अरे मधु तुम्हारी बहू तो बहुत स्मार्ट है तुम्हारे मन की बात बिना कहे ही समझ जाती है और फुर्ती भी गज़ब की है। भई मान गए तुम्हें आज के जमाने में ऐसी बहू मिली है बिल्कुल अलादीन के चिराग के जिन्न जैसी.. मानो ना कहना तो जानती ही नहीं है। हर बात पर बड़ी नम्रता से “जी” कहना और तुरंत काम में लग जाना.. दिल खुश कर दिया रिद्धि ने तो।
सही कहा दीदी आपने रिद्धि अपने परिवार में बड़े नाजों में पली है पर उसे कोई भी काम करने में गुरेज नहीं है। उसने हमारे परिवार को दिल से अपना माना है। सबका बड़ा ध्यान रखती है।
पोते के जन्मदिन पर मधु ने पार्टी रखी थी जिसमें उनके मायके और ससुराल के सभी लोग आये थे। मधु दोनों ही परिवारों में सबसे बड़ी थीं तो सबसे पहले उनके ही बेटे की शादी हुई थी इसीलिए सबकी नज़र रिद्धि पर थी। पहली बहू होने के नाते उसे सभी का प्यार भी बहुत मिल रहा था। अपनी तारीफ सुन कर वह तो गदगद हो ही रही थी मधु भी गर्व महसूस कर रही थीं।
वैसे मधु भी हर काम में रिद्धि की मदद कर देती थी उन्हें खाली बैठना अच्छा नहीं लगता था तो वह सब्जी काट देतीं, कपड़ों की तह लगा देती, रिद्धि स्कूल के लिए टिफिन बनाती तो वह बच्चों को तैयार कर देतीं और शाम को उनका होमवर्क भी करवा देतीं। इससे बच्चे भी खुश रहते और वे भी बोर नहीं होतीं। जिंदगी बड़े अच्छे से कट रही थी।
कुछ दिनों बाद मधु की बहन का फोन आया।
क्या बात है मां.. बड़ी खुश दिख रही हैं आप।
वो माधवी का फोन था उसके बेटे की सगाई हो गई है। आठ दिन बाद ही शादी है वह कह रही थी कि दीदी इतनी जल्दी सारी व्यवस्था मैं अकेली कैसे कर पाऊंगी तो आप और रिद्धि अगर पहले से आ जाएं तो मुझे बड़ी मदद हो जायेगी।
ठीक है मां आप उनसे कह दीजिए कि हम आ जाएंगे। ससुराल मैं मेरी यह पहली शादी है तो मैं तो बहुत मजे करने वाली हूं। भाभी के सारे नेग भी तो मैं ही करूंगी न मां। अब जा कर मौका मिला है अपने मनपसंद गाने पर डांस करने का..
लो चली मैं अपने देवर की बारात ले के
लो चली मैं…
हा हा हा मैं तो सोच – सोच कर ही निहाल हुई जा रही हूं।
तो अभी से पैकिंग करना शुरू कर दो कोई चीज छूट न जाए।
दो दिन बाद दोनों सास – बहू लखनऊ पहुंच गईं। बेटे को इतने दिनों की छुट्टियां नहीं मिल रही थीं तो उसने उनके साथ ड्राइवर को भेज दिया था।
माधवी बहुत खुश हुईं। वे सुबह ही बेटी को लेकर बाजार निकल जाती और शाम को ही लौटतीं। सारा काम अकेली रिद्धि पर आ गया था पर उसके चेहरे पर शिकन तक नहीं थी।
रिद्धि मैंने कपड़े डाल दिए हैं मशीन में.. निकाल कर धूप में सुखा देना और ध्यान रखना यहां बंदर बहुत हैं।
बेचारी रिद्धि कपड़ों की चिंता में जरा भी आराम नहीं कर पाई। वह बहुत थकी – थकी सी लग रही थी।अपने घर में तो उसकी सास भी मदद कर देती थी पर यहां मौसी उन्हें भी ढेर सारे काम सौंप जाती।
घर में मेहमानों की आमद के साथ ही काम भी बढ़ने लगा था लेकिन सब बहू को ऑर्डर देने वाले थे मदद करने वाला कोई नहीं था।
खैर बारात जाने की तैयारी होने लगी। सभी तैयार हो रहे थे रिद्धि भी पार्लर जा कर तैयार होना चाहती थी पर मौसी ने यह कह कर रोक लिया कि तुम चली गईं तो जरूरत पड़ने पर सामान कौन देगा?? सारा सामान तुमने अपने हाथों से रखा है। मुझे तक नहीं पता कि कौन सी चीज कहां रखी है इसलिए तुम घर पर ही रहो। जब बारात जनवासे में पहुंच जाए तो सीधे वहीं आ जाना।
सुनकर रिद्धि को बहुत बुरा लगा उसके बारात में डांस और एंज्वॉय करने के सारे अरमानों पर पानी फिर गया था। अब वह आगे – आगे जिम्मेदारी से काम करने के अपने जज्बे पर पछता रही थी।
मधु अपनी बहू के मन की बात समझ रही थी पर इतने सारे लोगों के बीच इस खुशी के मौके पर कुछ कह कर रंग में भंग नहीं डालना चाहती थी पर रिद्धि की आंखों में आए आंसू उनसे छुपे नहीं थे।
दूसरे दिन उन्होंने वापसी की तैयारी कर ली शादी में आए सभी मेहमानो से मौसी रिद्धि की तारीफ करते नहीं थक रही थीं और अपनी भाभी से कह रही थीं कि आप जब भी तान्या की शादी करें तो एक महीने पहले से ही रिद्धि को बुला लेना वह आपका सारा काम संभाल लेगी।
तभी बुआ बोलीं और मेरे बेटे की शादी का काम भी तुम्हें ही संभालना है रिद्धि.. कोई बहाना नहीं चलेगा।
इधर मधु सोच रहीं थीं कि वह फिर रिद्धि के साथ ऐसा नहीं होने देंगी वह बहू बाद में है पहले एक इंसान है उसके भी अरमान है।यदि वह अपने संस्कारों के कारण सबका सम्मान करती है और किसी काम के लिए ना नहीं करती तो बाकी सबको भी उसकी भावनाओं की कदर करनी चाहिए।
जब उनकी भाभी का फोन आया कि रिद्धि को महीने भर के लिए भेज देना तो उन्होंने बहाना करते हुए कह दिया कि हम दोनों सीधे शादी में ही आयेंगे। रिद्धि वहीं बैठी सारी बातें सुन रही थी।
क्यों दीदी आप माधवी दीदी के यहां तो आठ दिन पहले चली गई थीं। मैं तो यही आस लगाए बैठी थी कि वह मेरा काम भी संभाल लेगी।
मधु रिद्धि की तरफ देखते हुए हंस कर बोलीं #अब बहू ने ना कहना सीख लिया है। हम उसी समय आ पायेंगे।
रिद्धि सब समझ रही थी कि उसकी सासू मां ने मौसी के यहां से सबक ले कर यह कदम उठाया है वरना हर शादी में वह जिम्मेदारी के नाम पर काम में ही लगी रहती सच में कभी – कभी ना कहना भी आना चाहिए।
वह कृतज्ञतापूर्ण नज़रों से अपनी सासू मां को देख रही थी आज उसकी नजरों में उनका सम्मान और भी अधिक बढ़ गया था।
#अब बहू ने ना कहना सीख लिया है
कमलेश राणा
ग्वालियर