ जाना। मेघा पैर पटकती हुई चली गई।घर पहुंच सारी बात अपनी मां को बताई और बोली अब मै वहां नहीं जाऊंगी। पूज बोली कोई जरूरत नहीं मै देखती हूं उसे यही बुलाऊंगी। जगन्नाथ ने कहा ऐसा मत

करो बेटी को घर बसाना सिखाओ।आप चुप रहो मै देख लूंगी। विनय बोला मां ये गलत है आप मेघा को घर बसाने के लिए प्रेरित करना चाहिए।पूजा बोली तेरी जबान बहुत चल रही हैं तेरी बीवी को भी घर भेज दूं क्या? विनय वहां से चला गया सब जानते थे ये गलत है पर कुछ नहीं कह सकते थे। जगन्नाथ से विनय और गौरव ने कहा पापा आप कुछ करते क्यों नहीं आपकी चुप्पी घर का माहौल

बिगाड़ रही है।मेघा और मां दोनो अपनी बहुओं के साथ नौकरानी।जैसा व्यवहार करती है उनसे सारे काम करवाती हैं पर मेघा से क्यों नहीं रोहित हीरा है उसे मत गंवाईये।  जगन्नाथ जी बोले लगता है मुझे घर की बागडोर भी संभालनी पड़ेगी।अगले दिन जगन्नाथ,विनय ,गौरव रोहित के घर गए।मेघा के बर्ताव की माफी मांगी और बोले आप मुझे थोड़ा सा समय दे मेरी बेटी बहुत अच्छी है पर मा के प्यार

ने उसका दिमाग खराब कर दिया है।फिर योजना अनुसार अगले दिन रोहित सुबह सुबह अपने ससुराल पहुंच गया और बोला सासू मां आपके हुकुम के हिसाब से मै यहां हूँ।और रोहित सोफे पर लेट गया।मेघा आई बोली ओ रोहित तुम आ गए।रोहित बोला हा मेरी जान मै अपनी मां बहन को छोड़ तुम्हारे पास आ गया।चलो मुझे भूख।लगी है नाश्ता करवाओ पूजा ने बहुओं को आवाज लगाई ।रोहित

बोला मुझे तो आपके हाथ की चाय और पराठे चाहिए।मेरे हाथ के जगन्नाथ बोले जाओ दामाद जी कह रहे हैं तो बनाओ दो मेरे लिए भी मां मेरे और गौरव के लिए भी ।पूजा की काम की आदत खत्म हो गई थी आज इतने पराठे बनाने भारी पड़ गए क्योंकि रोहित ने पराठे भी उसी से परोसने के लिए कहा।

नाश्ता कर रोहित सोफे पर लेट गया।मेघा बोली ऑफिस नहीं जाना क्या? रोहित बोला मैने नौकरी छोड़ दी अब मै तुम्हारे साथ यही रहूंगा जब तुम काम नहीं करती तो मैं क्यों करू? पूजा बोली अपना घर चलाना तो आपकी जिम्मेदारी है।सासू मां अब यही तो मेरा घर है मुझे कहा जाना है वहां तो मां की चिकचिक बहन की परेशानी यहां तो हम दोनों है बस।और रोहित वही मेघा का हाथ पकड़ बैठ गया वो मेघा की गोद में सिर रख लेट गया 

बहु बेटे वहां से शर्मा कर चले गए।अब दिन का खाना भी पूजा को बनाना पड़ता क्यों कि रोहित सिर्फ उसके हाथ से ही खाता था।पूजा परेशान थी बहुएं भी अब पूजा को बोलने लगी कहा से ये बेशरम दामाद उठा लाए घर में इनके लिए सारे नियम कानून अलग है सारा दिन यहां पड़ा रहता है ना काम करता है मुफ्त की रोटियां तोड़ता है। विनय और गौरव भी कभी कभी बाहर चले जाते अपनी पत्नियों

