किसी गाँव में एक महिला अपने दो पुत्रों के साथ रहती थी। उसके पुत्रों के नाम रोहित तथा शिवम थे। रोहित की आयु लगभग 8 वर्ष तथा शिवम की आयु लगभग 6 वर्ष की थी। उसका पति बाहर नौकरी करता था। रोहित के दादा-दादी भी उन्ही के साथ रहते थे। रोहित के दादा किसान थे। रोहित के पिता जी दो भाई थे। रोहित के पिता जी का नाम शिवकुमार तथा उनके छोटे भाई का नाम अजय कुमार था। अजय खेती के काम में ही सहारा दिया करता था।
रोहित की माँ के उसके चाचा जी के साथ अवैध सम्बन्ध थे। जिसकी खबर उनके घर में किसी को न थी। एक बार रोहित ने उनके इस अवैध रिश्ते को देख लिया। जब उन दोनों ने यह देखा कि रोहित ने उनके इस अवैध रिश्ते को देख लिया है तो उन्होंने उसे चाॅकलेट, खिलौने आदि कई लालच दिए,
पर रोहित उनकी बातों में नहीं आया और वह अपनी बात पर अडिग रहा कि वह पापा से सारी बात सच-सच कहेगा। उन्होंने उसे बहुत मनाया किन्तु वह न माना। यह देखकर उन दोनों के होश उड़ गए कि कहीं इसने हमारी सच्चाई घर वालों के सामने बता दी तो………..
उन्होंने सोचा कि यदि कहीं हमारी सच्चाई घरवालों के सामने आ गई तो वो न जाने हमारा क्या हाल करेंगे। समस्या को हल करने के लिए उसके चाचा अजय ने उस नन्ही सी जान रोहित के सिर पर जोर से थपकी से प्रहार किया। एक ही थपकी की चोट से बच्चे के प्राण निकल गए।
जब उन्होंने देखा कि बच्चा अब मृत हो चुका है तो उन्होंने स्वयं को बचाने के लिए उसकी लाश को बोरी में बाँधकर छत पर रखी करबी में ही छिपाकर रख दिया। देर रात जब घर में रोहित के न दिखने पर उसके परिजनों ने अपने पड़ोस में कई लोगों से पूछताछ की किन्तु किसी ने भी उस शाम रोहित को नहीं देखा था।
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उसके दादा ने पुलिस को मामले की रिपोर्ट दर्ज करवाई तथा रोहित को गुमशुदा बताया गया। एक-दो दिन बाद जब उन्हें लगा कि लाश को अब ज्यादा दिनों तक छिपाकर नहीं रखा जा सकता क्योंकि उसमें से बदबू आने लगेगी। इसलिए उसके सगे चाचा तथा सगी माँ दोनों ने मिलकर उसके गले को काटा तथा
उसकी एक आँख निकालकर तथा उसकी बालियान उतार कर उसे पर खून से 21 टिकली कर दीं जिससे किसी को भी उन पर शक न हो नरबलि हत्या का केस बनाया जा सके। उन दोनों ने मिलकर उस बोरी को सावधानी पूर्वक छत से उतारकर नीचे गली में रख दिया और घर में चले गए अगली सुबह जब दादा जी ने उस बोरी को देखा तो वे जोर से चिल्लाए रोहित ……
और वहीं पर खड़े से बैठ गए और जोर-जोर से रोने लगे आवाज़ सुनकर घर तथा पड़ोस के सभी लोग वहाँ पहुँच गए। उन्होंने रोहित के दादा जी से पूछा कि क्या हुआ? तो वे बोरी की ओर इशारा करते हुए करुण स्वर में बोले रोहित …….
और इतना कहकर फिर से रोने लगे। जब उन्होंने बोरी की ओर देखा तो बोरी पर खून के निशान थे उनमें से एक ने जब बोरी में झाँककर देखा तो उसकी आँखों से आँसू झलकने लगे। सभी के चेहरे पर मायूसी छा गई। उन्होंने पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने मामले की जाँच शुरू की। शक के तौर पर वे लोग जिनसे उनकी दुश्मनी थी सभी के नाम लिए गए कि शायद या तो ये या ये।
पुलिस जासूसी कुत्तों को भी वहाँ जाँच के लिए लेकर आई। कुत्ते घर में ही सूँघते रहे पर घर में भी किसी पर शक नहीं किया जा सकता था इसलिए कुत्तों को वापस भेज दिया गया। कुछ दिनों के बाद ही जाँच-पड़ताल के दौरान उस बच्चे के असली कातिलों की सच्चाई सबके सामने आ गई।
कातिलों का नाम सुनते ही सभी की रूह तक काँप गई। क़ातिलों में पहला नाम उसकी सगी माँ तथा दूसरा नाम उसके सगे चाचा का आया। वहीं खड़े एक व्यक्ति ने कहा माना चाचा कातिल हो सकता था मगर एक माँ जिसने उसे जन्म दिया और 8 वर्ष उसकी परवरिश की वह उसी की जान भी ले सकती है
यह किसी ने न सोचा था। बल्कि रोज घरों में होने वाली आरती में भी यही कहा जाता है कि माता सुनी न कुमाता पर यह माँ तो माँ शब्द पर ही कलंक बन गई, जिसने अपने अवैध प्रेम की खातिर पुत्र प्रेम को ही भुला दिया और उसे मृत्यु की नींद सुला दिया। इस घटना की खबर गाँव के दूर-दूर तक फैल गई।
पुलिस थाने में जाकर उन्होंने अपनी सच्चाई को स्वयं ही कुबूल कर लिया कि अपने रिश्ते की सच्चाई सबके सामने आने के भय से हमने उस बच्चे की मृत्यु की। इसके बाद उन दोनों को उम्र कैद की सजा सुनाई गई। उनकी आँखों में मात्र पछतावे के आँसू रह गए।
स्वरचित रचना
लेखिका-
खुशी प्रजापति
अशोक नगर, बाह,
आगरा, उत्तरप्रदेश
#पछतावे के आँसू