निर्णय (भाग 32) – रश्मि सक्सैना : Moral Stories in Hindi

कभी नेहा रोजी को लेकर चली जाती थी ,और कभी अंजलि नेहा के पास आ जाती थी, धीरे-धीरे रोजी बिल्कुल स्वस्थ हो जाती है ,

नेहा भी नई  फैक्ट्री में रम जाती है, और बहुत जल्दी ही रोहित के बिजनेस को  समझ कर और मेहनत करके बहुत ऊंचाइयों तक ले जाने की कोशिश करने लगती है और बहुत हद तक सफल भी होती है , बहुत जल्दी ही शहर की क्रिएटिव वूमेंस लिस्ट में अपना स्थान बना लेती है । रोहित उसको काफी सारी अलग से क्लासेज ज्वाइन कर आता है , जहां पर्सनालिटी डेवलपमेंट के साथ साथ हैं बहुत कुछ सिखाया जाता है नेहा अपनी ड्रेस सेंस के कारण सभी के आकर्षण का केंद्र हो जाती है ,अंजलि तीनों बच्चों  का पूरा ख्याल रखती है रोहित ने भी अपना रिश्ता बैलेंस में बना कर रखा हुआ है उसे अंजलि को कभी शिकायत का मौका नहीं दिया। रोजी को जब स्कूल में एडमिशन कराने की बात आती है, तो वह नेहा को नहीं जाने देती , वहां रोहित के साथ अंजलि खुद जाती है ,जब फॉर्म सबमिट किया जाता है तो पिता की जगह रोहित अपना नाम देखकर रोहित उसकी तरफ आश्चर्य से देखता है , रोहित को आश्चर्य से अंजलि अपनी ओर देखते हुए पाती है तो कहती है ,ठीक है यह रिश्ता जो भी है और जैसा भी है मैं तुम और नेहा जानते हैं , रोहित अंजलि से कहता है क्या तुमको नहीं लगता जो तुम कर रही हो ,यह गलत है नेहा अब  शख्सियतं है जिसे हर कोई जानता है अंजलि रोहित से कहती है ,कि मुझे जब तुम्हारी इस रिश्ते को अपनाने में कोई दिक्कत नहीं हो रही ,तो फिर तुम समाज से क्यों डरते हो लोग हमेशा पहले बीवी से डरते हैं ,समाज से डरते हैं कहते अंजलि मुस्कुरा देती है ,रोहित इस बात को समझ नहीं पाता कि यह व्यंग है या मजाक ,लेकिन  पिता की जगह लिखा हुआ रोहित का नाम नहीं काटती ।

अब रोजी धीरे-धीरे बड़ी होने लगी है और वह बच्चे भी । रोजी को देखकर कई बार नेहा और रोहित आपस में बात करते हैं ऐसा लगता है जैसे रोजी को जन्म सिर्फ मैंने दिया है लेकिन पिछले जन्म का कोई नाता उसका दीदी से ही है ,और शायद इसी के कारण ईश्वर ने मुझे आप सभी के इतने करीब लाया है रोहित भी नेहा की बात सुनकर हां करता है

और वह दोनों बच्चों से भी अंजलि ने नेहा को हमेशा मम्मी ही कहलवाया , बच्चे हमेशा नेहा को मम्मा कहते थे , और अंजलि रोहित और नेहा उन तीनों की आपस में बहुत अच्छी ट्यूनिंग चल रही थी । और कहीं ना कहीं नेहा को भी इस बात का एहसास हो गया था अंजलि को रोहित और उसके  रिश्ते के बारे में पता है । नेहा भी कभी ऐसा कोई काम नहीं करती थी, जो अंजलि के दिल को ठेस पहुंचाए अगर कहीं बाहर जाना है तो सभी लोग जाते थे । नेहा अंजलि की पसंद और नापसंद का ख्याल रखते हुए उसके लिए हर वह सामान लाती थी ,जो खुद के लिए लाती थी ,धीरे-धीरे उसमें अंजलि के घर पर रुकना जरूर बंद कर दिया था ,रात हमेशा अब अपने ही घर रुकती थी । रोजी नेहा के पास कम और अंजलि के पास ज्यादा रहती थी , अंजलि भी अब उन बच्चों से फ्री होने लगी थी सभी बच्चे स्कूल जाने लगे थे ।और रोहित उन बच्चों के हर चीज पर बहुत ध्यान देता था , स्कूल में कभी नेहा रोहित के संग नहीं गई यह सारी रिस्पांसिबिलिटी अंजली की थी , दोपहर में अंजलि को फ्री देखकर नेहा अंजलि से कहती है दीदी आप भी अब मेरे साथ ऑफिस चला कीजिए, अंजलि हंस देती है और कहती है कि उस काम के लिए मैंने तुम्हें और रोहित को छोड़ दिया है ,मुझे बस मेरे तीनों बच्चों के साथ रहने दो , मैं उनका हर एक पल हर मूवमेंट एंजॉय करना चाहती हूं । नेहा अंजलि को बहुत मनाने की कोशिश करती है लेकिन अंजलि नहीं मानती ।

