विष्णु और अपूर्वा अपने कमरे में अजीब हरकत करने लग जाते है जिसे देखकर एकबार तो उमा डर ही जाती है जिससे उसका घंटी बजाना बंद हो जाता है और बच्चे फिर से सामान्य हो जाते है और खिलखिलाने लग जाते है जिसपर उमा उन दोनो को बहुत डांटती है और जब डांट रही होती है तो गौरीशंकर आकर पूछने लग जाता है और उमा उसे सारी बातें बता देती है
उमा…. महाराज जी ने तुम्हे बच्चों के कमरे में घंटी बजाने से मना किया था न फिर तू क्यों घंटी बजाई …..
विष्णु के पापा वो मैं महाराज जी के बारे में सोचते सोचते भूल बैठी जिस कारण ये हुआ, लेकिन ये बच्चे भी शैतान हो गए हैं मुझे डरा ही दिया था
हां उमा शैतान तो हो ही गए है ये….( गौरीशंकर बच्चों की ओर देखकर सोचता है और धीरे धीरे बुदबुदाता है)
खैर …
चलो अपना काम करो मैं भी आज यही बैठूंगा …(गौरीशंकर)
अच्छा ..
आज लगता है मैं और बच्चे आपके हाथ का बना खाना खाने वाले है…..( कहकर उमा मुस्कुरा देती है)
लेकिन गौरीशंकर अंदर ही अंदर रोने लग जाते है अपने वास्तविक बच्चों की स्थिति के बारे में सोचकर जिससे उनके चेहरे पर दुख की रेखा घिर जाती है और आंखो में आंसू आ जाते है..
एक बात बोलूं जी …..( उमा ने गौरीशंकर से कहा)
हां बोलो ( आंखे पोंछते हुए गौरीशंकर)
खाना बनाने की इच्छा नहीं हो रही है बार बार महाराज जी का वो पिता समान चेहरा सामने आ जाता है …..
हां खाने की इच्छा तो मेरी भी नही है…
लेकिन बच्चों को भूखे नहीं रख सकते ना इसलिए उनके लिए बना देती हूं….( उमा बोली)
उन शैतानों को खिलाने की क्या जरूरत ( गौरीशंकर मन ही मन सोचता है)
कहां खो गए जी……( उमा बोली)
हां…. हां
उनके लिए बना दो
मैं यही बैठता हूं
ठीक है बैठिए
( चूल्हे के पास बैठकर गौरीशंकर सोचने लग जाता है की महाराज जी जिनके पास इतनी शक्तियां थी उस चंद्रिका ने उनको मार डाला तो क्या उनके बनाए रक्षकवच हमारी मदद कर पायेगा, और अब महाराज जी तो रहे नही तो मेरे बच्चों को मैं कैसे ढूंढ पाऊंगा …..सोचते सोचते गौरीशंकर के आंखों से अश्रु की धार निकल जाती है)
आप रो रहे है जी
होनी को कौन टाल सकता है ( उमा बोली)
सच है उमा….
होनी को कौन टाल सकता है लेकिन आगे आने वाली घटनाओं से बचने के उपाय तो निकले जा सकते है न….
रात के करीब 12 बज रहे थे अचानक से आंगन में सरसराहट की आवाज आती है और गौरीशंकर उठ कर बैठ जाता है क्योंकि नींद तो गौरीशंकर को अपने बच्चे के बारे में सोच सोचकर आ ही नहीं रही थी
गौरीशंकर ने उमा को जगाना उचित नहीं समझा और स्वयं ही उठकर दरवाजे की ओर बढ़ा और महाराज जी द्वारा दिए गए माता चंडी के मंत्रों से अभिमंत्रित सुरक्षा कवच को पहन लिया….
