मेरा अस्तित्व? – गीता वाधवानी : Moral Stories in Hindi

 बड़े से घर में दीपा,इस कमरे से उस कमरे में और उस कमरे से इस कमरे में चक्कर काट रही थी। घर का सूनापन मानो उसे खाने को दौड़ रहा था। 

       आज उसे अपने पति राजन की बहुत याद आ रही थी और वह उनकी तस्वीर हाथ में लेकर रो रही थी। जब वह राजन के साथ शादी करके इस घर में आई थी, वे दिन उसे याद आ रहे थे। कितने अच्छे दिन थे, माता-पिता समान सास ससुर, सम्मान करने वाला पति राजन और एक प्यारा सा देवर अतुल। 

       मायके में उसके भाई भाभी थे। एक बार दीपा और उसके परिवार को सास के मायके में एक शादी में जाना था। जाने से एक दिन पहले अतुल को बहुत तेज बुखार आ गया, उसे अकेला नहीं छोड़ा जा सकता था। इसीलिए दीपा उसके साथ रह गई और राजन अपने माता-पिता के साथ विवाह समारोह में चला गया।

वापसी में उनकी कार का एक भयानक एक्सीडेंट हो गया जिसमें तीनों परलोक सिधार गए। दीपा की तो दुनिया ही उजड़ गई, भाई भाभी पर वह बोझ बना नहीं चाहती थी और उसे अपने देवर को भी देखना था।

उसने शादी के वक्त राजन से कहा था कि मैं आगे पढ़ना चाहती हूं तब राजन ने अपनी सहमति दे दी थी, लेकिन अब दीपा की पढ़ाई आगे मुमकिन नहीं थी। उसने स्थिति को समझते हुए राजन की रेडीमेड कपड़ों की दुकान संभाली और अपने देवर का पालन पोषण करने लगी। 

      आज अतुल पढ़ लिखकर वकील बन चुका था और उसके पास थोड़े बहुत केस भी आने लगे थे। दीपा ने भी अपनी मेहनत करके, छोटी सी दुकान का रूप बदल दिया था और अब उसके पास एक बड़ी दुकान थी। उसने इसमें जी तोड़ मेहनत की थी। 

       अतुल बहुत ही होशियार था।उसने जल्दी ही वकालत की बारीकियां सीख ली थी और उसका नाम होने लगा था। फिर एक दिन अचानक वह एक वकील लड़की सिमरन के साथ शादी करके आ गया। उस दिन दीपा को बहुत दुख हुआ। अतुल की शादी से वह खुश थी लेकिन उसे इस बात का दुख था कि अतुल ने उसे शादी करने से पहले ना तो कुछ बताया बल्कि  पूछना तो दूर की बात है। 

      फिर भी दीपा ने बहू का दिल खोल कर स्वागत किया। सिमरन एक बहुत तेज लड़की थी। अगर दीपा कुछ कह दे तो, पलट कर जवाब देने में वह बिल्कुल देर नहीं करती थी। कभी नहीं सोचती थी कि मैं कैसे जवाब दे रही हूं आखिरकार तो यह मेरे से बड़ी है और मेरी मां की उम्र की है। 

      कई बार तो वह अतुल के सामने उसका अपमान कर देती थी। कभी-कभी अतुल उसे डांट देता था और कभी-कभी चुप रह जाता था। तब दीपा को अपने पति की बहुत याद आती थी और उसे लगने लगता था

कि अगर मेरा अपना बच्चा होता तो शायद ऐसा ना होता। मैंने अतुल के लिए अपने अस्तित्व को दांव पर लगा दिया, इसकी वजह से मैंने आगे पढ़ाई नहीं की तो क्या यह अपनी पत्नी से मेरा सम्मान करने के लिए भी कह नहीं सकता है। क्या मेरा कोई अस्तित्व नहीं मैं सिर्फ एक नौकरानी बनकर रह गई। 

