कहानी निर्णय
रोहित ओर नेहा खाना खाकर बाहर सोफे पर आकर बैठ जाते है, रोहित नेहा से कहता है तुम सच में बहुत टेस्टी खाना बनाती हो, आज लंच पर बुलाने का पूरा प्लान था तुम्हारा , तभी तुमने सारा खाना मेरी मनपसंद का बनाया , नेहा मुस्कुरा देती है ।
रोहित जानता था कि नेहा के मन में बहुत सारे प्रश्न जवाब पाने के लिए तड़प रहे हैं , लेकिन नेहा उन प्रश्नों की शुरुआत कहां से करें, यहां पर बुलाने का कोई और कारण नहीं हो सकता ।
नेहा और रोहित यूं ही मैगजीन के पन्ने पलट रहें थे , रोहित अपनी तरफ से कोई बात नहीं करना चाहता ,दूसरी तरफ नेहा कुछ समझ नहीं पा रही थी वह कैसे शुरुआत करें ।
कुछ समय बाद नेहा रोहित से पूछती है सर आप काफी लेंगे या चाय ।
रोहित बिना फॉर्मेलिटी के बोल देता हैं , कि खाना खाने के बाद उसे सिर्फ कॉफी ही पसंद है ।
नेहा किचन में कॉफी बनाने चली जाती है ।
रोहित नेहा को देखकर सोचता है ,कि इतनी कम एज में पूरा जीवन एक बेटी के साथ अकेले गुजारना कितना मुश्किल होता है , इतनी कम उम्र की विधवा अच्छा और बुरा भी नहीं समझ पाती , उसे समझ में ही नहीं आता ,कि वह दूसरा व्यक्ति जो उसके लिए कुछ कर रहा है वह कहां तक सही है या गलत है l
नेहा कॉफ़ी लाकर रोहित को पकड़ाती हैं ,एकदम से रोहित की विचारों की श्रंखला भंग हो जाती है , और वह नेहा को देखने लगता है ,नेहा एकदम सकुचा जाती है ,रोहित भी झेप जाता है ।
रोहित नेहा से कहता है कॉफी बहुत अच्छी बनाती हो । बिल्कुल अंजलि की तरह, नेहा हंसते हुए कहती है मैंने ज्यादातर चीजें दीदी से ही सीखी है ,कम उम्र में शादी कर लेने के कारण मुझे घर के काम नहीं आते थे ,और ज्यादातर कामों में राकेश मेरी मदद करते थे ।
मैंने आपको धन्यवाद देने के लिए यहां बुलाया है कि मेरे मकान और कार का पूरा लोन चुका कर मेरे नाम कर देने के लिए ।
रोहित बिल्कुल शांति से कॉफी पीता रहता है क्योंकि उसे पता है यह वह बात नहीं है जो नेहा पूछना चाहती है इसलिए वह मैगजीन से अपना सर नहीं हटाता ।
नेहा फिर कहती है , टोटल कितने इंस्टॉलमेंट बाकी थे हमारे,
रोहित सर उठाकर नेहा से पूछता है क्या तुमने यह जानने की कोशिश नहीं करी कि तुम्हारे स्टॉलमेंट कितनी बाकी है ।
रोहित के इस जवाब से नेहा हैरान हो जाती है क्योंकि उसे इस जवाब की बिल्कुल आशा नहीं थी ।
मैं यह सब काम नहीं देखती थी ,यह सारी जिम्मेदारी राकेश की थी, मैं बैंक भी दूसरी बात अब गई थी ,नेहा भी थोड़ा तेश में आकर बोलती है ।
तो आपको यह सब बाते जाननी चाहिए ,कहां पर क्या देना है ,
रोहित के इस व्यवहार से नेहा थोड़ी मायूस हो जाती है , पर उदासी भरे लहजे में कहती है उसे क्या पता था कि ईश्वर ने उसकी भविष्य में क्या लिखा है ।
और कहती है कि वह तो अभी भी यह नहीं जानती कि उसकी आने वाले भविष्य में ईश्वर ने और क्या-क्या लिखा है । और प्रश्नवाचक निगाहों से वह रोहित की तरफ देखती है ।
रोहित उसकी आंखों को देख कर अंदर तक सिहर जाता है लेकिन वह खुद को नेहा के द्वारा आने वाले प्रश्नों के जवाब देने के लिए तैयार करने लगता है ।
सर मुझे यह बताइए कि आपने मुझे यह नहीं बताया कि आपने सिर्फ मेरी बैंक की लोन का किस्त नहीं चुकाई बल्कि यह मकान गिरवी रखा हुआ था 25 लाख में वहां से भी आपने इस मकान को छुड़वाया है ।
जब यह बात आपको पता थी तो आपने मुझे क्यों नहीं बताई ।
