नारी का अस्तित्व – लतिका पल्लवी : Moral Stories in Hindi

दादी ने कहा -”बेटियां तो गीली मिट्टी जैसी होती है उन्हें जैसा आकार दे दो वैसा बन जाती है। “ शायद उनकी दादी ने उनके लिए ऐसा कहा था उससे पहले उनकी दादी के लिए उनकी दादी ने। इस तरह से पीढ़ियों से यह सब हम लड़कियों को समझाया गया कि तुम लड़की हो इसलिए बदल सकती हो, अतः मायके मे पिता जो कहे वह करो,

ससुराल मे पति जैसे रखे वैसे रहो। इनकी तक तो बात शायद थोड़ी ठीक भी रहती पर हमें तो यह भी सिखाया गया कि बेटा जैसे कहे वैसे चलो। हम अपने बेटों को भी कुछ बता सीखा नहीं सकती, क्योंकि हम औरत है। इस तरह से समझौता स्त्रियों की जिंदगी का अटूट हिस्सा बन गया। जिस लड़की ने समझौता करने से मना किया उसे बेहया,

बेशर्म आदि नामो से नवाज दिया गया। इसी सीख समझ के साथ एक बेटी अपने ससुराल गईं. उसे कोई नाम नहीं दूंगी क्योंकि यह कहानी हर एक बेटी, बहु और माँ की है। खूब सारे दहेज के साथ पिता की इच्छानुसार बेटी विदा हुई। अब वह बेटी से बहू बन गईं। कुछ दिन सब ठीक ठाक रहा पर भला दहेज से किसी का मन भरता है

जो उसके ससुराल वालो का भरता। उन्होंने  बहू के पिता को बुलाया और एक नई माँग के साथ  बहू को विदा कर दिया और कहा जब आप हमारी माँग पूरी कर पाएंगे तो खबर कीजिएगा बेटा जाकर बहू को विदा करा लाएगा। पिता ने समधी की माँग पूरी कर दी, बेटी फिर ससुराल चली आईं। अब यह आए दिन की बात हो गईं

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जब कुछ चाहिए बहू को विदा कर दो और जब माँग पूरी हो जाय तो बहू को विदा करा लाओ। पिता देते देते थक चूका था। माँ ने बेटी से कहा आखिर तुम्हे हम कितने दिनों तक देते रहेंगे? थोड़ा तुम भी सोचो कहा से लाएंगे और कब तक हम देते रहेंगे।इतने दिन हो गए तुम आज तक अपने ससुराल मे अपना कोई स्थान नहीं बना पाई।

इस बार जब वे कुछ लाने के लिए बोले तो मना कर देना। कह देना पापा अब नहीं दे पाएगे। लड़की ने अपनी माँ की बात मानकर मना कर दिया, बस इस बार पिता को बुलाने की भी जरूरत नहीं समझी गईं लड़की को मार पीटकर उसके बेटे के साथ मायके पहुंचा दिया गया। बेचारे पिता ने जैसे तैसे करके फिर से उनके माँग को पूरा किया,

परन्तु इसबार लड़की ने कहा नहीं मै अब नहीं जाउंगी। दादी ने समझाया,माँ ने ऊँच-नीच बताई, कहा पति द्वारा छोड़ी लड़की का समाज मे कोई स्थान नहीं होता है। पति के घर मे ही लड़कियां शोभा देती है।पिता ने कहा तुम क्यों चिंता करती हो? समधी जी जो भी मांगेंगे वह मै दूंगा पर बेटी तुम ससुराल चली जाओ,नहीं  तो समाज मे हमारी बहुत बेइज्जती होंगी।

लड़की ने पिता से कहा मुझे पता है कि आप अपने सामाजिक प्रतिष्ठा के लिए उनकी हर माँग पूरी करेंगे, पर यहाँ मेरे और मेरे बेटे के अस्तित्व कि बात है।कल मेरे बेटे का विवाह होगा तो आपके दामाद भी  बहू के घर से दहेज मांगेंगे। यह सिलसिला सदियों से चल रहा है और चलेगा भी। लेकिन मुझे यह मंजूर नहीं है।आप यदि मुझे रख नहीं सकते है

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तो ना रखे पर अब मै उस घर मे नहीं जाउंगी। आज तक कभी आप की बात मानकर ससुराल तो कभी अपने ससुर की बात मानकर मायका आती जाती रही हूँ, पर अब यह नहीं होगा। मै अब बेटी बहू से अलग अपना अस्तित्व बनाउंगी।

साथ ही समाज के बंधे ढ़रे से अलग अपने बेटे का भी अस्तित्व बनाउंगी। वह औरतो की इज्जत करेगा उनके राय को सम्मान देगा। उन्हें लड़की ना समझ कर एक इंसान समझेगा। मुझे अब ऐसा करने से कोई रोक नहीं सकेगा , क्योंकि अब मैंने अपना अलग अस्तित्व बनाने का फैसला कर लिया है और यदि लड़की कोई प्रण कर ले तो कोई ताकत उसे रोक नहीं सकती।मै अब समाज मे सम्मान के नाम पर चुप नहीं रहूंगी।

विषय – अस्तित्व 

लतिका पल्लवी

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