अरे कभी पहनी है इतनी महंगी साड़ी, तुम्हारे घर में तुम्हारी मम्मी , दादी या बहनों ने किसी ने देखी है ऐसी साड़ी,जो मैं तुम्हें दिला रही हूं।वो तो अपनी इज्जत रखने के लिए मैं तुम्हें दिला दे रही हूं क्यों कि तुम्हारे भाई की शादी है , और सब तुम्हें ही देखेंगे कि इतने बड़े घर की बहू बनी है तो कैसा रहन-सहन है।
और हां वो ये गहने भी पहन लेना सबको लगना चाहिए कि तुम एक बड़े घर की बहू हो ।और हां संभाल कर रखना गहने इधर उधर न हो । शादी निपटते ही सब मुझे वापस कर देना।बस थोड़ी देर को पहनने के लिए दे रही हूं। उसके बाद ये मेरे पास ही रहेंगे। कल्याणी जी अपनी बहू कृति से बोले जा रही थी और कृति चुप चाप सब सुन रही थी।
कल्याणी जी और सेठ रतनलाल शहर के जाने माने व्यवसायी थे ।अच्छे पैसे वाले थे।शहर के बीच में बड़ा कोठीनुमा मकान है ,और शराब के ठेकेदार थे।
पैसों रूपए की कोई कमी नहीं थी। कल्याणी जी में अपने रूपए पैसे का की बड़ी अकड़ थी ।वो किसी से सीधे मुंह बात भी न करती थी ऊपर से दिखाती थी कि बहुत अच्छी इंसान हैं सहृदय , दयालु और सबका सुख दुख समझने वाली है पर ऐसा नहीं था।
सेठ रतनलाल की भी शहर में अच्छी धाक थी।सोशल कामों में हमेशा आगे रहते थे। लेकिन अंदर से वै भी पैसों का गुरूर पाले रखते थे।चार चार बेटे थे बेटियां नहीं थी इस बात से कल्याणी जी हमेशा गुरूर में रहती कि कौन मेरे को लड़कियां हैं जो किसी के आगे नाक रगड़ना पड़ेगा ,बेटे हैं मेरे तै लोग अपनी बेटियों की शादी करने को मेरे पास नाक रगड़ने को आएंगे।
मां बाप का ऐसा रूतबा था मैं भला बेटों पर असर कैसे न आएगा।पढ़ाई लिखाई में उनका मन लगता न था।इधर उधर घूमते रहते थे। किसी को परेशान करते या किसी से कुछ ग़लत करते तो भी उनको किसी का डर नहीं रहता। किसी की हिम्मत पड़ती नहीं थी घर में शिकायत करने को।इसी तरह लड़के भी उच्छृंखल होते जा रहे थे।।
आज सैठ रतनलाल जी को किसी नारी निकेतन का उदघाटन करने के लिए मुख्य अतिथि के रूप बुलाया गया था। वहां सेठ जी ने नारी उत्थान और उन्नति के लिए जोर शोर से भाषण दिया ।और हर नारी का हमें सम्मान करना चाहिए और ये भी कहा कि हर बेटियों को पढ़-लिख कर योग्य बनना चाहिए
और गलत के खिलाफ आवाज उठाने की ताकत होनी चाहिए ।हमें उनका सम्मान करना चाहिए ।और दहेज जैसी प्रथा को खत्म करना चाहिए। तभी बीच में से एक बेटी ने सेठ जी से सवाल किया क्या सेठ जी आप अपने बेटे की शादी बिना दहेज के करेंगे।अब सेठ जी
असमंजस में पड़ गए कि इतनी बड़ी बात बोल तो दी है और जब खुद ही उसपर अमल न करेंगे तो इज्जत ख़ाक में मिल जाएगी।जोश में आकर सेठ जी ने कहा दिया हा क्यों नहीं।मैं अपने बड़े बेटे की शादी करना चाहता हूं और बिना दहेज के शादी करूंगा।हाल में तालियों की गड़गड़ाहट गूंज गई।
मिटिगं समाप्त होने पर सब अपने अपने घर चले गए।अब अपनी कही हुई बात सेठ जी के दिमाग में घूम रही थी। इतनी बड़ी बात बोल तो दी है अब अमल भी करना होगा।और अगर अमल कर लिया तो समाज में हमारा रूतबा भी बढ़ जाएगा।बड़ा बेटा शुभम शादी के योग्य हो गया था।
सेठ जी ने अपने सेक्रेटरी से बोला कि शुभम की शादी करनी है,नजर में रखना यदि कोई सुंदर अच्छी लड़की हो तो बताना । बेटा तो ज्यादा पढ़ा लिखा न था पिता का काम देखता था ।
