कहानी निर्णय
गतांक से आगे
रोने के कारण नेहा का पूरा चेहरा लाल हो चुका था ,और आंखें सूज गई थी, रोहित बड़े गौर से उसका चेहरा देख रहा था , नेहा अपनी ही धुन में खोई हुई बैठी थी , रोहित अपनी चाय खत्म करके रूम में जाकर रोजी को देखता है , और एक किस कर के वापस आ जाता है , बाहर निकल जाता है लेकिन नेहा किसी उधेड़बुन में वहां बैठी रहती है , रोहित गाड़ी स्टार्ट करके चल देता है और सोचता है कि उसे तो यह बात पहले ही बता दी अंजलि ने, कि वह नेहा की कोख को खरीदना चाहती है, लेकिन उसने अंजलि को बहुत समझाया था , अंजलि तो उस समय मान गई थी ,और वह इसीलिए उसने डॉक्टर सरिता के पासवर्ड दोबारा नहीं गई और उसने उससे प्रॉमिस भी किया था , कि अब वह कभी भी इस संदर्भ में बात नहीं करेगी ,बेहद आश्चर्य हो रहा था , पच्चीस साल की लड़की एक दूसरी अपने से 7 साल बड़ी महिला के दुख को इतनी अच्छी तरह से समझ रही है , ऐसा नहीं है कि अंजली का दुख रोहित नहीं समझता , पर वह अनाथ आश्रम से बच्चे लेने को तैयार नहीं है और वही रोहित की मां यह चाहती हैं कि वह उसके छोटे भाई के बच्चों को अपने पास रख ले वह बच्चे थोड़े बिगड़े हुए होने के कारण अंजलि को बिल्कुल पसंद नहीं है , वह भगवान से माफी मांगता है , पर वह उस समय समझ नहीं पाया कि उसे सच बता देना था , रास्ते भर उसके दिमाग में नेहा का रोता हुआ चेहरा घूमता रहा ।
जब वह घर पहुंचा तो अंजलि ने उससे पूछा क्या आप नेहा के घर गए थे , अब कैसी है मेरी उससे कोई बात नहीं हुई, रोजी कैसी है , रोहित मुस्कुराते हुए कहता है इतने सारे प्रश्न तुम उसे फोन लगाकर क्यों नहीं पूछती , यह तो नहीं कि मैं बाहर से आया हूं ,तो मुझे खाने की पूछो । अंजलि झेंप जाती है , और खाना लगाने चली जाती है ।
रोहित के चेहरे के सामने से नेहा का वह रोता हुआ चेहरा जा नहीं पाता और वह मन ही मन बहुत परेशान होने लगता है । वह मन ही मन सोचता है अब वह नेहा के घर नहीं जाएगा ।
कुछ समय के बाद गांव से किसी कार्यक्रम के लिए रोहित और अंजलि को बुलाया जाता है , रोहित अपनी मां की बात अंजलि से कराता है , रोहित की मां अंजलि को चार-पांच दिन के लिए गांव में आने के लिए कहती है और कहती है कि थोड़े से रिश्तेदार भी आ रहे हैं तो तुम भी यहां पर आकर हमारे साथ रहो । अंजलि हां भर देती है ,और 2 दिन बाद आने की बात अपनी सास से कहती है ।
रोहित अंजलि को समझाता है कि देखो तुम जब भी वहां जाती हो हमेशा परेशान होकर वापस आती हो , तुम चाहो तो हम कुछ भी बहाना मां से कर देंगे , तुम्हें वहां जाने की जरूरत नहीं है ।
अंजली रोहित के कंधे पर सर रखकर कहती है , रोहित वह मेरा परिवार है शायद उन्हें भी लगता है कि हमारा भी पूरा परिवार होना चाहिए वह एक मां है और मां तो हमेशा अपने बच्चों के लिए चिंता करती ही है तुम बिल्कुल परेशान मत हो तुम बस एक दिन मेरे साथ रुकना उसके बाद मुझे छोड़ कर वापस आ जाना ,शायद तुम्हारी किसी से उस समय जरूरी मीटिंग भी है मीटिंग खत्म करके फिर तुम वापस आ जाना ।
रोहित अंजलि की जिद के आगे हार जाता है, और कहता है , तुम सामान की पैकिंग करो ,और जो भी तुम्हें वहां सामान ले जाना है रामदीन को फोन करके बता देना वह तुम्हें घर पर सामान दे जाएगा ।
दूसरे दिन अंजली नेहा को फोन लगाकर घर बुलाती है , ।
अंजलि नेहा से कहती है कि वह अब कुछ दिनों के लिए अपने ससुराल गांव जा रही है , हो सकता है उसे वापस आने में चार पांच दिन लग जाए, इसलिए आज पूरा दिन तुम और रोजी मेरे साथ यही रहो और उसके बाद मार्केट चलकर रोजी के लिए मुझे कुछ शॉपिंग करनी है कोरोना के कारण ज्यादा मार्केट नहीं खुला लेकिन एक दो जगह से हम सामान ला सकते हैं , और कुछ गिफ्ट मुझे अपने परिवार वालों के लिए भी खरीदने हैं , अंजलि रोजी के साथ पूरा दिन मस्ती करती है और शाम के समय कुछ जरूरी चीजों की शॉपिंग करके घर वापस आ जाती है । अंजलि नेहा को ध्यान से रहने की हिदायत देती है बाहर जाने को मना करती है और रोजी का ख्याल रखने के लिए बोल कर ड्राइवर के साथ उसे घर भेज देती है ।
