विमल कहां मर गया।मेरा चश्मा लेकर आओ कब से कह रहा हूं तेरे कानों का इलाज करवाना पड़ेगा मनोहर जी झल्लाते हुए आवाज लगा रहे थे।
पापा ढूंढ रहा हूं मिल ही नहीं रहा विमल ने असहाय भाव से प्रत्युत्तर दिया।
ढूंढ रहा हूं …. अरे वहीं मेज पर रखा है तुझे कोई चीज आज तक मिली है।एक भी काम ढंग से नहीं होता तुझसे ध्यान तो पता नहीं कहां रहता है।
लेकिन पापा मेज पर नहीं है मै वहीं देख रहा था विमल ने सफाई दी।
…मल्होत्रा के लड़के रोहन को देख तेरे साथ ही कॉलेज में पढ़ता है ना कितना होनहार लड़का है।अपने पिता का कितना ख्याल रखता है हर बात तुरत मानता है।एक तू है चश्मा नहीं मिल रहा है ….व्यंग्य से मुंह बनाते वह बोल पड़े।
लीजिए जी ये रहा आपका चश्मा कल आप गोपाल जी के घर छोड़ आए थे उनका नौकर अभी देकर गया है नाहक झल्ला रहे हैं मालती जी ने चश्मा बढ़ाते हुए कहा तो मनोहर अचकचा से गए और अपनी ओर घूरती विमल की नजरों की उपेक्षा करते जल्दी से ऑफिस चले गए।
शाम को जैसे ही घर में घुसे विमल सामने आ गया।
पापा ऑफिस से लैपटॉप लाए हैं क्या उसने पूछा।
लैपटॉप ..!! नहीं लाया भूल गया मनोहर जी ने उपेक्षा से ही कहा।
मां देखा पापा से एक काम ढंग से नहीं होता।कुछ याद ही नहीं रहता इन्हें।एक हफ्ते से कह रहा हूं पर इन्हें सुनाई ही नहीं पड़ता उग्र स्वर हो गया था विमल का।
अरे ऑफिस की व्यस्तता में भूल गए होंगे विमल मां ने उसे शांत करने की कोशिश की।
भूल गए होंगे.!! अरे उस रोहन के पापा को देखिए बेटे का कितना ख्याल रखते हैं।आप तो ऑफिस का लैपटॉप मेरी पढ़ाई के लिए लाना भूल गए और मल्होत्रा अंकल उसी दिन नया लैपटॉप बाजार से खरीदकर रोहन के लिए ले आए थे।पापा # एक हाथ से ताली नहीं बजती।उनसे सीखिए पुत्र का ख्याल रखना।एक आप हैं….आक्रोशित विमल पैर पटकता बाहर चला गया था।
मनोहर जी को तत्क्षण सुबह का अपना व्यवहार याद आ गया ।सोचने लगे सही तो सुना गया है मेरा बेटा #ताली एक हाथ से नहीं बजती ।
एक हाथ से ताली नहीं बजती#मुहावरा आधारित
लघुकथा
लतिका श्रीवास्तव