लेकिन मन में शंका थी की स्वयं महाराज जी अपने आप को बचा नही पाए तो क्या उनके द्वारा अभिमंत्रित कवच मेरी रक्षा कर पायेगा
( उसके मन में महाराज जी की बातों पर से भरोसा उठ गया था फिर भी अपने बच्चों की खातिर )
गौरीशंकर ने धीरे से दरवाजा खोला और आंगन की ओर झांक कर देखा तो अवाक रह गया
विष्णु और अपूर्वा एक विशाल चार पैरों वाले जानवर के पीठ पर बैठ कर खेल रहा था
थोड़ी हिम्मत करके गौरीशंकर आगे बढ़ा तो अबकी बार गौरीशंकर के प्राण हलक तक आ गए और वो चीखना चाहा लेकिन चीख नही पाया क्योंकि सामने जो जानवर दिखा रहा था उसके दो चेहरे थे ……
एक भेड़िए का जिसका एक दांत उसके अपने ही जबड़े को फाड़कर बाहर निकला हुआ है और दूसरा कोई और नहीं बल्कि उसके यहां दो दिन शरण पाने वाली चंद्रिका थी और चंद्रिका की नजरें गौरीशंकर से टकरा गई थी जिस कारण गौरीशंकर चीखना चाहा था परंतु वो चीख नही पाया इतने में ही वो भेड़िया एक स्त्री के भेष में आ गया जिसके चेहरे बिलकुल भयंकर लग रहे थे
वो गौरीशंकर की ओर बढ़ी जो अभी भी अवाक था अब डर से गिर पड़ा और मूर्छित हो गया
अब चुड़ैल अपने रूप में थी लेकिन इस बार जैसे वो गौरीशंकर को उसके असलियत के बारे में पता हो जाने के कारण उसकी ओर भयंकर गुस्से में बढ़ी
तभी उस चुड़ैल को एक जोरदार झटका लगा और वो इतनी तेज दीवार से टकराई जिसका उसे एहसास भी नही था और करीब दो मिनट तक वैसे ही गिरकर पड़ी रही…
फिर अपने आप को संभालकर वो जानना चाह रही थी की कौन सी ऐसी शक्ति थी जिसने मुझे इतना तेज झटका दिया….
वो आगे बढ़कर गौरीशंकर को ध्यान से देखती है जो अभी भी मुर्छित है तो उसके गले में पड़े देवी चंडी के मंत्रों से अभिमंत्रित रक्षा कवच दिख जाता है जिसे देखकर वो अचानक पीछे हट जाती है और वहां से चली जाती है…
सुबह सुबह गौरीशंकर के घर पर गांव वाले इक्कठा थे और उसके पास बैठी उमा रो रही थी साथ ही वैध जी गौरीशंकर का उपचार कर रहे थे
तभी गौरीशंकर मूर्छा से बाहर आ जाता है और भीड़ देखकर उसे रात वाली घटना याद आती है और चीख पड़ता है…
सभी उसे शांत करवाते है और मूर्छित होने का कारण पूछने लग जाते है
एक बार तो गौरीशंकर सारी घटना का जिक्र करने ही वाला था की उसे ध्यान आया कि वो तो सुरक्षित बच गया इसका मतलब ये अभिमंत्रित कवच ने अपना काम किया है…
और महाराज जी ने इन सभी घटनाओं का किसी को न बताने को कहा था याद करके गौरीशंकर ने बात बदल दी…
कुछ नही वो मैं फिसल कर गिर गया था इसलिए शायद मूर्छित हो गया था..
धीरे धीरे सभी लोग चले गए लेकिन गांव वालो को भी एहसास होने लगा था की गांव में कुछ तो गड़बड़ हो रहा है क्योंकि अखंड पूर्णाहुति के बाद अगले ही दिन महाराज जी
की दर्दनाक मृत्यु और आज गौरीशंकर का बेहोश होना गांव वालों को रास नहीं आ रहा था…
तभी एक खबर गांव में आती है जो गांव वालों के साथ साथ गौरीशंकर को अंदर तक हिला देता है
महाराज जी की बॉडी पोस्टमार्टम घर से रहस्यमई तरीके से गायब हो गई थी……
शशिकान्त कुमार
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पापी चुड़ैल (भाग -9)- शशिकान्त कुमार : Moral stories in hindi