ननंदरानी इतनी पत्थर दिल कैसे हैं ?? – स्वाती जैंन : Moral Stories in Hindi

भाभी , यह क्या आज भी खिचड़ी , नेहा ने मुंह बनाकर खिचड़ी का बाउल हाथ में लेते हुए कहा !!

डिंपल बोली – दीदी , पुरे दिन मांजी की सेवा करनी होती हैं और मांजी को डॉक्टर ने खिचड़ी खाने की ही हिदायत दी हैं इसलिए मैं सभी के लिए ही खिचड़ी बना रही हुं ताकि काम का बोझ भी ना पड़े और मैं मांजी की सेवा भी अच्छे से कर पाऊं !!

डिंपल की सास उमा जी को डॉक्टर ने जवाब दे दिया था , बस अब वे जैसे तैसे दिन निकाल रही थी , वे बेड़ पर से बिल्कुल उठ भी नहीं पा रही थी और उनकी सारी नित्यक्रिया बेड़ पर ही हो रही थी !! डिंपल दिन – रात उनकी सेवा में ही लगी रहती !! डिंपल चाहती थी कि बस उसकी सास ठीक हो जाए !!

डिंपल के पति राजीव ने फोन करके अपनी बहन नेहा को भी यहां बुलवा लिया था  ताकि मां के अंतिम समय में उनकी बेटी भी उनके साथ हो लेकिन नेहा जब से मायके आई थी उसे तो टी.वी देखने से ही फुर्सत नहीं थी और उपर से अपनी भाभी से नए नए पकवान बनाने बोलती वह अलग , मायके आने के बाद वह सिर्फ पाँच मिनट अपनी मां के पास बैठी होगी बाकि पुरा दिन या तो फोन पर सहेलियों से बातें करती या टी.वी देखती !!

थोड़ी देर बाद ही नेहा ने अपनी सहेली को फोन लगाया और बोली – अरे यार !! भाभी ने तो आज फिर खिचड़ी खिला दी , चल कहीं बाहर चलते हैं और पानी – पूरी खाकर आते हैं !! मुंह का स्वाद खराब हो गया हैं जब से यहां आई हुं !!

लगभग दस मिनट बाद वह कपड़े चेंज करके उसकी सहेली के साथ बाहर पानी पुरी खाने चली गई !!

डिंपल यह सब देखकर धम्म से सोफे पर बैठ गई और सोचने लगी , कोई बेटी ऐसा कैसे कर सकती हैं ?? क्या उसे रिश्तों की अहमियत बिल्कुल नहीं पता !!! यहां मांजी अंतिम सांसे गिन रही हैं और नेहा को रत्ती भर उनकी परवाह नहीं !!

आज डिंपल के पति राजीव ने भी ऑफिस की छुट्टी ली हुई थी , वह भी घर पर मां की सेवा में लगा हुआ था !!

डिंपल जैसे ही खिचड़ी लेकर सास उमाजी  के कमरे में पहुंची , उन्होंने खाने से मना कर दिया और बोली – बेटा , तुने मेरी बहुत सेवा की, बस अब खाने की इच्छा मर गई हैं , भगवान मुक्ति दे दे तो अच्छा हैं !! अब यह तकलीफ सहन नहीं होती !!

डिंपल उनके आंसू पोछकर बोली – मांजी ऐसा अशुभ अशुभ मत बोलिए , उमाजी भी मन ही मन भांप चुकी थी कि अब उनकी मृत्यु नजदीक हैं !!

थोड़ी देर बाद नेहा घर आई और अपने कमरे में जाकर सो गई !!

चाय के समय वह बोली – भाभी , चाय के साथ पकोडे बना देना !!

अब डिंपल से रहा नहीं गया और वह नेहा के कमरे में आकर बोली – नेहा , तुम्हें मांजी की तबीयत का बिल्कुल भी ख्याल नहीं हैं , यहां मांजी की तबीयत सही नहीं हैं और तुम्हें नई – नई फरमाईशे सूझ रही हैं , ना मां के पास बैठने का तुम्हें समय हैं और ना उनसे बात करने का !!

नेहा भी चीख उठी – आपसे मेरा काम नहीं हो रहा हैं , तो बोल दो ना , मेरे सामने तेवर क्यूं दिखा रही हो ??

नेहा की जोर की आवाज सुनकर भाई राजीव भी आ गया और बोला – नेहा , एक तो तुम कोई काम में मदद नहीं कर रही , ना मां का ध्यान रख रही हो और बैठे बैठे फरमाईशें कर रही हो वह अलग !!

नेहा बोली – मुझे मां के कमरे में बदबु आती हैं , मुझसे वहां नहीं बैठा जाता !!