रोहित समझ जाता है किसी ना किसी सोर्स के द्वारा नेहा को इस बात का पता चल गया है ।
रोहित बड़ी बेपरवाह होकर कहता है मुझे लगा तुम्हारा पति है तो तुम्हे इस बात का पता होगा , और तुमने मुझसे कुछ पूछा भी नहीं इसलिए मैंने बताया नहीं ।
आपने जो इतनी बड़ी रकम मेरी उस मकान के लिए चुकाई है तो फिर आप अपना मकसद भी मुझे बता दें क्योंकि बिना मकसद की कोई भी आशा कदम नहीं उठाता यह आप बहुत अच्छी तरह से जानती हैं कि मैं इतनी बड़ी रकम चुकाने में सक्षम नहीं हूं मेरी छोटी सी नौकरी जिसमें मेरा और मेरी बेटी का गुजारा होना बहुत मुश्किल है तो मैं आपकी इतनी बड़ी रकम कहां से चुका पाऊंगी आप मुझे कृपया करके आप यह भी बताएं कि आपके मन में क्या चल रहा है ।
नेहा की तरफ से इस तरह से आने वाले प्रश्नों को सुनकर रोहित थोड़ा हैरान हो जाता है।
फिर वह मुस्कुराते हुए कहता है कि जहां फायदे का सौदा होता है उसे करने में उसे कोई हिचक नहीं होती मैं बिजनेसमैन हूं और उसी की दृष्टि से नफा नुकसान सोचता हूं जितना मैंने तुम्हारे लिए किया है वह कहीं ना कहीं से तो मुझे वापस मिलने की उम्मीद होगी तभी तो मैंने किया है ।
नेहा उसकी यह बात सुनकर एकदम चौक जाती है और आश्चर्य से कहती है वापस मिलने की उम्मीद मतलब क्या है आपका
यह आप अच्छी तरह से जानते हैं कि मेरे पास आपको वापस करने के लिए कोई भी रास्ता नहीं है
रोहित भी कह तो देता है लेकिन वह खुद ही नहीं समझ पाता कि ,वह अपनी इस बात को क्लियर फाई कैसे करें ।
नेहा बहुत भोली होती है ,उसे ज्यादा दुनिया की समझ नहीं होने के कारण बहुत मासूम से शब्दों में कहती है ,कि मैं और रोजी इतने बडे मकान में क्या करेंगे हम कहीं एक छोटा सा घर ले लेंगे ,मुझे कार की भी कोई जरूरत नहीं है ,आप चाहो तो इस घर को कार को बेच दो और अगर आपको आप का दिया हुआ पैसा मिल जाता है , तो बहुत अच्छा रहेगा ,और अगर उसके बाद थोड़ा बहुत पैसा बचता है तो मैं उससे अपने लिए 2 कमरों का कहीं पर कोई फ्लैट ले लूंगी ,और अगर नहीं भी बचा तो कोई बात नहीं मैं थोड़ा ज्यादा काम कर लूंगी ,कहीं किराए पर हम दोनों रहेंगे । पर यह कहते कहते नेहा हांफने लगती है और उसकी आंखों से आंसू बहने लगती हैं।
रोहित उसकी यह हालत देखकर एकदम सकते में आ जाता है ,और मन ही मन बहुत दुखी होता है वह चाह कर भी नेहा के पास जाकर उसे चुप नहीं करा पाता ।
वह नेहा से कहता है हां ऐसा ही कुछ मैंने सोचा था ,अभी तो तुम दोनों यहीं पर रखो, कुछ समय बाद जब कोई अच्छा ग्राहक मिलेगा तब इस मकान को बेचने की सोचेंगे । और जिसको तुम्हारी पति ने यह मकान और कार गिरवी रखी थी ,एक समय के बाद वह भी यही करता मकान बेचकर अपना पैसा डबल बनाता।
नेहा सर झुका कर पैर के नाखून से जमीन पर बिछे कालीन को कुरेद ने लगती है और उसकी आंखों से आंसू उसके पैर पर गिर रहे हैं।
रोहित नेहा से फिर कहता है कि रोना नहीं कभी भी किसी के सामने ,फायदा उठाने वाले बहुत लोग हैं , हमेशा अपनी कमजोरी को अपने आईने के सामने खड़े होकर कहो ना कि किसी व्यक्ति के सामने ।
धीरे-धीरे नेहा के आंसू बंद होने लगते हैं , और वह उठ कर अपना चेहरा धोने चली जाती है ।
रोजी के रोने की आवाज सुनकर नेहा उसको लेने बेडरूम में चली जाती है ।
जब वह बाहर रूम मैं आती है ,
तो रोहित बाहर जाता हुआ नजर आता है
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