रिया बदहवास घबराई हुई अपने घर का दरवाजा पीट रही थी…उसकी माँ निशा ने दरवाजा खोला।
क्या हुआ रिया? दरवाजा तोड़ेगी क्या….फिर उसको देखकर अरे…इतनी घबराई क्यों है…रिया अपने कमरे में जाकर दरवाजा बंद कर लेती है
और बिस्तर पर गिरकर रोने लगती है। निशा उसके पापा विनीत से बोलती है…देखो रिया को क्या हो गया है..बस रोए जा रही….कमरा भी बंद कर लिया है।
पापा-पर हुआ क्या है?मम्मी बोली… पता नही कई दिनों से कुछ परेशान लग रही है ,मैंने पूछा भी तो बोली पढाई का दबाव है। रिया विनीत और निशा की इकलौती बेटी
उन दोनों की जान…जिसकी उम्र लगभग पंद्रह वर्ष होगी और वो कॉलेज जाती है। उसके मम्मी- पापा बहुत परेशान हो जाते हैं….उधर रिया सोचने लगती है
बचपन से उसके मम्मी पापा ने उसे कितना प्यार दिया कितना ध्यान रखा, कभी भी कोई कमी नही होने दी।पापा की तो वो राजकुमारी है…
उसका जन्मदिन तो जैसे त्योहार की तरह मनाया जाता है। इधर कई दिनों से जब भी वो कॉलेज जाती..तो रास्ते में कुछ बदतमीज लड़के..उससे छेड़छाड़ करते,
भद्दे कमेन्ट करते..वो बहुत परेशान हो गई थी समझ नही आ रहा था क्या करे…तभी उसके पापा बोले..बेटा दरवाजा खोलो बताओ तो क्या हुआ…मैं हूं ना..
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रिया तुरंत दरवाजा खोलती है और पापा के गले लग जाती है…. पापा उसको प्यार से बैठाते हैं और पूछते हैं अब बताओ क्या हुआ…रिया बोली “पापा मैं बड़ी क्यों हो गई
“जब मैं छोटी तब कितना अच्छा था मैं सुरक्षित तो थी…फिर वो सारी बात बताती है। आज तो हद हो गई …एक लड़के ने मेरा दुपट्टा खींच लिया…
मैं बहुत डर गई हूं।..पापा मम्मी समझाते हैं डरने से काम नही चलेगा…तुम्हें मजबूत बनना होगा और हम पुलिस से शिकायत करेंगे….
ये बहुत ही संवेदनशील और ज्वलंत,मुद्दा है…लड़कियां शिक्षित हों या अशिक्षित.. घर में हों या बाहर कहीं भी सुरक्षित नही हैं…
वर्तिका दुबे