मुझसे दूर कहीं ना जा – पूनम बगाई : Moral Stories in Hindi

“किसी को बताया न फिर देखना” नीता ने कहा।

“पर आंटी, मम्मी को तो बता सकती हूँ” छोटी नित्या ने रोते हुए बोला।

“मैं खुद बात कर लूंगी तेरी मम्मी से, वैसे भी तेरी मम्मी तेरी बात कहाँ सुनेगी, वो तो मेरी पक्की सहेली है। जो मैं कहूंगी वही मानेगी” नीता ने आंखें दिखाते हुए कहा।

“तू बता के देख ले, तेरे को तो एक झापड़ लगा देगी” नीता ने छोटी नित्या को डराते हुए कहा। 

छोटी नित्या रूआंसी हो कर चुप हो गयी थी।

छोटी सी नित्या पहली कक्षा में पढ़ती थी। नीता आंटी से ट्यूशन पढ़ती थी। नित्या की मम्मी सुमन खुद भी एक अध्यापिका थी और एक अच्छे विद्यालय में ड्राइंग करवाती थी। आजकल गर्मियों की छुट्टियों के कारण उनके पास बहुत काम था। बच्चों के प्रोजेक्ट का काम और बच्चों की कॉपी सजाने के काम और हैंडराइटिंग और ड्राइंग क्लास। गर्मियों की छुट्टियां ही बढ़िया मौका हो जाता था जब काम की अधिकता से कमाई भी 4-5 गुना

अधिक हो जाती थी। बस इसी सुनहरे मौके के बारे में पार्क में सैर करते हुए सुमन ने नीता से अपनी परेशानी को भी साझा किया। परेशानी ये थी कि वह उस समय नित्या पर ज्यादा ध्यान नहीं दे पाती थी। सुमन की बातें सुन नीता ललचाई नज़रों से सोचने लगी कि यदि सुमन अपने कुछ ट्यूशन के बच्चे मेरे पास भी भेज दे तो मेरी भी कमाई का साधन बन जायेगा।

“मैं सारा दिन घर में खाली होती हूँ, अगर बच्चे ज्यादा हैं तो 3-4 मेरे पास भी भेज दो” नीता ने सुमन से कहा।

“ठीक है मैं बात करती हूँ, एक दो पेरेंट्स है जो गृहकार्य में भी मदद चाहते हैं, अगर वो हाँ करेंगे तो मैं उन्हें तुम्हारा नंबर दे दूंगी” सुमन ने उत्तर दिया। 

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“नित्या को ही भेज दो तब तक, मैं नित्या को पढ़ा भी दूंगी और तुम भी फ्री हो जाओगी” नीता ने एक बच्चा तो मिले इस चाह में जल्दी से ये हल सुमन को दिया।

ये बात सुमन को नीता की सही लगी। 

“हां, ये सही है। नित्या को मैं कल से भेज दूँगी” सुमन ने कहा।

“फीस लूंगी मैं नित्या को पढ़ाने की” नीता चालाक हँसी हँसते हुए बोली। 

“ये भी कोई कहने की बात है, पैसे तो मैं दूंगी ही।” और दोनो सहेलियाँ हंसी ठीठोली करने लगी।

और बस अगले ही दिन से छोटी नित्या नीता के पास ट्यूशन पढ़ने आने लगी। नीता बहुत तेज़ स्वभाव की औरत थी। बिल्कुल झूठी किस्म की ऊपर से कुछ और अंदर से कुछ। वैसे तो सुमन थोड़ा बहुत समझती थी पर सोचती थी कि मेरी नित्या को अपने बच्चे की तरह ही समझेगी।

नीता का एक बेटा था, रोनी, नित्या से कुछ 2 साल बड़ा था, पर बहुत शरारती था। नीता भी रोनी को किसी बात के लिए टोकती नहीं थी। नीता का रोनी के लिए यही उसूल था “जा जो करना है कर, मेरा सिर मत खा, जा यहां से”।

जब छोटी नित्या नीता के पास पढ़ने आने लगी तो शरारती रोनी हमेशा उसका पेंसिल बॉक्स उठा लेता। नित्या रोती, नीता उसे और पेंसिल दे कर चुप कराने की कोशिश करती। बस इसी खेल शरारत और तंग करने में ही 2 घंटे बीत जाते। इतने दिन में मीठी मीठी बातें कभी चॉक्लेट देकर नीता छोटी बच्ची को पटा लेती और माँ को वो यहां की कोई बात न बताये इस बात के लिए राजी कर लेती।

छोटी बच्ची से माँ पूछती नीता के सामने ही पूछती “बेटा, आंटी के पास मन लगता है ना आपका?”

