निर्णय
अंजलि नेहा को घर छोड़ते हुए अपने घर चली जाती है,
नेहा रोज़ी को सुलाते हुए खुद भी सो जाती है ।
शाम को अंजलि के फोन से उसकी नींद खुलती है अंजलि उससे रोज़ी की तबीयत के बारे में जानती है, कि वहां से आने के बाद इतना रोने के कारण रोजी की तबीयत तो ठीक है ना,
नेहा हां दीदी वह बिल्कुल स्वस्थ है ,आप चिंता ना करिए रोजी अभी सो रही है ।
और थोड़ी सी नॉर्मल बात करने के अलावा अंजलि दूसरे दिन नेहा को घर पर बुलाती है ।
दूसरे दिन 12:00 बजे के करीब बैंक से फोन आता है और बैंक मैनेजर उसे स्टॉलमेंट जमा करने की बात करता है ,
नेहा उससे कहती है किधर अभी तो कोरोना काल के चलते हुए मेरी जॉब भी नहीं है तो अभी इंस्टॉलमेंट जमा करना मुमकिन नहीं है ,और इस कोरोना में मैंने मेरे हस्बैंड को भी खोया है तो थोड़ा सा मुझे टाइम लगेगा बैंक मैनेजर उसे 1:00 बजे बैंक बुलाता है ।
नेहा बैंक पहुंचती है , नेहा की खूबसूरती सच में आकर्षित करने वाली है , राजेश के मरने के बाद भी नेहा ने बिंदी और बिछिया दोनों ही नहीं उतारे थे , इसलिए जिन्हें यह बात पता थी कि कोरोना में उसकी हस्बैंड की डेथ हो गई है ,वही समझ पाते थे ,बाकी लोगों को वह शादीशुदा ही नजर आती थी ।
बैंक मैनेजर उसे अंदर बुलाता है और उसी रूल रेगुलेशन समझाने लगता है , जो सिर्फ एक जबरदस्ती का बुलाना था , वह नेहा से कहता है की मैडम आपके हस्बैंड ने last 4 months से गाड़ी और मकान का इंस्टॉलमेंट नहीं भरा है अगर आप जल्दी ही कुछ नहीं करती हैं तो इन दोनों को नीलाम करना हमारी मजबूरी होगी , नेहा कहती है कि थोड़ा सा समय रुक जाइए मैं आपके इंस्टॉलमेंट रेगुलर कर दूंगी ,
मैडम अगर आप कहें, तो मैं आपकी इंस्टॉलमेंट पर लंबे समय तक रोक लगवा सकता हूं , लेकिन बैंक मैनेजर की आंखों का मुआयना वह महसूस कर पा रही थी , बैंक मैनेजर रोजी को खिलाने के बहाने उसके शरीर को टच करने की कोशिश कर रहा था ।
वह जल्दी ही कुछ करेगी यह कहते हुए वह वहां से निकल आती है ,लेकिन मन ही मन बहुत दुखी होती है ,और सोचती है की कैसी दुनिया है किसी के दुख दर्द से कोई लेना-देना नहीं ,इस नश्वर शरीर के आगे कुत्ते की तरह लार टपकाते है ।
और वह अंजलि के घर पहुंच जाती है , अंजलि रोज़ी को नेहा की गोदी से ले लेती है नेहा का उतरा हुआ चेहरा देखकर अंजलि नेहा से पूछती है कहां से आ रही हो जो इतना अपसेट माइंड नजर आ रहा है ।
थोड़ी ऊंची आवाज में चिल्लाते हुए बोलती है ,कि मैंने अगर अपने मां-बाप की बात मानी होती और राजेश से शादी ना की होती तो मुझे आज यह दिन देखने ना पड़ता , दो कौड़ी का वह बैंक मैनेजर जो है तो एक एंप्लॉय मुझे सिखा रहा था इंस्टॉलमेंट नहीं देने पर क्या होता है ,और वह मेरी स्टॉलमेंट रोक देगा, अगर मैं उसके लिए अपने घर के दरवाजे खोल देती हूं तो , मेरे शरीर का निरीक्षण ऐसे कर रहा था अपनी पैनी नजरों से जैसे मैंने इस पर कोई लोन ले रखा हो ,
ऐसा लग रहा था जैसे दहकता हुआ कोई लावा फट पड़ा हो और नेहा गुस्से में बिल्कुल लाल नजर आ रही थी
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