जब से नेहा रोहित के साथ बिजनेस में कदम से कदम मिलाकर चल रही थी ,जब से उनका बिज़नेस दिन रात बहुत तरक्की कर रहा था  ।

अब रोहित भी थोड़ा थोड़ा फ्री होने लगा था ,क्योंकि नेहा ने बिजनेस को बहुत अच्छी तरह से संभाल रखा था । रोहित और अंजलि अब कुछ कुछ दिनों के लिए आउटिंग के लिए भी जाने लगे हैं और बच्चों को नेहा यहां संभाल लेती है । एक दिन अचानक नेहा के पास अंजलि के काफी सारी कॉल आती हैं लेकिन अंजलि मीटिंग में व्यस्त होने के कारण वह अंजलि के फोन को अटेंड नहीं कर पाती लेकिन थोड़ी देर बाद जब वह अंजलि के इतने मिस कॉल देखकर वह घबरा जाती है ,

फोन उठाकर जब वह अंजलि से बात करती है तो अंजलि बात करने की स्थिति में नहीं थी ,बस वह नेहा नेहा कर रही थी , नेहा  घबरा जाती है ,और घर आती है लेकिन घर आने में भी उसे डेढ़ घंटा लग जाता है घर आकर देखतीहै ,अंजलि बेहोश है और तीनों बच्चे रो रहे हैं एकदम घबराकर दीदी दीदी चिल्लाने लगती है ,ऊपर पानी के छींटे मारकर होश में लाने की कोशिश करती है अंजलि थोड़ा सा होश में आती है लेकिन वापस  बेहोश हो जाती है ,रोहित शहर के बाहर गया हुआ है वह तुरंत अपने ऑफिस से कर्मचारी को बुलाकर अंजलि को हॉस्पिटल ले जाती है ,और साथ में तीनों बच्चों को भी ले जाती है क्योंकि घर पर उसी कोई सर्वेंट नजर ही नहीं आ रहा था । जब वह हॉस्पिटल पहुंचती है तब तक अंजलि थोड़ा सा होश में आती है नेहा अंजलि से बार-बार पूछ रही थी ,हुआ क्या था, कुछ समझ नहीं आ पा रहा डॉक्टर नेहा और अंजलि दोनों को ही रोहित की वजह से जानती हैं वह अंजलि को तुरंत एडमिट करके कुछ टेस्ट करती हैं ,और अंजली का ट्रीटमेंट तुरंत चालू कर दिया जाता है लेकिन नेहा वहां अंदर डॉक्टर से कुछ बात नहीं कर पाती क्योंकि वह तीनों बच्चों को भी संभालना रहता है ,वह गाड़ी में आकर उन बच्चों को रखने की कोशिश करती है ,रोहित को फोन लगा कर पूछती है कि आप कब तक आएंगे रोहित कहता है वह शाम तक आ जाएगा , क्योंकि वह जिस काम के लिए आया था ,वह हुआ नहीं तो  रुकने का कोई मतलब नहीं है ,  नेहा रोहित से कुछ नहीं कहती । फोन रखने के बाद सबसे पहले वह काका को बुलाती है और काका के आने के बाद बच्चों को उनके पास छोड़कर वह अंदर आती है ,अंजलि बार-बार होश में आ रही है और बार-बार बेहोश हो रही है आखिर हुआ क्या है । काका बच्चों को लेकर घर चली जाते हैं रात में जब रोहित घर आता है तो अंजलि को ना देख कर वह काका से पूछता है तो काका उसे हॉस्पिटल का एड्रेस देकर भेज देते है , रोहित हॉस्पिटल में आकर नेहा के पास जाकर पूछता है क्या हुआ अंजलि को डॉक्टर ने कुछ बताया लेकिन नेहा मना कर देती है तो फिर वह डॉक्टर के पास जाता है ।नेहा रोहित का उदास चेहरा देखकर पूछती है।