       आज भी जब दीप पूरे घर में अकेली घूम रही थी, तब अतुल और उसकी पत्नी घूमने चले गए थे और खाना बाहर कहेंगे ऐसा कह कर गए थे। दोनों में से किसी ने एक बार भी उसे साथ चलने को नहीं कहा, वह सोच रही थी कि अगर वह साथ चलने को कहते तो भी मैं जाती नहीं,

लेकिन एक बार झूठ ही बोल देते। झूठ मूठ कह देते कि आप हमारे साथ चलो। दीपा ने तो घूमने फिरने की और अपनी इच्छाएं पूरी करने की कोई खुशी देखी ही नहीं थी। शादी के बाद उसके ऊपर सिर्फ जिम्मेदारियां थी, लेकिन यह सब कौन समझता? 

     रात को दोनों देर से वापस आए और आकर सो गए। अतुल की शादी को कुछ समय बीत चुका था। दीपा अपना ध्यान दुकान में लगाने की कोशिश करती थी, लेकिन अकेलापन अंदर ही अंदर उसे खा रहा था।       फिर एक दिन अचानक, रात को अतुल उसके कमरे में आया और उसके पैर दबाने लगा। दीपा ने चौक कर आंख खोली और अपने पर दूर हटा लिए। उठकर बोली -” अतुल,यह तू क्या कर रहा है? क्या हुआ बेटा,कोई बात है क्या? ” 

     अतुल उदास लग रहा था। उसने कहा-” मां, मुझे माफ कर दो। ” 

 दीपा सोच में पड़ गई।अतुल हमेशा उसे भाभी माँ कहता था।आज माँ कह रहा था। 

 अतुल-” आप यही सोच रही हो ना कि मैं हमेशा आपको भाभी माँ कहता था,आज मैं आपको माँ कह रहा हूं। मुझे माफ कर दो। अपने माँ से बढ़कर, हमेशा मेरा ध्यान रखा, मेरी वजह से आपने अपनी आगे की पढ़ाई नहीं की, मेरा इतना अच्छा पालन पोषण किया, और मैंने क्या किया, आपको बिना बताए शादी करके आ गया,

आपको सिमरन के बारे में कुछ भी बताया नहीं और यहां तक कि जब सिमरन आपका अपमान करती है तो उसे मैंने कुछ भी नहीं कहा, कई बार मै चुप रह गया। न जाने मुझे क्या हो गया था, मुझे माफ कर दीजिए और आगे से कभी भी आपका अपमान नहीं होगा।मैंने सिमरन से भी कह दिया है कि वह आपका पूरा सम्मान करे। अब कभी भी वह आपका अपमान नहीं करेगी और अगर ऐसा हो तो आप मुझे बताना। ” 

 दीपा पूछना तो नहीं चाहती थी लेकिन उसने फिर भी पूछा। अतुल, यह सब कैसे हुआ? ” 

 अतुल -” माँ, मेरे पास से हमारे हालातो जैसा एक कैसे आया, उसमें देवर अपनी भाभी से जिसने उसका पालन पोषण किया था, उसकी आखरी  सहारा मकान भी उसे हड़पने की फिराक में था और उसकी भाभी मुझे रो कर कह रही थी

कि मैं इसका बचपन से पालन पोषण किया और देखो यह मेरे साथ कैसा व्यवहार कर रहा है। उसकी बातों से, आपका चेहरा मेरी आंखों के सामने घूमने लगा और मुझे लगा कि मैंने भी आपके साथ गलत किया है और आपका अस्तित्व आपसे छीन लिया है। मां मुझे माफ कर दो। ” 

   दीपा-” अरे पगले! कितनी बार माफी मांगेगा, जा अब जाकर सो जा,बहुत रात हो गई है।” 

   सुबह दीपा बहुत खुश थी और सिमरन के व्यवहार में भी अंतर नजर आ रहा था। दीपा को पता था कि अगर अतुल उसके साथ है, तो सिमरन उसके अस्तित्व को नकार नहीं पाएगी और उसका सम्मान हर हाल में करेगी ही करेगी। 

 स्वरचित अप्रकाशित गीता वाधवानी दिल्ली

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