पापा , मेरे लिए लोन ले लो – स्वाती जैन : Moral Stories in Hindi

पापा , मुझे फाल्गुनी पाठक वाली नवरात्री में खेलने जाना हैं , प्लीस पास लेने के लिए हजार रुपए दे दो सिम्मी अपने पापा चंदुलाल जी से प्यार से बोली !!

सिम्मी की मां सीमा जी बोली – इस लड़की ने तो परेशान कर दिया हैं , कभी शापिंग , कभी घूमना , कभी फाइव स्टार होटल में खाना खाना और अब इतनी अच्छी सोसायटी की नवरात्रि छोड़कर फाल्गुनी पाठक वाली नवरात्रि में खेलने जाना !!

सुनिए जी , कह देती हुं आप हर बार सिम्मी को हर चीज के लिए जल्दी से हां मत कर दिया किजिए , उसके मम्मी पापा एक मिडल क्लास फैमिली से हैं कोई खानदानी पैसा नहीं है हमारे पास , सिम्मी को यह बात समझनी होगी !! 

सिम्मी बोली – ओह मम्मी , एक हजार रुपए के लिए तुम इतनी क्यूं हाइपर हो रही हो ?? मैंने कौन सा सोने का हार लाने कह दिया हैं ??

चंदुलाल जी बोले – तुम दोनों मां बेटी शांत हो जाओ पहले तो और रही बात हजार रुपए की तो सिम्मी की मां जाने दो इसे फाल्गुनी पाठक वाली नवरात्रि में खेलने , कल के दिन इसकी शादी हो जाएगी वैसे भी फिर तो यह हमसे पैसे लेने में भी शरम करेगी , अभी कुंवारी हैं तो अपने अरमान हमसे ही कहेगी ना !!

सिम्मी तुरंत खुश होकर बोली – थैंक यू पापा !! तीन भाईयों की बहन सिम्मी घर में सबकी लाडली थी और इसी तरह अपनी जिद मनवाने में भी होशियार थी !!

अभी दो महिने पहले ही उसकी सगाई सचिन से फिक्स हो गई थी और लगभग छः महिने बाद शादी होने वाली थी !!

सिम्मी के तीनों भाई भी अभी अभी अपनी पढ़ाई पुरी कर नौकरी पर लगे थे , बस सिम्मी ने पढ़ाई के बाद नौकरी नहीं की, ना ही उसने पढ़ाई पूरी की क्योंकि उसे यह नौकरी वाली जिंदगी भागदौड़ की जिंदगी लगती थी और वह अपने सर पर कोई भी लोड नहीं लेना चाहती थी !!

लगभग अब घर में सिम्मी की शादी की तैयारियां होना शुरू हो गई थी !! चंदुलाल जी अपने तीनों बेटो के साथ मिलकर शादी की लेन देन की लिस्ट बना रहे थे !! उतने में सिम्मी कमरे में आकर बोली मेरी शादी में मुझसे बिना पूछे लिस्ट बनाई जा रही हैं !! मुझे क्या सामान चाहिए यह मुझसे जान तो लो पहले !! उतने मे उसका मंझला भाई राकेश बोला – अरे तुझे क्या पूछना , तेरा बस चले तो तु तो हमसे एरोप्लेन मांग ले यह सुनकर सभी हंस पड़े !!

सिम्मी बोली – एरोप्लेन तो नहीं पर पापा मुझे आप कार कौन सी दे रहे हो ?? यह जरूर बता देना !!

छोटा भाई अनुज बोला – लो शुरू हो गई सिम्मी दीदी की लिस्ट , दीदी कम से कम मजाक तो ढंग का किया करो !!

सिम्मी गुस्से में बोली – मैं मजाक नहीं कर रही अनुज , मुझे सच में कार चाहिए , आखिर मेरे ससुराल में मेरे इंप्रेशन का सवाल हैं , तुमको पता ही होगा-  फस्ट इंप्रेशन इज लास्ट इंप्रेशन , मेरे ससुराल वालों को भी लगना चाहिए कि आखिर मेरे मायके वाले भी कुछ हैं !! 

सीमा जी बोली – सिम्मी , तुझे पता भी हैं कि तू यह क्या बोल रही हैं ?? पहले से तेरे पापा ने तेरी शादी के लिए लोन लिया हुआ हैं और अब तुझे कार भी चाहिए !!

