निरादर – खुशी

लक्ष्मी दो बेटों की मां थी।श्याम और राम उसके पति महेश एक फैक्ट्री में नौकरी करते थे और लक्ष्मी घर से टिफिन सर्विस का काम करती थी। चारों की जिंदगी अच्छी चल रही थी कम था पर वो संतुष्ट थे।बच्चे भी जिद्दी नहीं थे।पर अचानक उनकी खुशी को नजर लग गई फैक्टरी में हादसा होने के कारण महेश की मौत हो गई।लक्ष्मी की तो दुनिया ही उजड़ गई।भाई रजत जो मुंबई में रहता था वो आया और उसने अपनी जान पहचान से मुआवजे का पैसा दिलवाया और लक्ष्मी को ले अपने घर आ गया।भाई रजत के घर उसकी पत्नी पूजा मां निर्मला और दो बच्चे पीयूष और पायल थे।मां निर्मला को तो बेटी का ये दुख देख सांप सूंघ गया वो कहती ईश्वर मुझे उठा लेता पर इसका सुहाग बनाए रखता ।रजत बोला मां ईश्वर की जो इच्छा उसमें हम क्या कर सकते है।पूजा भी सबके लिए खाना लगा लाई।लक्ष्मी रजत से बोली भैया वो मुआवजे का पैसा बैंक खाते में डाल देते है ताकि बच्चों की पढ़ाई के काम आ सके।अगले दिन रजत लक्ष्मी को ले बैंक गया वहां उसका अकाउंट खुलवा वो पैसे बैंक में fd करवा दिए और उसकी विधवा पेंशन भी शुरू करवा दी ताकि वो किसी की मोहताज ना रहे।कुछ महीने बीते भाभी के व्यहवार में परिवर्तन आने लगा।उसे लगता जो उसके बच्चों के लिए रजत करता है वहीं वो लक्ष्मी के बच्चो के लिए भी क्यों कर रहा है।जबकि रजत के बच्चे pvt स्कूल में पढ़ते थे और लक्ष्मी के सरकारी ।लक्ष्मी ने रजत को पहले ही मना कर दिया था कि आप अपने ऊपर बोझ ना ले।पूजा को लगता ये बच्चे और लक्ष्मी उनका हक छीन रहे हैं।अब वो उखड़ी उखड़ी रहती।घर का सारा काम लक्ष्मी करती भाभी को पूरा आराम था।एक बार पूजा की किटी पार्टी थी सारा खाना लक्ष्मी ने बनाया जो आया वो उंगलियां चाट ता रहा।सबने बहुत तारीफ की उसके सर्कल में रजत के ऑफिस के सीनियर रोहन की वाइफ अंजलि  भी थी उसने पूजा से पूछा खाना कहा से मंगवाया है पूजा बोली मेरी मेड ने बनाया है।अंजली बोली क्या तुम अपनी मेड को मेरे यहां खाना बनाने भेज दोगी अगले हफ्ते मेरे यहां पार्टी है।ये सब बाते लक्ष्मी का बेटा राम सुन रहा था वो अंदर आया और बोला मां अब हम यहां नहीं रहेंगे।लक्ष्मी और निर्मला बोली क्या हुआ बेटा ।राम रोने लगा मामी ने सबको बताया कि ये खाना कामवाली ने बनाया है।मां आपका कितना निरादर किया ।तभी पूजा लक्ष्मी को आवाज देती हुई आई चलो लक्ष्मी मेरी सहेली बुला रही है।लक्ष्मी आई तब अंजलि और रूपा वहां खड़ी थी दोनो बोली तुम तो बहुत अच्छा खाना बनाती हो हमारे यहां काम करोगी पैसा भी अच्छा देंगे।पूजा बोली हा हा क्यों नहीं करेगी।लक्ष्मी बोली जैसा भाभी बोले अंजली बोली भाभी तेरी मेड तुझे भाभी बोलती हैं प्लीज़ मुझे तो मैडम ही बोलना ।