बच्चों के ब्याह के बाद अजीब कसमकस से रीता गुज़र रही हमेशा खिला खिला रहने वाला चेहरा मुर्झाया और तनावग्रस्त रहता। जिसे उसकी बेटी बबली “जो कि अभी पढ़ाई कर रही ” ने भाप लिया ।उससे रहा नही गया तो पूछा ली क्या बात है अम्मा आज कल तुम बड़ा बुझी बुली सी रहती हो किसी ने कुछ कहा क्या?
इस पर ना में सिर हिलाते हुए बोली नही किसी ने कुछ कहा नही बस तेरी ही फिक्र सताती रहती है पढ़ाई खत्म करके कही तू भी नौकरी कर ले तो तेरी भी मन चाही शादी कर दे उसके बाद हम सन्यास ले लेंगे।
कहते हुए उठी और रसोई से तरकारी लाकर काटने बैठ गई।काटते काटते सोच लगी जब तक इसके पापा रहे हम निश्चित थे मगर उनके ना रहने के बाद सारी जिम्मेदारी हम पर आन पड़ी जैसे-तैसे करके दोनों लड़कों को तो दरे दामे लगा के उनकी गृहस्थी बरसी दी अब यही रह गई है भगवान इसकी भी कही सुन ले तो हमारी सारी चिंता दूर हो जाये।
भाई अब दूसरे घर की लड़कियां आ गई है तो अब हमारा घर गृहस्थी पर उतना जोर नही रहा सब अपने अपने तरीके से रहना चाहती है तो रहे अब हम बोलेंगे तो बुरा लगेगा और गलत होने बल कुछ ना बोलने पर कुढ़न होगी बेहतर है कुछ सोचा जाये।
वो सोच ही रही थी कि बेटी खिलखिलाते हुए आई और बोली अम्मा हमारा रिज़ल्ट आ गया हम बहुत अच्छे नम्बर से पास हुए है ।फिर क्या था मां ने बेटी का माता चूमा और ढेरों आशीष दे डाले।उसे उम्मीद भी इससे यही थी हो भी क्यों ना बेटियां मेहनती जो होती हैं।
उसके बाद उसने कंपटिशन दिया और निकाल भी ली।
फिर क्या एक अच्छी जगह उसकी नौकरी लग गई और जब नौकरी लग गई तो रिश्ते अपने आप आने लगे।
ऐसे में एक अच्छा रिश्ता देखकर उसकी शादी कर दी।
अब वो पूरी तौर से निश्चित हो गई जब निश्चित हो गई तो उसने अपनों के बीच रिश्ता अच्छा बनाये रखने के लिए नया रास्ता इख्तियार किया।वो ये कि अब वो किसी के साथ नही रहकर अकेले आश्रम में रहेगी।जिसको मन करेगा वो मिलने भी आयेगा
और गाहे बगाहे खैर खबर भी लेगा। अम्मा के इस निर्णय से लोगों को आश्चर्य तो हुआ पर आज की ये कड़ी सच्चाई है कि रिश्तों में मिठास चाहिए तो हर किसी को अपने तरीके से जीने की आज़ादी दे दो।
कंचन श्रीवास्तव आरज़ू प्रयागराज