दो किनारे – बालेश्वर गुप्ता :  Moral Stories in Hindi

        सरिता जी की मानसिक उलझन सुलझ कर ही नही दे रही थी।अब उन्होंने सब कुछ ईश्वर पर छोड़ दिया था।जो हाथ मे न हो उसे मनुष्य भगवान भरोसे ही तो छोड़ता है।         सल्लू-हां-सल्लू नाम से ही तो सब उसे पुकारते थे।उम्र होगी तब मुश्किल से 5-6बरस।पड़ोस में ही मजदूरों की बस्ती में रहता था।उसका बाप … Read more

 जाहिल सास – ससुर – गीतू महाजन :  Moral Stories in Hindi

सैंडिल की खटखट सुनकर निलेश को अंदाज़ा हो गया था कि रीमा अपनी किटी पार्टी से घर आ गई थी।आते ही सोफे पर वह निढाल सी बैठ गई।राधा (काम वाली बाई)उसके लिए पानी ले आई जिसे पीकर उसने अपने लिए उसे ब्लैक कॉफी बनाने को कहा और मेज़ पर पैर रख अपना फोन चलाने लगी।निलेश … Read more

छोटी माँ – लतिका पल्लवी :  Moral Stories in Hindi

अंशु स्कूल से आया और आकर अपना बैग ड्राइंग हॉल में फेककर सीधे छोटी मम्मी विजया के कमरे में जाकर सो गया। उस समय उसकी छोटी मम्मी छत से कपड़े उठाने गईं थी। उसी वक़्त उनकी पड़ोसन भी अपने छत पर कपड़ा उठा रही थी। विजया को देखकर उसकी पड़ोसन बात करने लगी, अब कोई … Read more

मुझे एतराज़ है – रश्मि प्रकाश :  Moral Stories in Hindi

“ बस करिए पापा… इतना जहर कैसे उगल सकते हैं आप…. जो दिन रात आपके हर काम में लगी रहती है उसको जाहिल गंवार कहते आपकी ज़ुबान लड़खड़ाती क्यों नहीं है….अब तो आप माँ को ऐसे बोलना बंद कर दो…घर में नई बहू आ गई है ये सब देख कर वो क्या सोचेगी सोचा है … Read more

जाहिल कौन – कमलेश राणा : Moral Stories in Hindi

सेठ धनपत राय के यहां केतकी उनके पारिवारिक सदस्य की तरह रहती थीं। जब से सलिल ने होश संभाला था उनका प्यार भरा स्पर्श हमेशा महसूस किया था। वो अपने बेटे सरजू से भी ज्यादा प्यार करती थीं सलिल को और वह भी उसे अपना सच्चा दोस्त मानता था। चाहे वह बात अच्छी हो या … Read more

जाहिल -रेनू अग्रवाल :  Moral Stories in Hindi

गाँव के चौपाल में बैठे लोग अक्सर रघुनाथ को देखकर हँसते, कोई कहता – “अरे, वो रहा जाहिल!” तो कोई ताना मार देता – “इससे बात करोगे तो अपनी भी अक्ल कम हो जाएगी।” रघुनाथ को पढ़ाई-लिखाई का कभी मौका ही नहीं मिला। बचपन में ही बाप चल बसे, माँ खेतों में मज़दूरी करती रही, … Read more

जाहिल,गंवार हो क्या – मंजू ओमर

कैसे जाहिल लोग हैं पढ़े लिखे हैं की गवांर है। अरे क्या हो गया आज फिर क्यों सवेरे सवेरे बड़बड़ किये जा रहे हो पुष्पा जी ने पति अरुण जी से पूछा। अरे क्या बताऊं देखो तो सब जगह पानी की कितनी त्राहि त्राहि मची है और लोग बिना मतलब की पानी बर्बाद करते रहते … Read more

बिटिया का घर बसने दो। – मधु वशिष्ठ :

 Moral Stories in Hindi बिटिया का घर बसने दो। कल भी जब मैं इनकम टैक्स ऑफिस गया था तो रमन को वहां बैठे देखा। उसने दफ्तर में ही सबके बीच में मेरे पैर भी छुए और मेरा काम भी आसानी से हो गया। भाई मुझे तो रमन अपनी बेटी शिप्रा के लिए बहुत पसंद है। … Read more

परिवार – खुशी :

 Moral Stories in Hindi जगन्नाथ जी समाज के प्रतिष्ठित व्यक्ति थे जिनकी कपड़े की मिल थी।घर में दो बेटे विनय और गौरव प्यारी सी बेटी मेघा और पत्नी पूजा थे।सुखी परिवार था। जगन्नाथ जी बाहर का देखते और उनकी मां जानकी देवी की मृत्य के बाद घर की सारी जिम्मेदारी पूजा पर थी।जब तक सास … Read more

राज को राज रहने दो – डॉ बीना कुण्डलिया :

आज रेखा सवेरे सवेरे जल्दी उठ गई उसको बाजार जाना था बहुत सामान जो खरीदना उठकर बिस्तर में बैठे बैठे सोचने लगी जल्दी से घर के काम निपटा सीधे बाजार की तरफ निकल जाऊंगी दरअसल उसे आज ही शाम की ट्रेन से अपने मायके के लिए निकलना था। राखी का त्यौहार जो था साल में … Read more

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