दीदी को क्या हुआ और डॉक्टर ने क्या बताया ,रोहित बिल्कुल शांत बैठ जाता है । और कहता है मुंबई लेकर जाना पड़ेगा  ।मुंबई क्यो ?

उसकी सारी रिपोर्ट आ गई है जो प्राइमरी तौर पर उसका चेकअप किया गया था उसमें उसके ग्रीन पर एक गांठ है यहां से टेस्ट के लिए मुंबई ही भेजा जाएगा तो फिर हम इतना इंतजार क्यों करें कल सुबह ही अंजलि को लेकर हम मुंबई चलते हैं ,नेहा को कुछ समझ में नहीं आता कि वह क्या कह रहा है नेहा रोहित से कहती है तुम यहीं रुको मैं घर जाकर  पैकिंग करती हूं ।  जैसे ही जाने के लिए नेहा खड़ी होती है, रोहित उसको पकड़ कर बच्चों की तरह रोने लगता है और कहता है अंजलि को कुछ होगा तो नहीं ना नेहा ,संभालती है और कहती है दीदी को कुछ नहीं होगा ,तुम बिल्कुल परेशान मत हो बहुत देर तक रोहित नेहा की गोद में सर रखकर बच्चों की तरह रोता रहता है नेहा घर आकर पैकिंग करती है , और तीनों बच्चों को लेकर हॉस्पिटल सुबह पहुंच जाती है । नेहा का चेहरा और आंखें बता रहे हैं कि वह सारी रात सोई नहीं है ,

अंजलि उसे सिर्फ देखी जा रही है उसे कुछ बोल ही नहीं रही तो , तो नेहा तीनों बच्चों को अंजलि के पास मिटा देती है अंजलि उन्हें देखकर मुस्कुराती है और धीरे से नेहा से कहती है इन सब का अच्छी तरह ध्यान रखना नेहा अंजलि से कहती है यह सब मेरे बस का नहीं है आप जल्दी से ठीक हो कर आइए और इन सब को आप ही संभालिए अंजलि मुस्कुराते हुए नेहा से कहती है अब इन्हें भी संभालने की आदत डाल लो । और नेहा के हाथ में उन दोनों बच्चों का हाथ पकड़ा ने की कोशिश करती है और हंसते हुए कहती हैं , कि सिर्फ इन तीनों बच्चों को ही नहीं इन बच्चों के पापा का भी ख्याल अब तुम ही रखना  नेहा अंजलि को आश्चर्य से देखती रह जाती है ,अंजलि नेहा का हाथ अपने हाथ में लेकर धीरे से दबाते हुए आंखों से उसे इशारा कर देती है , जैसे वह उससे कह रही है कि उसे सब पता है  ।और नेहा अंजली से आंखें चुराने लगती है ,इतने में रोहित अंदर आता है ,तो नेहा खड़ी हो जाती है ,और रोहित अंजलि का हाथ अपने हाथ में लेकर वहां बैठ जाता है ,और कहता है तुम बहुत जल्दी ठीक हो कर आओगी ,अंजलि सिर्फ मुस्कुराती है ,और इशारे से उसी नेहा को दिखाती है। लेकिन रोहित कुछ समझ नहीं पाता

