कठोर कदम – प्रतिमा श्रीवास्तव

सुबोध ने आज कठोर कदम उठाए थे अपनी मां के खिलाफ। ऐसा जो की करने से पहले एक बेटे को बार-बार सोचना पड़ता है। उसने घर छोड़ने का फैसला ले लिया था क्योंकि उसकी मां सरला जी का व्यवहार अपनी बहूओं के प्रति बहुत ही खराब था। सुबोध ने बहुत बार अनदेखा कर दिया था … Read more

कठोर कदम – मधु वशिष्ठ

अगर तुम चाहते हो तुम्हारा तलाक तो हो ही जाएगा परंतु उसके बाद में तुम लोगों के लिए केवल एक भटकाव का ही रास्ता बचेगा। हमारे पूरे खानदान में कभी ऐसा नहीं हुआ बाबूजी जोरों से चिल्ला रहे थे। गुस्साते हुए उन्होंने अम्मा को मान्यता को कमरे में ले जाने के लिए बोला।    आइए आपको … Read more

कठोर कदम – रितिका सोनाली

घर से कोई आता नहीं है शुभी के यहाँ. अमेरिका में रहती है, कौन जाये, माँ-बाप ही आजतक नहीं गए. न शुभी के और न ही अजय के. दोनों पति पत्नी ने अपनी दोनों बेटियों के साथ मिलकर अपनी दुनिया बनाई थी जहां बस उनकी अपनी मर्ज़ी चलती थी. अजय की कोई इच्छा भी नहीं … Read more

कठोर कदम – अर्चना झा

 लगभग आठ साल की लता खाने की थाली को गौर से देखी हुई बोली अरे मां इसमें दही कहां है ,मां ने कहा बेटा आज मौसम ठंडा है ना ,इसलिए शायद दही नहीं जमी, तुम अभी खा लो शाम को फिर से दही खा लेना, लता पाव पटकते हुए दालान की तरफ चली गई जहां … Read more

एक कठोर कदम – गीता वाधवानी

 यहां सुमित्रा जी का बिल्कुल मन नहीं लग रहा था। वह पूरी तरह कोशिश कर रही थी कि मन लग जाए पर नई जगह पर मन लगने में कुछ समय तो लगता ही है, वह पुरानी यादों से जितना दूर होने की कोशिश करती थी,उतना ही उनमें उलझती जाती थीं।          पलंग पर लेटे हुए आज … Read more

घर दीवार से नहीं परिवार से बनता है – सीमा सिंघी : Moral Stories in Hindi

मानसी मैं तो परेशान हो गया हूं । जब देखो तुम्हारे पापा आए दिन बीमारी का या अकेलेपन का रोना रोते रहते है और तुम भी उनका ख्याल रखने या फिर उनका अकेलेपन बांटने के लिए चली जाती हो। जबकि तुम्हें पता होना चाहिए, एक बेटी का शादी के बाद उसका ससुराल ही सब कुछ … Read more

कठोर कदम – निभा राजीव”निर्वी” :

Moral Stories in Hindi ज्योति सब को चाय देकर शीघ्रता से हाथ चलाते हुए सुबह के नाश्ते के प्रबंध में लगी हुई थी। दोनों बच्चे 4 साल का विपिन और 6 महीने का नितिन। दोनों अभी सो ही रहे थे तो उसने सोचा शीघ्रता से काम निपटा ले। तभी अजीत की आवाज आई, “-ज्योति एक … Read more

 ये बंधन सिर्फ कच्चे धागों का नहीं है – लक्ष्मी त्यागी

कल्पिता मन ही मन खुश हो रही है ,’श्रावण मास’ जो चल रहा है ,इन दिनों’ शिवपूजन’ के साथ -साथ’ हरियाली तीज ‘ उसके पश्चात’ रक्षाबंधन’ भी आती है। कल्पिता मन ही मन गुनगुनाने लगती है -”अब के बरस भेजो ,भैया को बाबुल सावन में लीजो बुलाए !” जब से विवाह करके अपनी ससुराल आई … Read more

कठोर कदम – लक्ष्मी त्यागी :

Moral Stories in Hindi आज रविना और उसकी जेठानी प्रिया दोनों ही तैयार होकर ,अपनी ननद यानि सुप्रिया के यहां जा रहीं हैं। रविना बैंक में नौकरी करती है ,तो उसकी जेठानी किसी आई.टी. कम्पनी में मैनेजर के पद पर हैं। दोनों ही ,अपने को आज के जमाने की ,सफलतम महिला समझती हैं ,और इस … Read more

कठोर कदम – के कामेश्वरी : Moral Stories in Hindi

विनीत उठो बेटा चार बज गए हैं …… मैं देख रहा हूँ ….. इस बार परीक्षा में तुम्हारे बहुत कम नंबर आए हैं….. मैंने तुमसे कितनी बार कहा है कि तुम अच्छे से पढ़ो , अच्छे नंबर लेकर आओ ताकि तुम आगे की पढ़ाई अमेरिका जाकर कर सको …..रामकृष्ण ने विनीत से कहा …..। रामकृष्ण … Read more

error: Content is protected !!