लक्ष्मी जाने के लिए मुड़ी पीछे औरतों की आवाजें आ रही थी ऐसी नौकरानी हो तो मजा आ जाए।लक्ष्मी नौकरानी शब्द सुन स्तब्ध हो गई। बहुत रोई मां की गोद में सिर रख ।थोड़ी देर में पूजा की आवाज आई आराम खत्म हो गया हो तो रसोई और बर्तन समेट लो और ये खाना बचा है तुम बच्चे और मां शाम को खा लेना क्योंकि हमे आज रजत के दोस्त के घर जाना है।लक्ष्मी बोली जी भाभी लक्ष्मी ने सारी क्रोकरी साफ की ड्राइंग रूम साफ किया घर जगमगा रहा था तभी बेल बजी पूजा की सहेली नीति आई थी अपना पर्स लेने आई थी बोली वाओ पूजा तेरी मेड कितनी एफिशिएंट है पूरा घर साफ हो गया आधे घंटे में यू आर सो लक्की यार ये मैड मेरे साथ भेज दे।पूजा हंसते हुए बोली खास ख्याल रखती हूं अपनी मेड का मै कैसे दे दूं।और दोनों हंसने लगी।लक्ष्मी को बहुत बुरा लगा।शाम को रजत और पूजा बच्चों के साथ बाहर चले गए।लक्ष्मी अपने पुराने दिन याद कर रही थी कैसे महेश उसे प्यार करता था अपने घर की लक्ष्मी कह उसका सम्मान करता था।आज लक्ष्मी कहा थी उतरन पहन कर अपनlऔर बच्चों का गुजारा कर रही थी। अगले दिन सुबह रजत ने उसे बुलाया बोला पूजा बता रही थीं तुम्हे दो घरों में खाना बनाने का काम मिला है।मै तुम्हे भेजता तो नहीं पर अंजली मेरे बास की बीवी है उसे कैसे मना करूं।प्लीज़ तुम चली जाओ तुम्हारे हाथ में भी चार पैसे आएंगे।रजत ऑफिस चला गया पूजा ने लक्ष्मी को बुलाया कल से जाना है पहले घर का सारा काम करके और ध्यान रहे किसी को पता नहीं चलना चाहिए कि तुम हमारी क्या हो? लक्ष्मी बोली ठीक भाभी अगले दिन से लक्ष्मी वहां जाने लगी।लक्ष्मी का खाना अंजली और उसके परिवार को इतना पसंद आया कि पूछो नहीं वो लक्ष्मी का ध्यान रखती और जब उसने लक्ष्मी की दुख भरी कहानी सुनी तो वो बच्चों के लिए भी गाहे बगाहे बच्चों के लिए भी मदद करती थी।अब श्याम दसवीं में था उसे ट्यूशन की जरूरत थी।लक्ष्मी ने रजत को बोला भैया श्याम के लिए ट्यूशन रखनी है ।रजत बोला पूजा की बोलो जो पीयूष को पढ़ाता है वही पढ़ा देगा।अगले दिन से पीयूष और श्याम साथ पढ़ने लगे श्याम होनहार था वो हर सवाल चुटकियों में सुलझाता और पीयूष बैठा रहता।टीचर भी पीयूष को बोलते तुम इतने अच्छे स्कूल में पढ़ रहे हो तुम्हे कुछ नहीं आता जबकि श्याम सरकारी स्कूल में पढ़ता है पर इसे टॉपिक्स क्लियर है।पीयूष पूजा को श्याम की शिकायत करता है कि ये पढ़ेगा तो मै नहीं पढ़ूंगा।पूजा होम ट्यूशनबंद करवा देती है और पीयूष को बाहर भेजना शुरू कर देती है। लक्ष्मी परेशान हो जाती हैं कि बेटा तू कैसे पढ़ेगा।श्याम कहता है मां मै मास्टरजी से सवाल पूछ लूंगा। इसी बीच लक्ष्मी की मां का देहांत हो जाता हैं।