पापी चुड़ैल (भाग – 10)- शशिकान्त कुमार : Moral stories in hindi

ऐ तांत्रिक ….

तुझे तुम्हारी मौत ने इस गौरीशंकर के घर खींच लाया है … तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरे बच्चों को चोट पहुंचाने की

( गुस्से में चंद्रिका ने तांत्रिक पर एक जोरदार प्रहार किया जिससे तांत्रिक दूर जाकर दीवार से टकराया)

तांत्रिक तुरंत उठ कर एक मंत्र पढ़कर चंद्रिका की ओर हाथ किया लेकिन चंद्रिका ने उस मंत्र को भी गुस्से में प्रभावहीन कर दिया जिसे देखकर तांत्रिक सहम गया लेकिन अगले ही पल तांत्रिक ने धैर्य के साथ हाथ में जल लेकर उसने चंद्रिका पर फेंका ….

इस बार चंद्रिका कराह उठी …

ऐ चुड़ैल ..

तू मुझे एरा गैरा तांत्रिक समझी है क्या…

अभी तुझे अपनी शक्ति से परिचित करवाता हूं , इतना कहकर तांत्रिक फिर से मंत्र प्रयोग की कोशिश करने लगा…

लेकिन तब तक चंद्रिका अपने दोनो बच्चों को उठाकर वहां से गायब होते होते…गुस्से में कुटिल मुस्कान के साथ

गौरीशंकर अब तू पछताएगा

ले गई थी तेरे दोनो बच्चे

अब मैं अपने वाले भी ले जा रही हूं

अब तेरे दोनो बच्चों को नही छोडूंगी

ले आ बुलाकर जिसे भी बुला सकता है मेरा एक बाल भी बांका नहीं कर पाओगे

नही कर पाओगे

हा हा हा …..

पीछे से उमा आकर इस पूरे दृश्य को देख रही थी..

उमा चिल्लाई

कहां है मेरे बच्चे …

बताओ मेरे दोनो बच्चे कहां है..

ये जो मैं देख रही हूं ये सब क्या था..?

क्यों छुपाया आपने मुझसे इतनी बड़ी बातें?

( उमा कहते कहते अपने बच्चे के सदमे में बेहोश हो गई)

अब गौरीशंकर को काटो तो खून नहीं क्योंकि बच्चे कम से कम अपने रूप में तो मौजूद थे अब तो उमा को सब पता चल गया अबे क्या जवाब दूंगा…..

(कहकर गौरीशंकर रोने लगा)

ये रोने का समय नहीं है गौरीशंकर तुम अभी के अभी आंगन में हवन की व्यवस्था करो

महाराज …..

मेरे बच्चे तो गए अब मेरी पत्नी भी मुर्छित है

गौरीशंकर तुम्हारी पत्नी मूर्छित है मरी नहीं है समझे और तुम अपनी नादानी की वजह से अपने दोनो बच्चों को खो दोगे इसलिए अपनी भावना पर काबू करो और जल्दी से हवन की व्यवस्था करो बिना समय गवाए

पत्नी को उसी अवस्था में छोड़ कोई चारा न देखकर तांत्रिक की बातो को मानते हुए गौरीशंकर ने आंगन में कुछ लकड़ियां जलाकर धूप की व्यवस्था कर दिया …

तांत्रिक अपने झोले से एक खप्पर निकल कर उसमे जल भरकर  अग्नि के सामने बैठकर कुछ बुदबुदाने लगा और करीब 10 मिनट बाद ही खप्पर के पानी में विष्णु और अपूर्वा नरकंकालों के बीच मूर्छित अवस्था में पड़ा हुआ था …

गौरीशंकर ..

इधर आओ ( तांत्रिक ने बुलाया)

अपनी पत्नी को मूर्छित अवस्था से बाहर लाओ और तुम दोनो मेरे पास आओ..

गौरीशंकर ने तांत्रिक का कहा मानते हुए उमा को मूर्छा से बाहर करके तांत्रिक के पास आ बैठा..

तुम दोनो में से कोई अपनी आवाज बाहर नही निकालोगे..

और तांत्रिक ने दोनो को खप्पर का जल देखने को कहा और जैसे ही दोनो ने उसे देखा उनके दोनो बच्चे मूर्छित अवस्था में पड़े हुए थे कंकालों के बीच जिसे देखकर एक बार तो उमा रोने को मुंह खोली लेकिन गौरीशंकर ने मुंह दबा दिया…

तांत्रिक ने उमा से कहा

बेटी उमा

जरा अपनी साड़ी का किनारा निकाल कर मुझे दो

उमा झट से साड़ी का किनारा निकाल कर तांत्रिक देती है और तांत्रिक उसे हवन के नजदीक रखकर एक रक्षा सूत्र बना कर खप्पर के जल में डाल देता है और कहता है …

गौरीशंकर इस जल को अपने घर के सबसे पवित्र स्थान पर एक लोटे में करके रख दो और ध्यान रखना जब तक लोटे मे जल सुरक्षित रहेगा वो चुड़ैल तुम्हारे बच्चे को छू भी नहीं पाएगी क्यूंकि इस बार मैंने मां की ममता को रक्षा सूत्र में परिवर्तित किया है और जब मां की ममता सामने आ जाती है तो यमराज को भी पीछे हटा सकती है।

तुमने देखा था जब चंद्रिका ने मुझपर गुस्से में वार करी थी दरअसल वो उस समय चुड़ैल से ज्यादा एक मां के रूप में अपने बच्चे की रक्षा कर रही थी इसलिए मेरा मंत्र भी उसपर निष्फल हो रहा था।