नेहा रोहित से कहती है क्यों ना तुम गांव से अपने परिवार को बुला लो ,वह लोग बच्चों की यहां देखभाल कर लेंगे , और मैं भी तुम्हारे साथ मुंबई चलूंगी  ,रोहित को नेहा की यह बात सही लगी और वहां गांव से अपनी फैमिली को इनफॉर्म करता है , रोहित अंजलि के साथ मुंबई चला जाता है और नेहा को बोल जाता है कि तुम यहीं रुको जब तक मेरे परिवार से यहां कोई आ नहीं जाता ,उनके आने के बाद तुम  मुंबई आ जाना ,नेहा उसकी बात मान कर रुक जाती है , वहां उसका परिवार शाम के समय आता है नेहा को वहां देख कर वह नेहा को रोहित की मां बहुत सुनाती है और नेहा से उसकी रोहित की मां कहती है कि तेरे कारण ही मेरी बहू की यह हालत हुई है तूने मेरे लड़के  को फंसा लिया है पैसा देखकर , नेहा को रोजी के साथ घर से निकाल देती है ,लेकिन वह दोनों बच्चे भी नेहा के बिना नहीं रहते और बहुत रोते हैं , अब उसको यह समझ में नहीं आ रहा था अगर इतनी परेशानियों में यह परेशानी रोहित से शेयर करूं ,तो यह परेशानी रोहित की परेशानी के आगे बहुत छोटी है और कोई भी मां यही व्यवहार करेगी किसी के साथ अगर ऐसा हो तो वह घर जाकर बहुत परेशान रहती , रोहित बार-बार नेहा को फोन कर रहा है तुम इस फ्लाइट से चल दी क्या तो नेहा कहती है मैं कल आ पाऊंगी क्योंकि गांव से परिवार की सभी लोग थोड़ा लेट आप आए ,जब उसको कुछ समझ में नहीं आता तो वह दूसरे दिन नेहा को साथ लेकर मुंबई चली जाती है रोजी को  देखकर रोहित हैरान हो जाता है नेहा रोहित से कहती है की रोजी बिल्कुल नहीं रुक रही थी । इसलिए उसे मजबूरी में लाना पड़ा , नेहा अंजली का बहुत ख्याल रखती है और अंजलि रोजी को देखकर खुश होती है कभी अंजलि बिल्कुल ठीक रहती है तो वह रोजी के साथ खुश रहती है  हॉस्पिटल में 15 दिन हो जाते हैं तब तक पता भी पड़ गया था ,कि अंजलि को ब्रेन कैंसर है बहुत प्रयास कर रहे हैं डॉक्टर भी ,यह भी बहुत दुआ मांग रही है ,बीच में रोहित घर जाकर बच्चों को देखकर आता है लेकिन वहां दोनों ही बच्चे बीमार हो रहे हैं तो वहां अपनी मां से कहता है कि मैं नेहा को यहां भेज देता हूं मां कहती हम सब संभाल लेंगे ,और जब बाहर आकर गाड़ी में बैठने लगता है तो वह पूछता है कि क्यों ना मैं बच्चों को भी वही ले जाऊं इन बच्चों को देखकर अंजलि में कोई इंप्रूवमेंट हो लेकिन फिर वहां चला जाता है और सोचता है कि अगली बार तीन बच्चों को ले जाऊंगा  ।अंजलि की थेरेपी स्टार्ट हो चुकी है उसमें कुछ इंप्रूवमेंट लग रहा है ।लेकिन वह बच्चों को बार-बार याद कर रही है लेकिन रोहित अंजलि को वापस घर नहीं ले जाना चाहता ।वह वहीं रहकर उसका पूरा ट्रीटमेंट कराना चाहता है कुछ समय बाद अंजलि की दोबारा हालत खराब होने लगती है ,नेहा रोहित  अंजलि के करीब बैठे हैं वह रोहित का हाथ नेहा के हाथ में दे देती है ।और बस इतना कहती है रोहित का और मेरे बच्चों का अच्छी तरह ख्याल रखना । क्योंकि मुझे पता है मेरे जाने के बाद इस परिवार में अधूरापन नहीं आएगा क्योंकि या पूरा परिवार नेहा तुम्हारा ही है ।रोने लगती है लेकिन अंजलि उसे चुप कराती है और कहती है नेहा ईश्वर की मर्जी के आगे  कोई नहीं रोक सकता ।इस तरह से कुछ समय और निकल जाता है अंजलि कभी ठीक होती है और कभी उसकी हालत खराब होती है  रोहित का फोन नेहा के पास आता है और वह कहता है तुम जल्दी आओ नेहा अंजलि को क्या हो गया यह सुनते ही नेहा सीढ़ियों से भागकर नीचे दौड़कर कमरे में आती है ,वहां अंजलि को देखती है अंजली की आंखें खुली हुई है ,अंजली छोड़ कर चली गई नेहा । नेहा डॉक्टर की तरफ देखती है तो डॉक्टर अंजली का चेहरा ढक रही थी ,एकदम हतप्रभ रह जाती है नेहा रोहित को और रोहित नेहा को संभालते हैं। सारी फॉर्मेलिटी करने के बाद नेहा और रोहित डिसीजन लेते हैं की अंजली का अंतिम संस्कार यही कर देते हैं जैसे तैसे एक दूसरे को संभालते हुए इलेक्ट्रिक मशीन के द्वारा अंजली का अंतिम संस्कार कर दिया जाता है । कुछ औपचारिकताएं करने के बाद रोहित को अचानक रोजी की याद आती है और वह पूछता है क्या तुम रोजी को स्टाफ रूम में छोड़ कर आई हो क्योंकि इसके पहले भी नेहा कई बार रोजी को वहां छोड़ आती थी , अब उसे लेकर आ जाते , तब अचानक नेहा को याद आता है कि वह तो रोजी ही को अपने साथ ऊपर ले गई थी ,और रोहित के फोन आने पर वह भागकर नीचे आ गई और उसने रोजी का ध्यान ही नहीं दिया , नेहा और रोहित हॉस्पिटल में सब जग है उसे ढूंढ रहे हैं तब एक डॉक्टर रोहित से कहता है आपकी बेटी ऊपर से गिर गई है सामने वाले वार्ड में है रोहित और नेहा दौड़कर वहां पहुंचते हैं लेकिन वह देखते हैं रोजी का चेहरा भी कपड़े से ढका हुआ है नेहा रोजीसे लिपटकर बहुत रोती है वह समझ ही नहीं पाती कि अचानक क्या हो गया  । रोहित भी बहुत रोता है फिर कुछ समय बाद नेहा को सांत्वना देते हुए रोजी का भी वही अंतिम संस्कार कर दिया जाता है, नेहा बिल्कुल पागल जैसी हो रही है और रोहित भी बहुत परेशान क्यों की बहुत कम समय में अंजलि रोजी दोनों उनसे बहुत दूर जा चुकी थी ।

