मोह – खुशी : Moral Stories in Hindi

सरला जी एक कर्तव्यनिष्ट महिला थी सुबह स्कूल जाना स्कूल जाने से पहले घर का सारा काम करती थी।पहले नौकर कहा हुआ करते थे उनके पति राघव भी स्कूल में अध्यापक थे पर वो दिन की शिफ्ट में जाते थे।पहले वो चूल्हे पर सारा खाना बना कर जाती।पर फिर उन्होंने राघव जी से कहा गैस ले लेते हैं। उन्होंने गैस इसी शर्त पर ली कि तुम 12:30 बजे स्कूल से आकर गरम रोटी बनाओगी तो मै गैस लाऊंगा सरला घर पहुंचती गरम गरम खाना देती फिर वो 1 बजे स्कूल जाते।

6:30 बजे आते संध्या करते खाना तैयार चाहिए होता था।खाने में भी सिर्फ सब्जी रोटी नहीं दाल चावल सब्जी रोटी चटनी कढ़ी सलाद दोनो समय चाहिए होता था ऐसे ही अनुशासन में इनका जीवन बीता पति स्वभाव से कठोर थे।घर भी इसलिए जेल ही लगता समय के साथ वो दो बेटों की मां बनी। कठोर पति के साथ रहते रहते वो भी वैसी ही हो गई थी।बच्चे भी कड़े अनुशासन में पले।बड़ा बेटा अमन बैंक में था और छोटा बेटा मनन रोबोटिक इंजीनियर था।

घर का वातावरण बहुत सख्त होने के कारण बच्चों को बाहर ही अच्छा लगता खाने पीने की कोई कमी ना थी पर सब घर का राघव जी 65, साल के होने के बाद भी उनका रूबाब पहले जैसा ही था।अब अमन अच्छी नौकरी कर रहा था तो उसका विवाह करना था।राघव जी को लड़की घर गृहस्थी संभालने वाली चाहिए थी और अमन भी यही चाहता था क्योंकि अपने मां के हाल उसने देखे थे

अमन के लिए विधि का रिश्ता आया विधि m.com थी और शादी से पहले कही अकाउंट्स का काम करती थीं पर जब शादी की बात चली तो नौकरी की मना हो गई।विधि दुल्हन बन घर आई वो एक सीधी साधी लड़की थी उसके पिता pvt नौकरी me थे मां हाउसवाइफ एक बड़ी बहन थी शादी शुदा उसके पति का एक्सपोर्ट हाउस था दोनों वही काम करते इसलिए विधि को घर के बाहर के काम देखने पड़ते।शादी हो वो घर आई यहां तो सुबह 5:30 उठो पहले नहाओ फिर ससुर जी की पूजा की तैयारी करो फिर खाने नाश्ते की तैयारी करो अमन नमन का लंच बनाना होता ।

ससुर जी दूध और चने खाते थे नाश्ते में सासूजी और अपने लिए उपमा या पोहे चाय काफी ।ये सब निपटता काम वाली आती ससुर जी को वो भी पसंद ना था इसलिए किल किल करते जब वो काम करती।कपड़े मशीन से नहीं सास ससुर के हाथ से धोने पड़ते।बर्तन बाहर धुलते तो किचिन में ले जा कर फिर पानी से निकाल पोच कर रखने पड़ते।फिर सास ससुर का 12:00 बजे खाना गरम गरम फुल्का एक प्लेट में है तो दूसरा नहीं परोसना।1 घंटे में खाना निपटाता दोनो का फिर खुद खाती रसोई समेटती उसमें भी सासू जी सौ कमियां बता देती ।

बर्तन करवा कर 2:00 बजे तक लेटती तो ससुर जी की चाय का समय हो जाता।उनका चाय पानी निपटाती तो शाम को क्या बनेगा ये फरमान आ जाता। खाने की तैयारी ससुर जी की संध्या की तैयारी करते करते सात बज जाते अमन और मनन दफ्तर से आते तो सब खाना खाते फिर सब अपने अपने कमरों में विधि के घर में सब   घु लमिल कर रहते थे तो उसे अजीब लगता।समय बीता राघव जी दुनिया को प्यारे हो गए सबको लगा अब घर का माहौल बदलेगा पर सास बिल्कुल उनके रंग में रंग गई थी वैसे ही हुकुम चलाना विधि को एक मिनिट बैठे नहीं देख सकती थी।

विधि सारा दिन काम करती वो कमजोर भी हो गई थी एक दिन काम करते करते वो गिर गई वो तो काम वाली सुनंदा थी जो उसको जबरदस्ती डॉक्टर के पास ले गई पता चला वो मां बनने वाली है कमजोरी को देखते हुए डॉक्टर ने बेड रेस्ट बोला घर पहुंची तो सरला जी चिल्ला रही थी मै पूजा कर रही थी और तुम दोनों घर छोड़ कहा भाग गई थीं विधि तुम तो इस घर की बहु हो तुम्हे अकल नहीं थी।सुगंधा बोली मास्टरनी बाद में चिलाना पहले मुंह मीठा कराओ खुश खबरी है दादी बन रही हो बस बहुरिया कमजोर है