राजीव बोला – मां कुछ दिन की ही मेहमान हैं नेहा और एक दिन हम सबकी ऐसी ही हालत होने वाली हैं जान लो !! मां को अभी हमारे साथ की सख्त जरूरत हैं !!

राजीव नेहा को अपने साथ मां के कमरे में ले गया और डिंपल सभी के लिए चाय बनाने चली गई !!

डिंपल ने सभी को चाय दी और थोड़ी देर बाद खाने का नेहा को पूछने गई कि क्या खाना बनाऊं , मगर सबके नसीब में शाम का खाना नहीं लिखा था , उमा जी ने आखिरी सांस ली और सभी को छोड़कर दुनिया से चली गई !!

डिंपल के लिए यह पल बहुत दुःख भरा था क्योंकि उसको हमेशा से प्यार और सम्मान देने वाली उसकी सास ने दुनिया को अलविदा कह दिया था !!

सभी लोग रात भर उनके चले जाने का विलाप करते रहे और सुबह सभी नाते रिश्तेदार के आ जाने पर उनका दाह संस्कार कर दिया गया !!

उमा जी की तेरहवीं होने के बाद नेहा अपने ससुराल जाने की तैयारी करने लगी !!

राजीव और डिंपल उसके कमरे में आए तो नेहा बोली – भाई – भाभी अब आप लोगों से ही मेरा मायका हैं !!

जाते – जाते मुझे मां एक बात कहके गई हैं जो मैंने सोचा मैं आप लोगों को बता दुं !!

डिंपल सोचने लगी – नेहा तो मां के कमरे में ज्यादा जाती भी नहीं थी , मां इसे ऐसी कौन सी बात बता कर गई हैं जो हमें नहीं पता !!

नेहा ने अपनी बात जारी रखते हुए कहा – मां की अंतिम इच्छा थी कि मां के गहने मुझे दे दिए जाए !!

भाभी , वैसे मुझे गहनों का कोई लोभ नहीं मगर मां की अंतिम इच्छा थी यह जिसे टालना उचित नहीं होगा !!

अब डिंपल को ओर गुस्सा आया और वह बोली – दीदी , मां ऐसा आपसे बिल्कुल नहीं बोल सकती , आप सरासर झूठ बोल रही हैं !!

नेहा बोली – भाभी , मैं क्यों आपसे झूठ बोलूंगी !!

डिंपल बोली – बस करिए दीदी , बहुत हो गया , आप शायद जानती नहीं मां ने अपने इलाज के लिए सारे गहने हमसे बिकवा दिए क्योंकि वह नहीं चाहती थी कि उनकी बीमारी का बोझ राजीव पर पडे !!

डिंपल अंदर गई और सारे सबुत और एक फाईल ले आई जिसमें कौन सा जेवर कब बेचा था वह सब लिखा हुआ था !!

उमा जी जाते जाते एक विडियो भी बना गई थी , जिसमें उमा जी ने साफ साफ कहा था कि मैं जानती हुं मेरी बेटी नेहा की नजर मेरे गहनों पर हैं , मेरी बीमारी में बहुत पैसे खर्च हो रहे हैं , मेरा बेटा राजीव और बहु डिंपल मेरे पीछे बहुत पैसे खर्च कर चुके हैं इसलिए अब मैं अपने गहने बेचकर अपनी बीमारी का खर्च उठवाना चाहती हुं ताकि उन दोनों पर भी ज्यादा भार ना पड़े !!

यह विडियो देखकर नेहा की सारी पोलपट्टी खुल गई कि वह झूठ बोल रही थी !!

अच्छा हुआ , उमा जी ऐसा विडियो बनाकर गई थी वर्ना नेहा तो कल के दिन उसकी भाभी पर चोरी का इल्जाम लगाते भी देर नहीं करती !!

दोस्तों , कुछ घरो में ऐसी लालची ननदे भी होती हैं , जो भाई भाभी के हक पर भी अपना अधिकार समझती हैं इस कहानी में उमा जी की दूरदर्शिता की वजह से नेहा अपनी मनमानी नहीं कर पाई मगर हर जगह ऐसा नही होता , बहुत बार ननदे इस कोशिश में कामयाब हो जाती हैं , भले मां पिता की सेवा भाई भाभी करेंगे मगर मां पिता की प्रॉपर्टी और जेवर उन्हें चाहिए !!

ऐसी लालची ननदो के बारे में आपकी क्या राय हैं ?? कमेंट में जरूर बताईएगा तथा यह कहानी आपको कैसी लगी यह भी कमेंट में जरूर बताईएगा !!

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आपकी सहेली

स्वाती जैंन

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