एक कठोर कदम – गीता वाधवानी

 यहां सुमित्रा जी का बिल्कुल मन नहीं लग रहा था। वह पूरी तरह कोशिश कर रही थी कि मन लग जाए पर नई जगह पर मन लगने में कुछ समय तो लगता ही है, वह पुरानी यादों से जितना दूर होने की कोशिश करती थी,उतना ही उनमें उलझती जाती थीं।          पलंग पर लेटे हुए आज … Read more

घर दीवार से नहीं परिवार से बनता है – सीमा सिंघी : Moral Stories in Hindi

मानसी मैं तो परेशान हो गया हूं । जब देखो तुम्हारे पापा आए दिन बीमारी का या अकेलेपन का रोना रोते रहते है और तुम भी उनका ख्याल रखने या फिर उनका अकेलेपन बांटने के लिए चली जाती हो। जबकि तुम्हें पता होना चाहिए, एक बेटी का शादी के बाद उसका ससुराल ही सब कुछ … Read more

कठोर कदम – निभा राजीव”निर्वी” :

Moral Stories in Hindi ज्योति सब को चाय देकर शीघ्रता से हाथ चलाते हुए सुबह के नाश्ते के प्रबंध में लगी हुई थी। दोनों बच्चे 4 साल का विपिन और 6 महीने का नितिन। दोनों अभी सो ही रहे थे तो उसने सोचा शीघ्रता से काम निपटा ले। तभी अजीत की आवाज आई, “-ज्योति एक … Read more

 ये बंधन सिर्फ कच्चे धागों का नहीं है – लक्ष्मी त्यागी

कल्पिता मन ही मन खुश हो रही है ,’श्रावण मास’ जो चल रहा है ,इन दिनों’ शिवपूजन’ के साथ -साथ’ हरियाली तीज ‘ उसके पश्चात’ रक्षाबंधन’ भी आती है। कल्पिता मन ही मन गुनगुनाने लगती है -”अब के बरस भेजो ,भैया को बाबुल सावन में लीजो बुलाए !” जब से विवाह करके अपनी ससुराल आई … Read more

कठोर कदम – लक्ष्मी त्यागी :

Moral Stories in Hindi आज रविना और उसकी जेठानी प्रिया दोनों ही तैयार होकर ,अपनी ननद यानि सुप्रिया के यहां जा रहीं हैं। रविना बैंक में नौकरी करती है ,तो उसकी जेठानी किसी आई.टी. कम्पनी में मैनेजर के पद पर हैं। दोनों ही ,अपने को आज के जमाने की ,सफलतम महिला समझती हैं ,और इस … Read more

कठोर कदम – के कामेश्वरी : Moral Stories in Hindi

विनीत उठो बेटा चार बज गए हैं …… मैं देख रहा हूँ ….. इस बार परीक्षा में तुम्हारे बहुत कम नंबर आए हैं….. मैंने तुमसे कितनी बार कहा है कि तुम अच्छे से पढ़ो , अच्छे नंबर लेकर आओ ताकि तुम आगे की पढ़ाई अमेरिका जाकर कर सको …..रामकृष्ण ने विनीत से कहा …..। रामकृष्ण … Read more

पश्चाताप का फल – लतिका पल्लवी : Moral Stories in Hindi

‘बिन घरनी घर भूत का डेरा’ आज आलोक को यह कहावत बार – बार याद आ रही थी। उसके बचपन मे एक सब्जी बेचने वाले चाचा मुहल्ले मे सब्जी बेचने आते थे। सुबह सुबह आते और करीब करीब सभी घरो मे सब्जी देते, फिर मंदिर के बाहर बैठकर कभी सत्तू तो कभी मुढ़ी खाते। थोड़ी … Read more

कमजोर नहीं मैं – विमला गुगलानी : Moral Stories in Hindi

      सुवर्णा के पांव आज धरती पर नहीं थे, होते भी कैसे, क्योंकि वो खुश ही इतनी थी। उसकी बेटी लतिका की मंगनी हो गई थी और वो भी अमेरिका में बसे अर्जुन के साथ, जिनका अपना वहां पर रेस्तंरा था।       अर्जुन उसकी खास सहेली मालिनी का रिश्ते में भतीजा था। सुवर्णा की जितनी भी किटी … Read more

 घर दिवार से नहीं परिवार से बनता है – स्वाती जितेश राठी : Moral Stories in Hindi

कभी कभी कहानियां इंसान नहीं सुनाते। टूटे, उजड़े घर जो कभी शोरगुल से भरे थे भी कहानियां सुनाते हैं।।जहां कभी बच्चों की किलकारियां गूंजती थी, जहां कभी पायल की झंकार सुनाई पड़ती थी ….. आज वो घर अकेला, जर्जर खड़ा है। अपने मायके के घर के बाहर आँगन में खड़ी वान्या यही सोच रही थी … Read more

विश्वास खोते देर नहीं लगती – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

मां अब चलो हमारे साथ पापा नहीं रहे तो तुम कैसे अकेले रहोगी यहां श्यामली जी का बेटा मयंक बोला ।अकेले इतने सालों से अकेले ही तो रह रही थी ।हां यह जरूर था कि पापा थे अभी तक साथ। लेकिन हम दो लोगों के साथ रहते हुए भी एक अकेलापन था इस घर के … Read more

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