विश्वास की डोर – अनु माथुर

” बहुत भरोसा था ना तुम्हें उस पर ..लो अब  देख लिया …. चला गया वो और साथ में हमारी बेटी को भी ले गया …. सारी बिल्डिंग में सबको पता था एक तुम ही थी जो आंखों पर पट्टी बांध कर बैठी थी …. अरे मैं कहता हूँ क्या जरूरत थी तुम्हें उसे घर … Read more

भगवान भी माँ के बाद है-विमला गुगलानी

 जब भी सुगम परिवार सहित गांव आता तो कौशल्या और विनोद के पांव जमीन पर न पड़ते। कितने दिन पहले ही पकवान , आचार, पापड़ और भी न जाने क्या क्या बनना शुरू हो जाता। वो भले खाएं न खाएं लेकिन कौशल्या तो वो हर चीज़ बनाती जो बचपन में सुगम को पंसद थी।      सुगम … Read more

गलतफहमी – अर्चना सिंह

सुहानी पार्क में चहल कदमी करते हुए छवि का इंतज़ार कर ही रही थी कि उसकी सहेलियों का झुंड उसके पीछे खड़ा हो गया । सबको शुभ होम्स सोसायटी में रहते हुए लगभग सात साल हो गए थे पर इधर जरा पाँच सहेलियों के बीच इन दिनों काफी मनमुटाव सा चल रहा था । कारण..इसी … Read more

माँ होना नाटक नहीं – ज्योति आहूजा 

किरन मोदरां के उस छोटे से घर में पली थी जहाँ दीवारें खुरदरी थीं और सपने कभी पूरे नहीं लिखे गए थे। माँ की रसोई में मसाले भी कर्ज़ के होते थे और बापू की आँखें हर शाम जैसे बुझी सी लगती थीं। बीए की पढ़ाई कर रही थी, लेकिन घरवालों को डर था कि … Read more

पत्थर दिल

” चलिए पापा बाहर थोड़ा सा बाहर घूम कर आते है ”  आरुषि ने देवेंद्र जी का हाथ पकड़ते हुए कहा देवेंद्र जी कुर्सी से उठ कर आरुषि का हाथ पकड़ कर बाहर जाने लगे “रुक जाए दीदी और पापा आप भी “सुमन ने पीछे से कहा “क्या हुआ सुमन ?” नैना ने पूछा ” … Read more

आओ लौट चलें – डॉ बीना कुण्डलिया 

धनश्याम जी और उनकी धर्मपत्नी पार्वती शाम के समय घर के लान में बैठे अपनी पुरानी स्मृतियों को ताजा कर रहे।पार्वती जी बोली- आपके रिटायरमेन्ट को दो साल हो गये। मैं तो इन दो बरसों में शरीर और दिमाग दोनों रूप से अस्वस्थ रहने लगी हूँ। ले देकर दो बच्चे सारी जिंदगी उनके पढ़ाई लिखाई … Read more

मां के आंसुओं का हिसाब – रेनू अग्रवाल

राधा की आँखें एक बार फिर डरावने सपने से खुलीं। वह चिल्ला रही थी—“मत मारो, मत मारो मेरी माँ को!” उसकी माँ पास ही सोई हुई थीं। घबराकर उठीं और राधा को हिलाते हुए बोलीं, “क्या हुआ बेटा? मैं तो तेरे पास ही हूँ, मैं ठीक हूँ।” लेकिन वह समझ गईं कि राधा को फिर … Read more

संतुष्ट – कंचन श्रीवास्तव आरज़ू : Moral Stories in Hindi

अचानक आये फोन ने रोहन को चौका दिया कही कुछ फिर हुआ क्या क्योंकि बरस भर पहले उसने फोन किया था और आज पापा की ………. ।भूल गए क्या नहीं नहीं मां भला मैं कैसे भूल सकता हूँ आता हूं दरसल आना जरूरी था इसलिए आया कहकर फोन तो काट दिया पर साल भर पहले … Read more

मां के आंसुओं का हिसाब – सीमा सिंघी : Moral Stories in Hindi

 आज मीरा के कदम जमी पर नहीं पढ़ रहे थे  ! वह तो बस आरोही को निहारे जा रही थी, और उसको देख देख कर ईश्वर का भी बार-बार धन्यवाद करती जा रही थी ! आज खुशी में भी उसकी मां मीरा की आंखें बार-बार भीग रही थी ! आरोही ने जब देखा तो अपनी … Read more

पत्थर दिल – हेमलता गुप्ता : Moral Stories in Hindi

नहीं पापा.. मैं उसको किसी भी कीमत पर मनाने नहीं जाऊंगा वह अपनी मर्जी से घर छोड़ कर गई है अगर उसको आना होगा तो स्वयं ही आ जाएगी पर मुझ से दोबारा  लाने की मत कहना! पर बेटा… तू समझने की कोशिश तो कर, तेरा, तेरे बच्चों का क्या होगा? हम कब तक रहेंगे? … Read more

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