जैसा कि उमा और गौरीशंकर किसी भी बातों से अनभिज्ञ थे इसलिए शाम के समय दोस्तों के साथ विष्णु और अपूर्वा को बेर तोड़ने की इजाजत मिल गई….
ध्यान रहे महाराज जी के द्वारा अभिमंत्रित होने के कारण विष्णु और अपूर्वा जो असल में वो थे ही नहीं बल्कि वो दोनो चंद्रिका के बच्चे थे (जैसा कि महाराज जी ने चंद्रिका को ध्यान में मिलने के बाद बताया था की उन्हें ज्ञात है की वो दोनो बच्चे तुम्हारे है) लेकिन वो मनुष्य की तरह व्यवहार करने लग गए थे ताकि उमा और गौरीशंकर को कोई परेशानी का सामना न करना पड़े।
शाम के समय सारे बच्चे इक्कठे नदी की ओर चल पड़े और वहां जाकर बेर तोड़ने लग गए ….
अभी कुछ ही देर हुए थे की चंद्रिका को यह एहसास हुआ की उनके बच्चे उनके आस पास ही है, इससे पहले की वो कुछ कर पाती ऐसा लगा जैसे उसे किसी ने बांध रखा हो …
उसने बहुत प्रयास किया लेकिन वो केवल अपने बच्चों को बेर तोड़ते हुए देखने में सफल हुई … और सामने ही महाराज जी मुस्कुराते हुए दिख गए
कहो चंद्रिका कैसी हो …?
ले जाओ अपने बच्चो को ( महाराज जी ने कहा )
तुम बचोगे नही योगी मेरे हाथों से ….
बच्चों इतनी शाम को अकेले बच्चो का इधर रहना ठीक नही होता
चलो अब घर जाओ…
एक बाबा को अचानक वहां देख और उनकी बातों को सुनकर बच्चे वहां से चलने लगे ..
साथ में विष्णु और अपूर्वा भी लौटने लगे
यह देख चंद्रिका चिल्लाने लग गई …
लेकिन उसकी आवाज किसी को सुनाई नही दी और महाराज जी ने एक मुस्कुराहट के साथ केवल इतना कहा ..
चंद्रिका जब तक मैं इस गांव में हूं तुम उस घर में कोई हानि नहीं पहुंचा पाओगी…
और महाराज जी वहां से चले गए…
अचानक उमा अपने घर पर महाराज जी को आया हुआ देख उनके चरण छूकर प्रणाम किया
कल्याण हो पुत्री..
एक चेतावनी देने आया हूं
चेतावनी ?
कैसी चेतावनी महाराज जी?
अपने बच्चों को यूं ही शाम के समय नदी किनारे जाने की इजाजत मत दिया करो….
( इस चेतावनी को गांठ बांध कर रख लो अपने पास नही तो पछताने के अलावा कुछ भी नही बचेगा )
इस तरह की चेतावनी से उमा एकदम घबरा गई और महाराज जी को बस जाते हुए देखती रह गई..
विष्णु ….
अपूर्वा….
आज के बाद तुम लोग बेर तोड़ने नही जाओगे समझ आया
ठीक है मां नही जाऊंगा….
ऐसे करते करते 8 दिन पूरे हो गए और आज नौवां दिन था अखंड की पूर्णाहुति थी
महाराज जी अखंड में ही सभी ज्ञानियों के साथ बैठे हुए थे लेकिन मुख पर चिंता की लकीर थी …
जब अखंड समाप्त हो गया तो आज पूरे नौ दिन बाद गौरीशंकर अपने घर जाने को तैयार हो रहा था ….
महाराज जी ने एक रक्षा सूत्र अपनी तरफ से गौरीशंकर के हाथों पर बांध दिया और एक रक्षा सूत्र उमा के लिए अभिमंत्रित करके दे दिया और बोले …
गौरीशंकर आज मैं तुम्हारे यहां अंतिम भोजन करूंगा इसलिए तुम शाम को मुझे अपने घर ले जाने आना …
जी महाराज
लेकिन…
लेकिन क्या गौरीशंकर ?
महाराज जी आपने मुझे और मेरी पत्नी को रक्षा सूत्र तो दे दिया लेकिन मेरे बच्चों के लिए ?
मैं जानता था तुम जरूर ऐसा कहोगे …
मैं तुझे आज भोजन करने के पश्चात कुछ बताऊंगा इसलिए मैं शाम को ही उनके लिए कुछ दूंगा..
