माता पिता की जिद – आराधना सेन : Moral Stories in Hindi

माँ माँ आपसे एक बात करनी थी सुनील थोडी जल्दी मे था ऋषी के स्कूल से आया था।”क्या हुआ इतनी हडबडी मे क्यूं हो आँचल से गीले हाथो को पोछती हूइ” माँ बोली।मा अब मुझे रुपा और ऋषी को अपने साथ शहर ले जाना होगा ऋषी का रिजल्ट बहुत अच्छा आया हैं उसे अच्छे स्कुल मे डालना हैं कोचिंग भी करेगा यह सब गांव से नही होगा,तुम भी चलोगी न!

बेटा इतने बच्चे तो पढते हैं तुम भी तो यही से पढा फिर शहर क्यूं फिर इस बुढापे मे दुसरे जगह की हवा पानी नही जमेगी तुम बहू को लेकर चला जा”

माँ ने तो कह दिया बहू को ले जा लेकिन मन ही मन उसे दुख था सभी के जाने का ,इस उम्र मे बहू उसे कुछ न करने देती थी हँसी ठिठोली से आँगन खिलखिलता था पोता भी बडा होनहार बच्चा था दादी का लड्ला  ,बेटा तो हफ्ते मे एक दिन आता था माँ तो बहू के साथ  ही ज्यादा रहती थी बहू की थोडी सहायता हो जाए वैसे काम मे हाथ लगाती थी,

माँ को रोना आ रहा था लेकिन वह अपने आसूँ छुपा रही थी,माँ को लग रहा था जैसे सारे रिश्ते टूट रहे हैं पुरे घर मे अकेलापन माँ को काटने को दौडगा,एक उम्र के बाद बुजुर्ग अपने आस पास लोगो को देखने से सुरक्षित महसूस करते हैं,माँ उस अकेलेपन को सोच रात को सुबक सुबक कर रो रही थी।

बहू जैसे ही माँ के कमरे मे आई उन्हे रोते देख सारा माजरा समझ गई”मांजी यह  रिश्ता थोडे न ऐसे टूटने दूंगी आपको भी हमारे साथ ले चलूँगी”

लेकिन बहू मुझे शहर रास नही आता,माँ बोल पड़ी।

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मांजी जब अपने  साथ हो तो जगह कोई भी हो अपनो का साथ अच्छा लगता हैं आप इधर रहोगी आपकी उम्र बढ रही हैं हमे समय मिले कभी कभी न मिले दूर रहकर कभी कभी दुरी  भी आ जाती हैं इसलिये आप जिद न करे हमारे साथ चले जिससे यह रिश्ता टूटने का डर आपको न लगे, अकेलापन न खाए ,कभी कभी बच्चो की बात मान लेनी चाहिये फिर यह तो आपके पोते के भविष

 की बात हैं।

मांजी रात भर सोचती रही चौराहे  के अनगिनत लोगो की बाते याद आ रही  जिनके बच्चे उन्हे साथ लेकर जा रहे थे लेकिन वह अपनी जिद मे नही गई अब इस उम्र मे आकर जब वह बेबस हैं तो बच्चो को कोसते हैं बुरा भला कहते हैं  इसमे बच्चो का क्या दोष ,बच्चे व्यस्त हैं हर वक़्त वह नही आ पाते कुछ तो आना भी नही चाहते,इस तरह कई रिश्ते टूटते हुए दिखे ,समाज मे सभी तरह के लोग हैं।माँ सोच रही थी मेरा बेटा बहू जब साथ जाने की बात कर रहा हैं तो जाना चाहिये ,मुझे सबके साथ जाना हैं।

माँ अपने कमरे के सारे समान को ठीक से रख रही थी क्या ले जाना हैं क्या नही,बहू माँ को चाय देने आई थी वह समझ चुकी थी मांजी हमारे साथ जा रही हैं,बहू को देखते ही माँ ने कहा मैं इन रिश्तो को कभी टूटने नही दूंगी सब साथ रहेंगे ऋषी को खूब पढ़ा लिखा कर अच्छा इन्सान बनाओं मैं तुमलोगो के साथ हमेशा रहूँगी,सास बहू एक साथ हँसते हँसते चाय पी रहे थे,बेटे के मन को भी सुकून मिला की माँ साथ जायेगी वरना उसका मन भी इधर पड़ा रहता जो भी हुआ अच्छा हुआ सच मे टूटते रिश्ते जुड़ने लगे।

स्वरचित मौलिक 

आराधना सेन

#टूटते रिश्ते जुड़ने लगे

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