आसपास का उनकी कंपनी का स्टाफ मुंबई आ चुका था और सभी लोग नेहा और रोहित को समझा रहे हैं। वह दोनों वापस बेंगलुरु आ चुके है ।

बच्चों की हालत देखकर नेहा घबरा जाती है और उन बच्चों को लेकर सीधे डॉक्टर के यहां जाती है यहां पर सभी लोग अंजलि की और रोजी की शोक सभा रखती हैं लेकिन उसने नेहा नहीं पहुंचती क्योंकि उसे उन बच्चों की ज्यादा फिक्र हो रही थी । जैसी ही बच्चों को हॉस्पिटल दिखा कर घर आती है तो रोहित की मां उसे हाथ पकड़ कर बाहर निकालने लगती है रोहित देख लेता है और आकर अपनी मां पर चिल्लाता है यह क्या कर रही हो आप, रोहित की मां कहती है बेटा तू नहीं जानता ऐसी लड़कियां बड़े घर के लड़कों को फंसाती हैं और फिर देख क्या हाल हुआ हमारेघर का  इसने हमसे हमारी अंजलि को छीन लिया, रोहित चढ़ते हुए कहता है नेहा ने अपनी बच्ची को भी अंजलि के कारण ही खोया है । मां अभी कोई तमाशा मत करो यहां।इस विषय में बाद में बात करते हैं और नेहा से कहता है , तुम बच्चों के साथ कमरे में जाओ ।

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