“जिंदगी को क्या एक और मौका देना चाहिए? अगर मौका दिया और पहले की तरह पीड़ा, दर्द और कैद यादि सहना पड़ा तो, अभी तो उस नर्क छूटी हूं।” नम्रता खुद से बातें करती करती उंडे ख्यालों में खो जाती हैं।
जीवन में दो-दो नाकामयाब शादी के बाद नम्रता पुरी तरह टूट चुकी थी। अब तो उसे शादी के नाम से चिढ़ होने लगीं थी। क्यों न हों आख़िर उसे क्या क्या सहना पड़ा। घर-परिवार, रिश्ते-नाते सब छूट गए। आज़ वह अकेली रह गई हैं।
“कहा खोई हुई हों नम्रता” शेखर मुस्कुराते हुए बैठता हैं।
ख्यालों की ख़ामोशी में अचानक धड़ाम जैसी अवाज़ से नम्रता जबक गई! और उसका ध्यान टूट गया।
“कहीं नहीं बस युही पुरानी यादें ताज़ी हों गई थी।” नम्रताने शेखर से कहा।
“तुम्हें याद है ना, कल मम्मी-पापा आनेवाले हैं। तुम्हें कल घर आकर उनसे मिलना हैं। मैने तुम्हारे बारे में सब कुछ बता दिया हैं। वह भी तुमसे मिलने की लिए बेकरार हैं।”
“शेखर ये बहुत जलबाज़ी नहीं लगती? अभी हम दोनों एक दूसरे को अच्छी तरह समझ ले इतनी भी जल्दी क्या है?”
“अरे नम्रता हमे जानें पहचाने इक साल से ज्यादा हों गया हैं। अब और कितना जानना पहचानना।”
“फिर भी मुझे थोडा वक्त चाहिए।” नम्रताने शेखर को कहा।
“ठीक है बाबा चलो तुम्हें घर छोड़ दू।” शेखर नम्रता को उसके घर छोड़ कर अपने घर चला जाता हैं।
नम्रता को रात भर नींद नहीं आती हैं। वह खुद से ही बाते करने लगती हैं। पुरानी यादें ताज़ी हों जाती हैं।
“पांच साल पहले मैने अपने माता-पिता और परिवार के बुजुर्गों को समझाया था की, में अभी ना-बालिक हूं। मुझे एक मौका दे दो अपने पैरों पर खड़ा होने का। गृहस्थी संभालने से पहले दुनियां को समझने का। मगर मेरे माता-पिता और परिवार के बुजुर्गो अपनी ज़िद पर अड़े रहें और कहने लगे लड़की बालिक हों जाए तो, उसको उसके सही घर बिहा करके भेज देना चाहिए।”
“पहली बार देखने आए लड़केने बिना कुछ सवाल पूछे ही शादी के लिए हां कर दी। मुझे कुछ समझ में नहीं आया। फिर मन ही मन मान लिया की चलो अच्छा लड़का होगा। औरतो की इज्ज़त करता होगा।”
“मगर सब गलत साबित हुआ। शादी की पहली रात से ही वह दूरी बनाने लगा था। मुझसे कोई बात नही करता था। कोई न कोई बहाना बनाकर बस मुझसे दूर ही रहने का प्रयास करता था।”
“इक महीने के बाद वह एक चिट्ठी छोड़ कर चला गया। में इक लडकी से बेहद प्यार करता हूं। हम दोनों एक दूजे के बगैर जी नहीं सकते। परिवार वालों की जबरजस्ती की वजह से शादी तो कर ली पर में उसे लंबे समय तक निभा नहीं सकता। जब तक आप चिट्ठी पढ़ोगे तब तक हम दोनों बहुत दूर जा चुके होंगे।”
“पुलिस कंप्लेंट की, बहुत जगह पूछताछ की, मगर कुछ प्राप्त नहीं हुआ। वापिस में अपने मायके आ गई। लेकिन अब वह प्यार, वह सम्मान मुझे मिलना कम हों गया था। अब में मेरे परिवार को बोझ लगने लगीं थी।”
“कुछ ही महीनों में मेरी दूसरे दूर के शहर मे दोबारा शादी करवा दी। अपनो से काफ़ी दूर आ गई थी। मैने सोचा पिछला सब कुछ भूलाकर नए संसार में आगे बढ़ती हूं। मगर नहीं नसीबने यहां भी मुझे धोका दिया। वह नपुंसक निकला। उसके आदमीओ के साथ समलैंगिक संबंध थे। मुझसे सहन नहीं हुआ में सब छोड़ छाड़ के मायके आ गई। मगर मायके से मुझे निकाल दिया। इक बार लड़की का बिहा हों गया बाद में पति के घर से उसकी अरथी ही निकलती हैं। अगर तुमने शादी तोड़ी तो, ईस घर के सारे दरवाज़े तुम्हारे लिए हमेंशा के लिए बंध हों जाएंगे।”
“में वापिस ससुराल में आ गई। लेकिन नपुंसक आदमी के साथ कैसे सारी जिंदगी बिताऊं? सिर्फ़ एक मौके की तलास में थी और इक दिन वह मौका मुझे मिल गया। हिम्मत करके घर से भाग गई। उन्होंने अपने बेटे की नपुंसक छुपाने के लिए कोई फरियाद भी नहीं की।”
“मेरी सहली की मदद से मुझे रहने को घर और SSC नर्सिंग की हुई थी ईस लिए हॉस्पिटल में नर्स की नोकरी आसानी से मील गई। अब पूरी तरह में आजाद थी। किसी ने भी मेरी खोज खबर नहीं की।”
“मगर आज़ ज़िंदगी अजब सी करवट ले रही हैं। जैसे खुद को एक और मौका देना चाहती हों।”
“डॉक्टर शेखर बहुत ही अच्छे इन्सान हैं। एक बरस साथ काम करते करते हम एक दूसरे को अच्छी तरह समझने लगे थे। धीरे धीरे हम दोनों इक दुसरे के क़रीब आते गए। मेरी दो बार की शादी के बारे में जानने के बावजूद मुझसे शादी का प्रस्ताव रखा। लेकिन मुझे डर लगता हैं।”
शेखर के घर नम्रता उसके माता-पिता से मिलने जाती हैं। शेखर और उसके माता-पिता बड़े प्यार से नम्रता का स्वागत करते हैं।
“हमनें तुम्हारे जीवन की दुःख भरी कहानी जानते हैं। इसमें तुम्हारी कोई भी गलती नहीं हैं। हमें भी तुम अपने मां-बाप की तरह ही समझो। पुरानी सारी बातों को भूल जाओ। और नए सिरे से जीवन की शुरुआत करो।” शेखर के माता-पिता बड़े लबे वक्त तक नम्रता से बातें करते रहे और समझाते रहे।
दरअसल शेखर के माता-पिता भी ऐसी ही हादसे से गुजर चुके थे। आज़ वह समाज में जागृति लाने के लिए प्रयास कर रहे हैं।
कुछ दिनों बाद शेखर और नम्रता की शादी हों गई। नम्रता का जीवन अब खुशहाल हो गया। दोनों एक दूजे से वफा, प्यार और विश्वास की डोर से मज़बूत बंधाते चले गए। नम्रताने लिया जीवन को एक और मौका देने का फैसला अच्छा साबित हुआ।
सेल्वीन गोहेल (male)
रतनपुर (खेडा)
गुजरात
विषय: एक और मौका