गौरीशंकर अपने घर के सबसे पवित्र स्थान पर उस लोटे में भरे जल को रख देता है

तांत्रिक फिर से खप्पर में जल भरकर हवन शुरू करता है और वो देखना चाहता है की श्री महाबल्लेश्वर जी क्या सच में चुड़ैल द्वारा मारे गए तो खप्पर का जल महाबलेश्वर जी को एक बहुत ही सुनसान गुफा के अंदर महादेव के विशाल शिवलिंग के आगे ध्यान लगाए हुए पाते है जिसे देखकर तांत्रिक प्रसन्न हो जाता है और यही बात गौरीशंकर को बताते है

गौरीशंकर आश्चर्य होकर ….. तांत्रिक महाराज फिर वो लाश किसकी थी

किसी की रहे गौरीशंकर अभी वो महत्वपूर्ण नही है

अभी तो ये पता लगाना है की ये चंद्रिका आई कहां से और क्यों है

पुनः एक बार वो खप्पर में जल भरकर चंद्रिका का रहस्य जानना चाहते है लेकिन इस बार खप्पर में रखा जल खून की तरह लाल हो जाता है और खप्पर चकनाचूर हो जाता है…

जिसे देखकर तांत्रिक अचंभा में पड़ जाता है ..

ये कौन ऐसी शक्ति है जिसने मेरे इष्ट द्वारा अभिमंत्रित खप्पर का भी नाश कर दिया

ये अपना रहस्य छुपाना क्यों चाहती है

गौरीशंकर ….

मुझे वो दिशा बताओ जहां तुम सबको महाबलेश्वर जी का लाश दिखा था

गौरीशंकर ने वो रास्ता बता दिया तथा उनके साथ चलने की जिद करने लगा

नही गौरीशंकर तुम यहां अपनी पत्नी के साथ रहो मेरी चिंता तुम मत करो वैसे भी तुम उसका सामना कर नही पाओगे इसलिए अब मैं तुम्हारे घर को मंत्रों से बांध रहा हुं ताकि तुम्हारा घर सुरक्षित रहे ..

और इस तरह रात के करीब 12 बजे गौरीशंकर का घर मंत्रों से बांधा  गया और इसके बाद तांत्रिक महाराज उसी समय अपने समान के साथ नदी किनारे चल देते है…

जाते जाते उन्हे कई सारी आत्माओं से मुलाकात होती है जिसमे कुछ अच्छे तथा कुछ बिगड़ैल किस्म के भी है लेकिन तांत्रिक अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहते है और अंत में वहां पहुंच कर ध्यान लगाकर बेर के झाड़ियों के मध्य से मिट्टी हटाकर वो चौथा कपड़े का गोला भी निकाल लेते है जो एक बहुत ही तेज दुर्गंध के साथ धुएं के रूप में परिवर्तित होकर गायब हो जाता है

तभी वहां  चंद्रिका के साथ चारों दिशाओं से काले काले धुएं के रूप में बहुत सारी आत्माओं का आगमन होता है और सभी एक साथ तांत्रिक पर टूट पड़ता है और तांत्रिक को घोड़े सहित उसके लंबाई के पांच गुना नीचे मिट्टी में दबा देता है और उसके ऊपर से बहुत सारी लाशों का अंबार लगा कर तांत्रिक को ढंक देता है।

लेकिन तांत्रिक भी कोई दूध पीता बच्चा नहीं था उसने अपनी इष्ट देवता को आवाहन करके धरती के अंदर ही अपनी प्रक्रिया पूरी करना शुरू कर देता है…

सुबह होती है

आज गौरीशंकर का घर कुछ पवित्र लग रहा था इसलिए गौरीशंकर ने सुबह सुबह ही तुलसी का पौधा लाकर आंगन में लगा दिया  लेकिन उमा का अपने बच्चों के बिना बुरा हाल हो रखा था..

उमा

सब भोलेनाथ पर छोड़ दो

देखो अब हमे कम से कम इतना तो पता चल गया की हमारे बच्चे सुरक्षित है और साथ में महाराज जी भी सुरक्षित है जो हमारे लिए कोई तपस्या कर रहे है इसका मतलब महाराज जी जरूर कुछ उपाय निकाल लेंगे…

लेकिन तांत्रिक महाराज कहा चले गए ये तो पता चला ही नही

जबकि वो नदी की तरफ गए थे

हो सकता है वो अपने निवास स्थान चले गए हो( उमा बोली)

हो सकता है…( गौरीशंकर)

आज महाबलेश्वर महाराज जी को गए हुए तीन  दिन हो गए थे..

और सभी ग्रामीण (केवल गौरीशंकर और उमा को छोड़कर) समझ रहे थे की महाराज जी की मृत्यु हो गई है और लाश भी गायब हो गई है

अचानक ..

तांत्रिक का एक भक्त आकर गौरीशंकर से पूछता ..

आपके यहां मेरे तांत्रिक गुरूजी आये थे पर अभी तक वो आश्रम नही पहुंचे है…

क्या..?

लेकिन वो तो रात को ही चले गए थे ( गौरीशंकर)

क्या रात को ही…….

शशिकान्त कुमार 

अगला भाग

पापी चुड़ैल (भाग – 11)- शशिकान्त कुमार : Moral stories in hindi

2 thoughts on “पापी चुड़ैल (भाग – 10)- शशिकान्त कुमार : Moral stories in hindi”

  1. Please please please🙏🙏🙏🙏🙏🙏 aage ki kahani jldi se upload kijiye…. Bhut hi adbhut kahani h wait nhi ho rha h 🥺🙂….

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