सिम्मी भी तपाक से बोली – हां हां आप तो सिर्फ अपने बेटो पर खर्चा करो , मुझ पर क्यों करोगी , मैं तो इस इस की बेटी हुं , मुझ पर खर्चा करके आपका क्या फायदा ?? तीनों बेटे की इंजीनियरिंग पर भी तो लोन लिया था , वैसे ही मुझे कार देने भी लोन ले लो !!

सीमा जी बोली – सिम्मी तु कैसी बहकी बहकी बातें कर रही हैं ?? ऐसा कौन सा खर्चा हैं जो तेरे भाईयों पर किया और तुझ पर नहीं बल्कि तु तो ज्यादा खर्चा करवाती हैं !! तुम चारो को एजुकेशन लोन लेकर पढ़ाई पुरी करवाई , जिसका लोन तेरे भाई अब नौकरी लगके अपनी सैलेरी से चुका रहे हैं मगर तुने तो वह भी अपने पापा के जिम्मे छोड़ दिया क्योंकि तुझे फैशन से फुर्सत ही नहीं मिली इसलिए तुने नौकरी को कभी अपनी जरूरत ही नही समझा !!

 चंदुलाल जी बोले – शांत हो जाओ तुम दोनों , सिम्मी बेटा कार कोई दस पंद्रह हजार की चीज नहीं हैं जो तुमने जिद की और तुरंत आ जाए , तुम तो जानती हो हम मध्यमवर्गीय लोग हैं और इस बार तुम्हारी यह जिद बहुत बेढंगी है , तुम्हारा होने वाला पति और उसका परिवार बहुत अच्छा हैं , उन्होंने तो हमसे कभी दहेज की कोई बात नहीं की !!

सिम्मी बोली पापा , दहेज उन्हें नहीं मुझे चाहिए ताकि मैं वहां अपना वट दिखा पाऊं !! आपके तीनों बेटे तो जिंदगी भर आपके पास रहेंगे लेकिन मैं तो तीन महिने बाद शादी करके चली जाऊंगी , वैसे तो मेरा भी इस घर पर और आप लोगों पर उतना ही हक हैं जितना भाईयों का , पापा हम लोगो का बराबरी का हक बनता हैं !!

चंदुलाल जी बेटी की हाजिर जवाबी के सामने बस इतना ही बोल पाए बेटा , तुझे समझना होगा मैं कार नहीं ले पाऊंगा !! यह सुनते ही सिम्मी गुस्सा होकर अपने कमरे में चली गई , सीमा जी बोली ना जाने क्या कमी रह गई मेरी परवरिश में जो ऐसी औलाद पाई हैं !! कभी अपने माता पिता के बारे में नहीं सोचती यह लड़की कि कैसे यह लोग सारे खर्चे पुरे करते होंगे ??

घर का पुरा माहौल ख़राब हो चुका था , रात को जब सभी लोग खाना खाने बैठे तो सीमा जी ने सिम्मी को खाना खाने बुलाया मगर सिम्मी का एक ही जवाब था जब तक वे लोग उसे दहेज में कार नहीं दे देते तब तक वह खाना नहीं खाएगी !!

आखिरकार चंदुलाल जी बोले – ठीक हैं बेटा तु यही चाहती हैं तो मैं कल ही कार के लिए लोन पास करवा लेता हुं अब तो तु मान जा !!

सिम्मी दौड़ी दौड़ी कमरे से आई और बोली थैंक यू पापा , लव यू पापा !!

सीमा जी हैरानी से चंदुलाल जी की तरफ देख रही थी , चंदुलाल जी ने पत्नी को चुप रहने का इशारा किया !!

सिम्मी ने खुशी खुशी खाना खाया और वापस अपने कमरे में चली गई !! उसके जाते ही सीमा जी बोली – क्या आप सचमुच सिम्मी को कार दिला रहे हैं ?? उसकी जिद पुरी करके उसे बढ़ावा मत दीजिए !!

चंदुलाल जी बोले – सीमा , मैंने बहुत सोचा और फिर अंत में यहीं नतीजा निकाला कि दे देते है कार , एक ही तो बेटी है हमारी !!

सीमा जी बोली – तीनो बेटे अपनी सैलेरी से अपना एजुकेशन लॉन चुका रहे हैं , आपने सिम्मी की शादी के लिए लोन लिया हुआ है , घर के खर्चे हैं सौ अलग और अब कार का नया खर्चा !!

