भेदभाव-मनीषा सिंह
जिद नहीं करते बहू! चलो घर चले••! नहीं पिताजी! हम लोगों की उस घर में कोई कदर नहीं और जहां इज्जत नहीं वहां जाने से क्या फायदा•••? कहते शीतल की आंखों में आंसू आ गए। “मुझे अपनी गलती का एहसास हो चुका है” तभी तुम लोगों को वापस लेने के लिए आई हूं! चलो घर … Read more