जी महाराज …( कहकर गौरीशंकर अपने घर चला गया)
अपने घर पहुंचकर उसने अपनी पत्नी और अपने बच्चों से मुलाकात की और आज शाम का भोजन महाराज का अपने घर पर अंतिम भोजन होगा कहकर भोजन अच्छा बनाना ऐसा गौरीशंकर ने उमा को कह दिया…
लेकिन आज दिनभर गौरीशंकर को अपने घर में कुछ आभास हो रहा था जिससे वो कुछ घबराया हुआ सा लग रहा था इसलिए शाम होते ही उसने अपने घर में धूपबती और शंख तथा घंटी की ध्वनियों से घर को पवित्र करने की एक छोटी सी कोशिश किया उसके बाद वो महाराज जी को बुलाने चला गया…
महाराज जी उसके घर पर आए उन्होंने मुख्य दरवाजे के नीचे देखा और अंदर प्रवेश कर गए ..
जब उन्होंने भोजन ग्रहण कर लिया तब उन्होंने गौरीशंकर को अपने परिवार सहित भोजन करने की अनुमति देकर वो इंतजार करने लगे..
भोजन करने के बाद गौरीशंकर महाराज जी के चरणों में बैठ कर चरण दबाने लगा और बोला
महाराज जी एक बात पूछूं?
पूछो गौरीशंकर…( महाराज जी ने कहा)
महाराज आज दिन भर मुझे अपने ही घर में पराया सा क्यों लग रहा था और साथ ही कुछ अजीब सी अनुभव हो रही थी
हुह
आखिर उसने तुझे भी अनुभव करा ही दिया..
किसने महाराज ? ………(गौरीशंकर आश्चर्य से )
उसी ने जिसको तुमने अपने घर में दो अलग अलग दिन तक पनाह दिया था
पनाह………पनाह……..( गौरीशंकर सोच रहा था)
हां याद आया
चंद्रिका..
चंद्रिका महाराज जी
हां उसी चंद्रिका ने ( महाराज जी बोले)
गौरीशंकर तुझे पता भी है वो कौन है?
कौन है महाराज? ( गौरीशंकर)
वो एक चुड़ैल है
हां ….एक चुड़ैल है वो
और सुनो गौरीशंकर
वो जो तुम्हारे दोनो बच्चे अभी घर में पड़े है न वो असल में विष्णु और अपूर्वा नही है बल्कि वो दोनो उसी चंद्रिका के बच्चे है….जिसने तुम्हारे बच्चे का रूप ले रखा है।
क्या?
नही नही ऐसा नहीं हो सकता महाराज ( गौरीशंकर चिल्लाया)
ऐसा ही है गौरीशंकर ( महाराज भी चिल्लाए)
(दोनो की चिल्लाने की आवाज से उमा बाहर दौड़ी आई)
लेकिन महाराज ने गौरीशंकर को चुप रहने की हिदायत दे कर दूसरी बात करने लगे जिससे उमा कुछ और समझ कर वापस घर में चली गई…
महाराज …..फिर मेरे दोनो बच्चे कहां है
गौरीशंकर मैंने कितना भी प्रयास किया लेकिन मेरी पहुंच उस तक नही हो पा रही है लेकिन इतना तो अवश्य कह सकता हूं की चंद्रिका ने ही उसे कहीं छुपा रखा है..
मैने चंद्रिका से कितना भी पूछा की तुम गौरीशंकर के घर कैसे गई और क्या कारण है जाने का पर वो मुझे कुछ नही बताई इसलिए मैने अभिमंत्रित करके उसके दोनो बच्चों को तुम्हारे बच्चे के रूप में रहने का आदेश दिया है और उनका ये रूप इस गांव के भीतर ही रहेगा…
इन दोनो को कभी भी नदी के कीनारे जाने मत देना ….नही तो अनर्थ कर देगी वो
मैने नौ दिनों तक तुम्हारे घर की रक्षा की है उस चंद्रिका से लेकिन आगे उसे इस घर में आने से मैं रोक पाने में असमर्थ रहूंगा लेकिन इतना जरूर है की उसके दोनो बच्चे को ले जाने में सक्षम नहीं हो पाएगी वो और दोनो बच्चे तुम्हारे बच्चे के रूप में ही रहेंगे जब तक मैं उसे मंत्र से खोल न दू…
और एक बात अपनी पत्नी को कोई बात मत बताना बेचारी वो सहन नही कर पाएगी अपने दोनो बच्चों के बारे में सुनकर..
जी महाराज
लेकिन ये कब तक महराज?
जब तक मैं दोबारा न आ जाऊं यहां ( महाराज जी ने कहा)
क्योंकि जितनी मेरी शक्ति थी उतनी शक्ति में मैं कैसी भी बुरी आत्मा से उसका राज उगलवा लेता लेकिन इसने अपने राज मुझसे छुपाए रखा
इसका मतलब है ये बहुत शक्तिशाली आत्मा है…….
शशिकान्त कुमार
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