नित्या कहती “हाँ मम्मा, आंटी तो बहुत अच्छी हैं”।

और बस नीता शुरू हो जाती “हाय राम सुमन, तुम्हारी बेटी तो बहुत होशियार है। ये यो झटपट सारा काम कर लेती है।”

“देखो देखो कितना सुंदर लिखा है इसने” खुद से हाथ पकड़ कर सुंदर तरीके से लिखवाया काम सुमन को दिखा देती।

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सुमन को विश्वास तो न होता पर अपने बच्चे की इतनी तारिफ़ सुन कर ही वो न्योछावर हो जाती।

आज रोनी अपनी माँ नीता से लड़ रहा था कि तभी नित्या भी आ गयी। रोनी जो पहले से जी गुस्से में था उसने छोटी नित्या का पेंसिल बॉक्स उठा लिया। नित्या ने विरोध किया तो रोनी ने पेंसिल निकाल कर नित्या को मारनी चाही जो कि सीधे नित्या के कान में जा लगी। नित्या जोरों से रोने लगी।

नीता डर गयी, उसने नित्या को बहुत मुश्किल से चुप कराया अपने बेटे की गलती पर पर्दा डालने के लिए आज तो नीता को नित्या को 3 चॉकलेट भी देनी पड़ी। सुमन के आने का समय हो रहा था, पर नित्या के कान में अब भी दर्द था।

“आंटी मेरे कान में अभी भी दर्द हो रहा है, भैया ने जोर से मारा है। मैं अपनी मम्मी को कहूंगी वो भैया को मारेंगी” नित्या ने भोलेपन से नीता से कहा।

“भैया ने नहीं मारा तुझे, खुद ही लगा है। भैया का नाम लगाया न फिर देखियो। तेरी मम्मी भी तेरे को झूठी कहेगी और तेरी ही पिटाई करेगी”। झूठी बातें बना कर नित्या को नीता डराने लगी और माँ से कुछ ना कहने के लिए छोटी नित्या को राजी कर लिया था।

सुमन आयी और नित्या चुपचाप माँ के साथ चली गयी। 

नित्या के जाते ही नीता ने चैन की सांस ली “शुक्र है चुपचाप चली गयी मुसीबत”।

उधर घर पहुंच कर नित्या सो गई। सुमन ने सोचा थकी होगी इसलिए आज दोपहर में भी नींद आ गयी। पर जब नित्या सो कर उठी तो जोर जोर से रोने लगी। सुमन घबरा गयी। उसने नित्या से पूछा तो नित्या ने कहा कि कान में बहुत दर्द है। सुमन ने पूछा “कुछ लग गया था क्या बेटे कान में”?

“नहीं, मुझे नहीं पता। मुझे दर्द हो रहा है” और जोर जोर से रोने लगी। सुमन नित्या को ऐसे रोता देख जल्दी से डॉक्टर के पास ले गयी। 

डॉक्टर ने चेक करते हुए नित्या से पूछा “क्या हुआ बेटा, आपको”?

नित्या ने माँ को देखा और कहा “पता नही अंकल”।

डॉक्टर ने चेकअप करके सुमन को जो बताया सुमन हैरान हो गयी। सारे कान में इन्फेक्शन हो गया था। बस कान का पर्दा बच गया था।

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“अगर आप और देर करती तो शायद बच्ची का काफ़ी नुकसान हो जाता। आप तो पढ़ी लिखी लगती हैं, चोट लगते ही आपको लाना था बच्चे को। आज आपकी इस लापरवाही को बच्चे को सारी जिंदगी भुगतान करना पड़ता”।

डॉक्टर की ऐसी बात सुन कर सुमन की आंखों में आंसू आ गए। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। सुमन नित्या को लेकर घर आ गयी। बहूत प्यार किया उसने अपनी बच्ची को और नित्या को गोद में ले रोने लगी। नित्या ने अपनी माँ की आंखों में आंसू देखे तो बोली “मम्मा आप क्यों रो रही हो? आपने थोड़े न मारा है, वो तो रोनी भैया ने मारा था।”

सुमन की आँखें फटी रह गयी। उसने कहा “क्या, रोनी भैया ने मारा है?”

छोटी से बच्ची से मुह से सारा सच जान सुमन के पैरों तले जमीन खिसक गयी। सहेली के नाम पर कैसे नीता उसे पागल बना रही थी सब कुछ उसकी आँखों के सामने घूम गया। अपने आप पर गुस्सा आ रहा था कैसे वो अंधाधुन्ध नीता की सब बात पर यकीन कर लेती थी| पता ही नहीं चला कि वह अपनी बच्ची से कब दूर हो गयी। नीता ने छोटी नित्या को डराया था और माँ से कोई भी बात न बताने को कहा था, सब कुछ नित्या ने माँ को बता दिया।

सुमन उसी समय उठी और सीधा नीता के घर पहुंची “नीता, अगर रोनी से नित्या को चोट लग गयी थी तो तुम्हे मुझे बताना तो चहिये था।” इतना सुन के तो नीता सुमन के ही सिर होने लगी तो आखिर काफी झगड़ा होने के बाद तो सुमन को नाराज़ होते हुए नीता को पुलिस की धमकी भी देनी पड़ी| उस दिन नीता से सदा के लिए सुमन से दोस्ती का रिश्ता खत्म कर दिया। 

मित्रों, हम जब भी अपने बच्चों को घर से बाहर भेजें तो घर आने पर उनसे थोड़ा समय निकाल कर रोज़ वहां के बारे में जरूर बात करनी चाहिए। केवल वहीं के टीचर से ही सारी बात सुन कर तसल्ली नहीं कर लेनी चाहिए। बच्चे को लगना चाहिए कि ट्यूशन या जहां भी बच्चे बाहर जाते हैं वहां क्या हुआ चाहे कुछ हो या नहीं हमे माँ को सब बताना है”।

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आपकी मित्र

पूनम

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