चंदुलाल जी बोले – सिम्मी समझने तैयार ही नहीं है सीमा , मैंने कार दिलाने कहा हैं मगर कार दिलाई तो नहीं अब तक , मैं भी यही सोच रहा हुं कि कहां हमारी परवरिश में कमी रह गई कि उसे अपनो की तकलीफें नहीं समझ आ रही , वह अपनों को नहीं पहचान पा रही !! सिम्मी अभी कुछ भी समझने तैयार नहीं हैं , कुछ बच्चे शायद परवरिश से भटक जाते हैं मगर मुझे उसे सही रास्ते पर लाना होगा बस तुम लोग मेरा साथ देना !!

दूसरे दिन चंदुलाल जी पुरे दिन के लिए बाहर निकल गए और शाम को घर वापस आए और फिर सिम्मी को बुलाकर बोले – बेटा , आज मैं कार के लिए लोन लेने की पूछताछ करने गया था !! वे लोग लोन देने तैयार भी हो गए हैं , अब तेरी कार आने से कोई नहीं रोक सकता !!

सीमा जी और उनके तीनों बेटे एक दूसरे की शक्ल देखने लग गए और सिम्मी खुशी से बोली – पापा हम अभी सर्च कर लेते हैं कि लेटेस्ट कार का कौन सा मॉडल अच्छा हैं और हमें कौन सी कार लेनी हैं ??

बेटा , रुक तो जरा , कार लेने के लिए कुछ फार्मेलिटीस भी हैं , वह भी तो पुरी करनी होंगी चंदुलाल जी बोले !!

अरे , हां पापा बोलिए ना , मैं तो खुशी में भूल ही गई सिम्मी मुस्कुराकर बोली !!

बेटा , पहले तुझे एक अच्छी सी जॉब ढूंढनी होगी , तभी वह लोग कार का लोन पास करेंगे , एक बेरोजगार को बैंक वाले लोग लॉन नहीं देंगे !! उन्हें भी तो गारंटी चाहिए कि तु कार का लोन पे कर पाएगी  चंदुलाल जी बोले !!

पापा , पहली बात तो यह कि आप कार मेरे नाम पर क्यों ले रहे हो ?? यह तो मेरी शादी का गिफ्ट हैं जो आप दे रहे हो तो इसका लोन मैं क्यों पे करूंगी सिम्मी हैरान होते हुए बोली !!

चंदुलाल जी बोले – बेटा पहली बात तो यह कि गिफ्ट जिद करके नहीं लिया जाता , हमारी तो इतनी हैसियत भी नहीं जितना बड़ा गिफ्ट तूने मांगा हैं और तू ही तो कल कह रही थी बेटो की इंजीनयरिंग के पीछे इतना सारा लॉन लिया था तो मेरे लिए भी कार का लोन ले लो !! मैं भी वही कर रहा हुं , तेरे तीनों भाई भी तो अपनी सैलेरी से अपना एजुकेशन लोन पे कर रहे हैं तो तु भी तो अपना कार लोन पे कर सकती हैं !! आखिर बराबरी का जमाना हैं , हम बेटे बेटी में कोई भेद नहीं करते और अगर तुममें लोन भरने की क्षमता नहीं हैं तो हम तुम्हारे होने वाले पति सचिन बात कर लेते हैं , वे लोन भर देंगे !!

सिम्मी को अब समझ आ चुका था कि उसने जैसा अपनों के साथ किया है बदले में अब उसे भी यही मिल रहा हैं और वह नही चाहती थी कि उसके मायके वाले उसके होने वाले पति सचिन से कार की किश्तों की बात करें , वर्ना ससुराल में उसका इंप्रेशन खराब हो जाएगा !!

उसने खुब पैर पटके , मुंह फुलाया मगर अब घर में कोई भी उसकी बात नहीं सुन रहा था और उसके पास हथियार डाल देने के अलावा कोई चारा नही बचा था इसलिए सिम्मी ने अपनी जिद को छोड़ दिया !!

 दोस्तों , कभी कभी मां बाप को अपने बच्चों को उन्हीं की भाषा में समझाना पड़ता हैं !!

आपको यह कहानी कैसी लगी कृपया जरूर बताएं तथा ऐसी अन्य रचनाएं पढ़ने के लिए मुझे फॉलो अवश्य करें !!

आपकी सहेली

स्वाती जैन

Leave a Comment

error: Content is protected !!