लेकिन लड़की पढ़ी लिखी चाहिए थी बडे घर के बेटों कै सारे ऐब पैसा ढक लेता है रतन लाल ने सोचा घर में पैसा तो खूब है एक शादी बिना दहेज के कर लेता हूं तो क्या बुराई है।गरीब घर की लड़की रहेगी तो दबकर रहेगी ।
सेक्रेटरी की खोज पूरी हुई और उसी के गांव की बेटी पसंद आ गई जो सुंदर और सुघड़ थी बी ए की तृतीय वर्ष की परीक्षा दे रही थी।सिक्योरिटी ने सेठ रतनलाल
को बेटी के बारे में बताया बेटी अच्छी थी दहेज न के बराबर देंगे सेठ जी मान गए और बिना दहेज शादी करने पर समाज में उनका नाम भी ऊंचा होगा।
घर आकर पत्नी को बताया तो पत्नी ने कहा किसी गरीब घर की लड़की हमारे समाज में हमारी बराबरी कैसे करेगी उठने बैठने लायक भी नहीं होगी अरे भाग्यवान हमारे यहां क्या कमी है उसे अपने तौर तरीके सीखा देना अच्छे
कपड़े जेवर पहनेगी तो वह भी हमारे जैसी हो जाएगी और हमारे समाज में उठने बैठने लायक हो जाएगी
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कृति के एक भाई और एक बहन थी। जिसमें कृति सबसे बड़ी थी। देखने सुनने में सुघड़ ,सुंदर और बहुत संस्कारी थी।एक ही नज़र में कृति सबको पसंद आ गई।इतने बड़े घर में रिश्ता जुड़ने से कृति के मां बाप बहुत खुश थे कि बेटी इतने बड़े घर में बहुत खुश रहैगी। लेकिन कृति थोड़ा घबरा रही थी इन बड़े लोगों के बीच में रहने से।
बड़ी धूमधाम से शादी हो गई । लेकिन इस शादी से कल्याणी जी खुश नहीं दिखाई दे रही थी। कृति को देखकर उनके तेवर चढ़ जाते थे। लेकिन सेठ जी को समाज में नाम बढ़ जाएगा हो बिना दहेज के शादी कर लाए थे। अभी शादी के पंद्रह दिन ही हुए थे ,घर के सारे काम को नौकर लगे थे खाना नाश्ता सबकुछ शांता बनाती थी ।आज जब बहुत देर हो गई और कृति को चाय नहीं मिली तो वो कमरे से बाहर आई चाय को देखने तभी कल्याणी जी ने देखा कमरे का एसी चल रहा है तो कृति पर भड़क गई ।ये क्या एसी चलता हुआ छोड़ आई हो कभी अपने घर मे एसी देखा है ।वो मम्मी जी मैं चाय का बोलने आई थी शांता को । हां हां तुम्हारे लिए तो दिनभर नौकर बैठा है न आज शांता नहीं आएगी अपने आप चाय बनाओ ।और हां शांता घर के कामों के लिए है तुम्हारे काम करने को नहीं अपना काम खुद करो जी मम्मी जी। कृति चुपचाप सुनती रही । ऐसे ही उसे बात बात में अमीरी गरीबी का ताना दिया जाता लेकिन कृति चुप रहती।
ऐसे ही एक दिन कृति देर तक लेटी रही उठी नहीं तो कल्याणी जी आकर चिल्लाने लगी अरे वो महारानी कब तक लेटी रहोगी आज शांता नहीं आएगी घर में कुछ खाना नाश्ता बनेगा कि नहीं वो मम्मी जी मेरी तबियत ठीक नहीं है आज । अच्छा अच्छा बहाने न बनाओ चलो उठो और नाश्ता बनाओ ।तुम अगले लोगों को न थोड़ा सा भी कुछ अच्छा मिल जाए तो दिमाग खराब हो जाता है। जाने किस परिवार से आ गई है और नखरे ऐसे दिखा रही है कि बड़ी रईस हो।
बस ऐसे ही बात बात में कल्याणी कति का अपमान करती रहती थी । कृति पर ने अपनी मां को फोन किया मां यहां मेरा कोई मान सम्मान नहीं होता ।हर वक्त कगलें के यहां से आई है सुनाया जाता है गरीबी का ताना मारती रहती है मैं यहां पर नहीं रहूंगी। कृति की बात सुनकर मां परेशान हो गई उन्होंने मास्टर जी से कहा सुनिए आप जरा सेठ जी से बात करिए हम तो नहीं गए थे रिश्ता मांगने वो खुद आए थे तो फिर क्यों बात बात में बेटी को गरीबी का ताना मारा जाता है ।
