“मृगतृष्णा का जाल ” – मृणाल सिंह सतना : Moral Stories in Hindi

राधिका अपने आफिस सेलौटी तो फाटक पर ताला लगा हुआ था।पर्स से चाबी निकाल कर ताला खोल कर अंदर आ गयी पूरे घर में सन्नाटा पसरा हुआ था अकेले घबरा उठी हाथ मुंह धोकर कपड़े बदलकर बाहर बगीचे में मेंहदी के झाड़ के नीचे बैठ गई मेंहदी के फ़ूल अपनी भीनी-भीनी खुशबू चारों तरफ़ बिखेर रहे थे।

आज-कल तीन चार दिनों से राधिका अनमनी हो रही थी वजह खुद नहीं समझ पा रही थी कि ऐसा क्यों हो रहा है जिसे भूलने की कोशिश कर रही थी मन हठीले बालक सा बार-बार उसी ओर चला जाता था। काका आ चुके थे बोले बिटिया देर हो गयी आज़ तो कब से अकेले उदास बैठी हुई होहम चाय और कुछ खाने को बना कर ले आते हैं ठीक है काका।

राधिका का सुभाष सर से आफिस की एक पार्टी में परिचय हुआ था उसके सीनियर आफिसर के रूप में उनकी पदस्थापना हुयी थी कयी वक्ता आए अपनी बात रखी और अंत में सुभाष सर जी ने मंच साझा किया काफ़ी अच्छा और सुलझा हुआ सुदर्शन व्यक्तित्व था  दूसरे दिन आफिस मीटिंग में मातहत कर्मचारियों से समय पर आने और ईमानदारी से काम करने को सभी से कहा गया।

सुभाष सर के साथ काम करते हुए राधिका को पता चला कि सुभाष सर बहुआयामी व्यक्तित्व के मालिक हैं साहित्य संगीत केकी अच्छी पकड़ रखते थे और सम्पूर्ण स्टाफ को साथ लेकर चलने की विलक्षण प्रतिभा सम्पन्न व्यक्तित्व था सुभाष सर का।

साथ काम करते करते कब राधिका सुभाष सर की तरफ़ आकर्षित होने लगी इसका एहसास तक नहीं हो पाया उसे। वह उम्र के उस मोड़ पर खड़ी थी जहां से सारी दुनियां इन्द्र धनुषी लगती है यथार्थ से परे। सुभाष सर की भावनाओं से अनजान उसने एक ऐसी कल्पना का जाल अपने सोच के इर्द-गिर्द बुन लिया था जहां से वह निकल नहीं पा रही थी और भंवर में गोते लगा रही थी।

काका चाय और कुछ स्नैक्स बना करले आएऔर उसे थमा दिया इसके बाद बगीचे की देखभाल में लग गए राधिका चाय पीते पीते भी विचारों में खोई हुई थी दो साल का समय बीत रहा था गांव से मां पिता जी शादी के लिए दबाव बना रहे थे और राधिका उनसे कुछ समय मांग रही थी तभी सुभाष सर का प्रमोशन और तबादला हो गया और वह दूसरे शहर चले गए।

राधिका का मन उस आफिस उस शहर से उचाट हो रहा था और तभी उसका भी प्रमोशन और ट्रांसफर आर्डर आ गया इस बार उसे कस्बा मिला था जहां हाय तौबा कम थी शांति और सुकून था। बड़ा बंगला और काका काम करने वाले मिले थे जिंदगी में आराम और स्थिरता आने लगी थी।

काका बगीचे की देखभाल खत्म कर चुके थे और कह रहे थे बिटिया खाना क्या बना दूं। काका आप अपनी पसंद का कुछ भी हल्का फुल्का बना दीजिए और काका के साथ हीं अंदर आ गई।टी वी आन करके बैठ गई और मन था कि फिर अतीत की भूल भुलैया में भटकने लगा था।

तीन दिन पहले सुभाष सर का फ़ोन आया था और अपनी शादी में शामिल होने का आग्रह किया था एक सप्ताह बाद शादी थी और राधिका विचारों के झंझावातों में डूब उतरा रही थी एक तरफा चाहत का दंश झेल रही थी। काका ने खाना लगा दिया था राधिका हाथ मुंह धोकर खानें बैठ गई।

काका भी दरवाजा बंद करने को कह कर अपने घर चले गए ।। राधिका ने दरवाज़ा बंद किया साथ-साथ मन में चल रहे विचारों को झटक कर एक निर्णय लिया कि सुभाष सर की शादी में शामिल होने के बाद कुछ दिनों की छुट्टी लेकर गांव जाएगी और मां पिता जी को अपना निर्णय बता देगी कि वह शादी के लिए तैयार है।

मृणाल सिंह सतना।

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#कठपुतली

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