लक्ष्मी का आखिरी सहारा भी चला गया।दसवीं का रिजल्ट आया श्याम ने जिले में टॉप किया और पीयूष बस पास हुआ।पूजा चीड़ गई बोली ट्यूटर को पैसे हम दे और वो पढ़ाए लोगों के बच्चो को।श्याम को बड़े बड़े स्कूल से एडमिशन के ऑफर आ रहे थे पर वो नवोदय विद्यालय में एडमिशन ले कर अपनी ११ -१२  करना चाहता था।टेस्ट में पास हो उसे वहां एडमिशन मिल गया साइंस स्ट्रीम में पढ़ रहा था उसकी बुद्धिमानी को देख टीचर्स भी उसकी हेल्प करते और फिजिक्स वाले सर उसे मैथ्स और फिजिक्स पढ़ाते आज कल पूजा बात बात पर लक्ष्मी का अपमान करती और फिर रजत 6 महीने के लिए अमेरिका गया तो पूजा ने झूठा चोरी का नाम लगा ।लक्ष्मी और बच्चों को घर से निकाल दिया और अपनी सहेलियों को भी बोला ये चोर है इसे काम पर मत रखना।लक्ष्मी का घर काम सब झूठ गया।वो दिन तो उसने मंदिर में बैठ गुजारा।वही शाम को अंजली  मंदिर में आई लक्ष्मी को बैठा देख बोली तुम यहां क्या कर रही हो। राम बोला मामी ने हमें घर से निकाल दिया ।मामी लक्ष्मी बोली वो भाभी को प्यार से ये मामी बोलता है। यहां कब तक बैठी रहोगी चलो मेरे साथ अंजली लक्ष्मी को अपने साथ ले आई और पीछे आउट  हाउस में उनके रहने की व्यवस्था कर दी।लक्ष्मी बोली दीदी मै यहां नहीं रह सकती भी भाभी को पता चलेगा तो गुस्सा होंगी। अंजली बोली कुछ नहीं होगा मै कुछ नहीं बताऊंगी।लक्ष्मी बोली पर आपको तो भाभी ने फोन पर बताया था कि उन्होंने मुझे चोरी के इल्ज़ाम में घर से निकाला है। दीदी मैने चोरी नहीं की अंजलि बोली मुझे पता है जिस चैन की वो बात कर रही थी वो परसों मेरी गाड़ी में गिर गई थी वही मैं उसे लौटा कर आ रही हूं।तुम आराम से यहां रहो।अंजली के कारण लक्ष्मी को और जगह भी खाना बनाने का काम मिल गया। और लक्ष्मी श्याम की बारहवीं होते ही वो शहर छोड़ दूसरे शहर आ गई ।ताकि भाई के संबंध उन लोगों से खराब ना हो। रजत जब अमेरिका से आया उसने लक्ष्मी के बारे में पूछा तो पूजा बोली उसके रिश्तेदार उसे ले गए ।रजत बोला कौन से रिश्तेदार पूजा बोली उसके चाचा ससुर जो आगरा रहते है उनके घर शादी थी वो बोले अब नहीं भेजेंगे ।रजत ने उस पत्ते पर फोन किए जा कर भी देखा पर लक्ष्मी वहां नहीं थी। बहुत ढूंढा पर लक्ष्मी नहीं मिली।