कृति के पिता ने एक दिन हिम्मत जुटा कर सेठ जी से बात की तो उन्होंने कहा अरे मास्टर जी आप कहां औरतों की बातों में आ रहे हैं अभी नया नया है कुछ दिन सब ठीक हो जाएगा आप परेशान न हो।अब मास्टरजी अपना सा मुंह लेकर आ गए।
कृति को मां ने समझाया कि बेटा ससुराल में तो थोड़ा बहुत बर्दाश्त करना ही पड़ता है ।समय के साथ ठीक हो जाएगा ।अब कृति के भाई की शादी थी उसमें पहनने के लिए कृति को कल्याणी जी ने अपनी शान बढ़ाने की खातिर महंगी साड़ियां और जेवर पहनने को दिए ।और बात बात में ये भी कहती जाती कि कभी ऐसे जेवर और कपड़े पहने नहीं होंगे तुमने। शादी में जब बारात लगने लगी तो कल्याणी वहां पर कृति के मां और कुछ रिश्तेदारों के सामने कहने लगी देखो मैंने कैसे तुम्हारी बेटी को महंगी साड़ियां और गहनों से लाद दिया है आप लोगों ने तो कभी देखें भी नहीं होंगे ,अरे सपने में भी नहीं सोच सकती ऐसी चीजों के लिए। नहीं तो इसकी औकात कहा थी आप लोगों की । तभी कृति की मां बोली पड़ी हम कंगले
थे तो क्या हम आपके यहां रिश्ता लेकर नहीं गए थे आप लोग ही आए थे । समाज में अपना नाम ऊंचा करने को बिना दहेज के शादी करने को और गरीब परिवार से रिश्ता जोड़ने को ।अब मेरी बेटी को दिन भर ताने मार रही है। पैसा तो बहुत है आपके पास मगर दिल नहीं है।
मां की सह पाकर कृति भी बोलने लगी सही कहा मम्मी आपने।और मांजी एक लड़की की ससुराल में इज्जत तो उसकी आर्थिक स्थिति देखकर ही मिलती है । यदि वो अमीर घर की है और खूब सारा दहेज लाई है तो उसकी इज्जत है वरना नहीं ।आपको तो पता था न कि हम लोग गरीब हैं फिर क्यों मेरा रिश्ता किया आपने । किसी बड़े घर की बहू क्यों नहीं ले आए ।ये गहने और ये महंगी साड़ियां रखिए आपको ही मुबारक हो मुझे नहीं चाहिए और मुझे अब आपके साथ जाना भी नहीं है । जहां हर वक्त मेरी गरीबी का मज़ाक़ उड़ाया जाए हर वक्त मुझे ताने दिए जाएं मैं वहां नहीं रह सकती आप जा सकती हैं।
कल्याणी जी इतने लोगों के सामने अपनी बेइज्जती देखकर तिलमिला गई और घर वापस आ गई। कृति ने वापस ससुराल जाने से मना कर दिया।ये सब वाकया जब सेठ जी को पता लगा तो वै कल्याणी पर बहुत नाराज़ हुए।और कहने लगे बहू घर न आई तो समाज में हमारी इज्जत मिट्टी में मिल जाएगी।
दूसरे दिन सेठ रतनलाल कल्याणी को लेकर मास्टर जी के घर गए और कृति से बोले बेटा घर चलो ,अब वही तुम्हारा घर है । लेकिन बाबूजी वहां मुझे हर समय मेरी गरीबी का मज़ाक़ बनाया जाता है मैं नहीं जाऊंगी । बेटा अब ऐसा नहीं होगा मैंने कल्याणी को समझा दिया है।अब वो ऐसा कुछ नहीं करेंगी। अभी बात बहुत बिगड़ी नहीं थी मां के समझाने पर कृति ससुराल आ गई ।अब थोड़ा थोड़ा कल्याणी के व्यवहार में भी अंतर आने लगा । फिर भी अमीर लोगों में जो पैसों की अकड़ होती है वो ताउम्र बनी रहती है जाती नहीं है ।
दोस्तों बहुत घरों में ऐसा होता है कि बहूओ की ससुराल में इज्जत उनके मायके की स्थिति को देखकर तय किया जाता है । यदि पैसे वाले घर की है तो ज्यादा मान सम्मान नहीं तो हर वक्त के ताने ।ये न करें यदि बहू अच्छी मिली है चाहे वो गरीब परिवार की ही हो अच्छा व्यवहार करें । सबकुछ पैसों से न तौलें ।
मंजू ओमर
झांसी उत्तर प्रदेश
11 दिसंबर