के साथ ।एक दिन तो हद हो गई रोहित ने शाम को बताया खाने में ये खाना है खाना बन गया और वो बोला बेकार बना है बाहर चलते हैं। बाहर भी बड़े होटल में गए बहुत खर्चा हुआ।अब पूजा को लग रहा था कि मेरा घर मेरे बेटे मेरे विरुद्ध हो जाएंगे। उधर मेघा भी परेशान थी क्योंकि रोहित सारा दिन लेता रहता या टीवी देखता उससे भी काम करवाता कभी चाय कभी नाश्ता ।पूजा जगन्नाथ से बोली

आप कुछ कीजिए मेरा घर बिखर रहा है और ये रोहित के आने से तो मै परेशान हो गई हूं।इन्हें इनके घर भेजिए मेघा और उसकी फरमाइशें खत्म नहीं होती।घर भेजूं क्यों तुम यही तो चाहती थीं कि वो घर दामाद बने इसीलिए तो तुम ने बेटी को घर बसाने की नहीं उजाड़ने कि शिक्षा दी सास ननद का अपमान करवाया उसके घर में दखलंदाजी की।बहुओं पर इतनी लगाम और बेटी को छूट ये तो

अन्याय है।हमारी बहुएं अच्छे परिवारों से है फिर भी तुम्हारे कहने पर सब करती हैं बेटी अपने घर और बहुएं अपने घर अच्छे लगते हैं अब मै बोलूंगा और तुम चुप रहोगी जगन्नाथ जी बोले।आज पहली बार पूजा को लग रहा था मैं गलत थी बहु बेटी में फरक किया और बेटी का घर बसने ना दिया।सबके सोने पर जगन्नाथ, गौरव,विनय और रोहित छत पर मिले जगन्नाथ जी बोले तीर निशाने पर लग चुका है

सब अपनी अपनी एक्टिंग के लिए तैयार हो जाओ सुबह मिलते हैं।अगली सुबह रोहित जोर जोर से चिल्ला कर बोला आज चाय नाश्ता मिलेगा। बड़ी बहु रीना चाय नाश्ता लाई।रोहित बोला ये क्या बनाया है आपने रीना बोली अपनी पत्नी से बनवा लीजिए।मुफ्त की रोटी तोड़ते शर्म नहीं आती।रोहित

ने बवाल मचा दिया सारा घर इक्कठा हो गया रोहित बोला मै जा रहा हूं मेघा तुम आ रही हो या तलाक के कागज भेजु।मेघा भी अपने पति की इज्जत के लिए घर जाना चाहती थीं और अब पूजा भी बेटी का घर बसाना चाहती थी तो वो आगे बढ़ बोली जा मेघा बेटी के घर उसका ससुराल होता है और आज मै तुझे सही शिक्षा दूंगी  बेटा रोहित का घर तेरा घर है उसे अपना और अपनी जिम्मेदारी उठा।फिर

अपनी बहुओं से बोली बेटी तुम दोनों भी मुझे माफ कर दो तुम्हारा जैसें मन करे वैसे काम करो शांति भंग नहीं होनी चाहिए।रीना और आरवी बोली मां जैसा आप चाहेंगी वैसे ही सब होगा।मेघा बोली मां पापा मैं अपने घर जा रही हूं। जगन्नाथ जी बोले जा बेटी अपना घर बसा।रोहित और मेघा को छोड़ने सब बाहर आए। रीना और आरवी ने रोहित से माफी मांगी रोहित बोला सॉरी तो मुझे बोलना चाहिए

आपको परेशान किया।वो दोनों बोली हमे पता है ये सब नाटक था।अड़ियल मां बेटी को लाइन पर लाने का।रोहित मेघा गाड़ी से बैठ घर की तरफ चल पड़े।मेघा ने घर जा कर रोहित और उसकी मां बहन से माफी मांगी।आज 6 महीने बाद रोहित के घर गहमांगहमी थी सब तरफ बस मेघा की पुकार

थी क्योंकि आज उसकी ननद की शादी थी जिसकी जिम्मेदारी मेघा पर थी आज मेघा को देख पूजा की आंखों में खुशी के आसू थे।वो सोच रही थी यही सब पहले सिखाया होता तो वो दिन ना देखने पड़े होते।

स्वरचित कहानी 

आपकी सखी 

खुशी 

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