 श्याम ने 12 भी बहुत अच्छे नंबरों से पास की और उसे गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज में एडमिशन मिल गया।राम भी दसवीं में जिले में प्रथम आया और वो भी अच्छा पढ़ रहा था।दोनो बेटे कहते मां तुमने जितना निरादर सहा है जीवन में एक दिन हम तुम्हे सम्मान पूर्वक स्थान जरूर देंगे।आज वो दिन आ गया श्याम अपना स्पेशलाइजेशन कंप्लीट कर चुका था आज उसके कॉलेज में फंक्शन था।उधर राम का भी CA का कोर्स पूरा हो एक बड़े फर्म में नौकरी लग गई। आज जब श्याम को न्यूरोलॉजिस्ट की डिग्री मिली वो सर्जन बन चुका था उसे जब डिग्री दी जाने लगी तो उसने अपनी मां को बुलाया ये इस डिग्री की हकदार है जिनके त्याग के कारण हम आज यहां है जिन्होंने हमारे लिए अपमान सहा दूसरों से मिला निरादर हस कर सहा ताकि हमारे भविष्य पर आंच नहीं आए और श्याम ने रोते हुए वो डिग्री और मेडल लक्ष्मी के गले में पहना दिया। श्याम को पहली पोस्टिंग दिल्ली के बड़े सरकारी अस्पताल में हुई।कुछ ही दिनों में देश के सबसे जाने माने न्यूरो सर्जन में उसका नाम आने लगा।एक दिन उसका टीवी पर इंटरव्यू चल रहा था उस दिन रजत के घर पार्टी थी सब लोग वही थे। अंजली के हसबैंड रोहन बोले ये न्यूरोसर्जन बेस्ट है मेरे चाचा जी की वाइफ की सर्जरी इसी ने की है। इंटरव्यू में बताया कि मेरा नाम श्याम है मेरी मां लक्ष्मी ने मुझे कष्टों से पाल कर आज यहां तक पहुंचाया है।रजत बोला पूजा ये अपना केशव है लक्ष्मी मिल गई इसी शहर में है वो कल ही मै उसके पास जाऊंगा।रोहन बोला तुम जानते हो इसे उसने कहा हा ये मेरी बहन लक्ष्मी जी आपके यहां खाना बनाने भी आई थी उसका बेटा है मेरी लक्ष्मी की तपस्या पूरी हुई।सब पूजा को देख रहे थे। अंजली बोली पूजा वेरी bad तुमने क्या बोला था कि तुम्हारी नौकरानी है अपनी ननद का कितना निरादर किया तुमने गरीब थी तो तुमने उसे चोर तक बना दिया शर्म आनी चाहिए तुम्हे देखो वो बच्चा अपनी मेहनत से कहा पहुंच गया। पूजा आंखे नीचे किए खड़ी थी।रजत बोला इसलिए मेरी बहन यहां से गई तुमने कितना झूठ बोला तुमने बच्चों के साथ उसे दर दर की ठोकर खाने पर मजबूर कर दिया। रजत अगले दिन सुबह श्याम से मिलने गया और अपनी बहन से मिला रजत बहुत खुश हुआ कि मेरे भांजे इतने अच्छे निकल गए और लक्ष्मी से माफी मांगी।लक्ष्मी बोली भैया आप माफी मत मांगे आपने कुछ गलत नहीं किया।भाभी भी अगर हमे बाहर का रास्ता नहीं दिखाती तो हम दुनिया का संघर्ष कैसे समझते।इसलिए आप सब का धन्यवाद आपकी वजह से ही हम आज यहां है।रजत सबसे मिल वापस आया बता रहा था  कैसे श्याम अपनी मेहनत से न्यूरोसर्जन बना  और पूजा सोच रही थी कि मैने उस बच्चे की ट्यूशन बंद करवा दी फिर भी वो दसवीं में प्रथम आया और मेरा बेटा हर साल ट्यूशन पढ़  कर भी कुछ नहीं कर सका डोनेशन दे कर एडमिशन लिया और फिर भी mbbs पूरा नहीं कर पाया।उधर लक्ष्मी अपने बच्चों के साथ सुखी थी और चैन की जिंदगी जी रही थी।

स्वरचित कहानी 

आपकी सखी 

खुशी

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