रोहित को अचानक अपने कारोबार के सिलसिले में जरूरी काम से उसी दिन बाहर जाना पड़ता है तो अंजलि ड्राइवर के साथ अकेली गांव चली जाती है क्योंकि गांव वहां से ज्यादा दूर नहीं था , रोहित अपना काम खत्म करके सीधे गांव पहुंचने का अंजलि से वादा करता है । गांव में सभी लोग अंजलि को देखकर खुश हो जाते हैं, और उन सभी लोगों को विशेषकर बच्चों को अंजली का बेहद इंतजार रहता है ,क्योंकि वह उन सभी के लिए शहर से बहुत सुंदर सुंदर तोहफे लेकर जाती है । देवरानी जेठानी सास-ससुर बच्चों सभी लोगों को वह तोहफे देती है , सभी उसके तोहफे पाकर बहुत खुश होती हैं ।
शाम के समय रोहित भी वहां आ जाता है , रोहित से मिलकर सभी घर के लोग बहुत खुश होते हैं ।
दूसरे दिन हवन होता है अंजलि की देवरानी अपनी सास से कहती है की मम्मी हर बार तो हम ही लोग हवन पर बैठते हैं इस बार भाई साहब भाभी दोनों आए हैं उन्हे हवन पर बैठ जाने दो , लेकिन उसकी सास मुंह बना कर कहती है जिसके कोई बच्चा ना हो ऐसी ठूठ को मैं अपने घर की शांति के हवन में नहीं बैठने दूंगी ,यज्ञ भगवान जी बांझ औरत की आहुति स्वीकार नहीं करते ।
खिड़की पर खड़ी हुई अंजलि अपनी सास की यह बात सुनकर दुखी हो जाती है ,
और दूसरी तरफ रोहित भी यह बात सुन लेता है और अंजलि को सुनते हुए भी देख लेता है ।
अंजली पूरे दिन बनावटी खुशी के साथ उस पूजा पाठ में शामिल होती है और सोचती है है कि अगर यह बात रोहित को पता चले ,तो वह मुझ पर ही गुस्सा होगा ,क्योंकि उसने मुझे यहां आने के लिए मना किया था , रोहित उसके इस नकली आवरण के साथ खुश देख कर बड़ा हैरान होता है , और सोचता है क्या यह 7 साल पहले वाली अंजली है जिसकी नाक पर हमेशा गुस्सा रहता था ,पर सिर्फ मां ना बन पाने के कारण अंजलि कितने समझौते कर रही है ।
दूसरे दिन रोहित अंजलि से वापस चलने के लिए कहता है लेकिन परिवार के और सदस्य उसी नहीं जाने देते रोहित को अपने काम के सिलसिले में आना पड़ता है , तो वह अंजलि से कहता है, तुम मेरे साथ चलो अगर मैं वापस नहीं आ पाया तो मुझे खाने में दिक्कत होगी अंजली हंस कर कहती है कि अगर ऐसा लगे तो नेहा के पास चले जाना, जबकि रोहित उसको सिर्फ इसलिए वापस ले जाना चाहता था की फिर कोई उसके दिल दुखाने वाली बात ना हो । पर अंजलि को देखकर ऐसा लग रहा था जैसे वह उन सबके बीच में बहुत खुश है ।
रोहित को काम के सिलसिले में थोड़ा लेट हो जाता है , और उसका मन वापस गांव जाने का नहीं करता । वह घर आकर लेट जाता है । अंजली का फोन आने पर उसे झूठ कह देता है कि उसने खाना खा लिया है ।
दूसरे दिन शाम को जब वह गांव जाने लगता है तो अंजली का फोन आता है कि गांव में एक साथ 78 पेशेंट कोरोना पॉजिटिव निकले है, तो गांव में किसी को आने नहीं दिया जा रहा । रोहित अंजलि पर गुस्सा होता है और कहता है मैं तुम्हें वापस ला रहा था ,तो तुम मेरे साथ क्यों नहीं आई, अब वहां पर अपना ख्याल अच्छी तरह रखना । मैं कोशिश करता हूं किसी तरह से बस तुम्हें यहां ले आऊं ।
अंजलि भी थोड़ा परेशान हो जाती है क्योंकि काफी समय से वह रोहित के बिना नहीं रही थी ।
अंजलि नेहा को फोन लगा कर कहती है , कि वह रोहित का खाना रोज बनाए क्योंकि रोहित वहां अकेले हैं।
किस समय रोहित को क्या पसंद है उसे क्या नहीं पसंद है इन सब की लिस्ट बनाकर वह नेहा को व्हाट्सएप कर देती है जबकि नेहा बहुत कुछ तो नहीं लेकिन फिर भी थोड़ा बहुत तो जानती थी ,रोहित की पसंद और नापसंद के बारे में ।
मेरा अंजलि से कहती है दीदी आप अपना ध्यान रखिएगा , जैसे ही रास्ता ओपन हो आप तुरंत यहां आ जाइएगा ,और सर का ख्याल में अच्छी तरह रखूंगी ,आप बिल्कुल परेशान मत होइएगा
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