तो उसे डॉक्टर ने आराम बताया है जाओ बहुरिया तुम लेट लो।सरला बोली ये डॉक्टरों के चोंचले है हमने ना बच्चे जने ये आराम करेगी तो काम कौन करेगा।विधि ने जैसे तैसे खाना निपटाया और वो सो गई शाम तक वो उठ नहीं पाई।शाम को सरला की बड़बड़ चालू थी ।अमन और मनन घर आए तो बोले मां क्या हुआ तो सरला बोली तेरी बीवी दुनिया का आठवl अजूबा कर रही है ना इसलिए वो उठेगी नहीं।मनन बोला भैया आप भाभी को देखो अमन अंदर आया विधि बुखार में तप रही थीं।अमन बोला क्या हुआ विधि ने सब बताया अमन बोला इतनी बड़ी खुशी चलो डॉक्टर के पास चले बुखार में क्या दवाई ले वो ही बताएगी।अमन ने विधि को लिया और बाहर आया मनन भी साथ हो लिया।डॉक्टर बोली आपकी वाइफ बहुत वीक है

अगर ऐसा ही रहा तो इनका मिसकैरिज भी हो सकता है इनकी डाइट पर ध्यान दो और रेस्ट करवाओ।दवाई ले कर वो बाहर आए मनन बोला भैया बाहर ही कुछ खा लेते है भाभी की तबियत ठीक नहीं है कौन बनाएगा।मनन ने घर फोन कर बता दिया सरला बोली तुम्हारे पिता के जाने के बाद तुम मन के हो गए हो मै नहीं खाऊंगी तुम जो करना है करो।मनन ने विधि और अमन को कुछ नहीं बताया और उन्होंने खाना खाया विधि के लिए फल ज्यूस ले कर वो घर आए।घर पहुंचते ही सरला शुरू हो गई ड्रामे  करती है कामचोर निकम्मी और भी पता नहीं क्या क्या।

आज विधि की बस हो गई बोली सास को बहु की तकलीफ कभी समझ नहीं आएगी आपकी बेटी होती तो शायद आप समझती पिछले तीन साल से मै सब चुप चाप सह रही हूं मैने तो कभी अपने पति तक को अपने दर्द के बारे में नहीं बताया पर अब बात मेरे बच्चे की है।अमन प्लीज़ आप मुझे मेरी मां के यहां छोड़ दे मै यहां शारीरिक और मानसिक दोनो रूप से बीमार हो गई हूँ मै नहीं चाहती मेरा बच्चे पर इसका असर हो। अमन विधि का सामान ले उसे ससुराल छोड़ने चला गया।मनन बोला आज भाभी गई है कल भैया और मै भी चले जाएंगे बचपन से हम घर को तरस गए आप लोगों ने इसे जेल बना दिया पापा स्ट्रिक्ट थे तो आप तो अपने बच्चों के प्रति कोमल हो सकती थी पर नहीं आपने उनके सारे दुर्गुण अपना लिए सास और मां होने से पहले आप एक औरत हो दूसरी औरत की तकलीफ क्यों नहीं समझ पाई।मनन अपने कमरे में आ गया।

सरला जी वही बैठ अपने पति की फोटो को देख रही थी और सोच रही थी मै इतनी हंसमुख और दूसरों के दुख में दुखी होने वाली थी तुम्हारे साथ रहते रहते मै भी पत्थर हो गई अपने बच्चों से प्रेम ममता सब भूल गई आज मेरी बहू नन्हा अमन लाने वाली है और मैने उसके साथ क्या किया सच है एक नीरस आदमी के साथ रहते रहते आप भी उस जैसे हो जाते हो कहा मै कहती थी अपने बहु बेटे को मै जरा भी तकलीफ ना दूंगी।

मैने तो उस नन्ही सी बच्ची के प्राण ले लिए एक मिनट उसे बैठने ना देती।इसी सोच में वो बैठी रही अगली सुबह उठी तो बेटे पास खड़े थे बोले आप यहां क्यों सो गई।सरला बोली सो तो अब तक रही थी अब जागी हूँ।सुगंधा आई तो उसे बोली सुगंधा एक अच्छी खाना बनाने वाली और एक सारा दिन भाभी की देखभाल के लिए काम वाली ढूंढ मेरे बच्चों मुझे माफ करदो जो कड़वाहट मुझे मिली वही मैं तुम्हारे जीवन में घोलने चली थी।ये सब सेट हो जाए तो बहु को लाते है वो सिर्फ आराम करेगी और मनन तेरी भी कोई पसंद हो तो बता नहीं तो तेरे लिए भी मै देखू।सुगंधा आज मीठा बना हम मां बेटे खाएगे अब इस घर में सिर्फ मिठास रहेगी कड़वाहट का यहां कोई काम नहीं।

स्वरचित कहानी 

आपकी सखी 

खुशी

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