hindi stories with moral : सोमा आ तो ये मेरा सूटकेस खोल दे जरा
जी मां अभी आई
अरे ठीक से पकड़ ना ध्यान कहां रहता है तेरा आजकल एक काम ढंग से नहीं होता..
सोमा मेरी चाय कहां है कल सुबह मिलेगी क्या
जी पिताजी अभी चाय लाई
पता नही क्या करती रहती है एक चाय भी ढंग से नहीं बना सकती अरे थोड़ी अदरक कूट के डाल देती….इतनी तुलसी लगी है घर में….. इतनी ठंड है ध्यान कहां रहता है तेरा
वो पिता जी…..
सोमा ओ मेरी निठल्ली बहन मेरे जूते ढूंढ दे जल्दी कर जिम जाना है वैसे ही देर हो गई है
जी भैया अभी आई
कितनी देर लगा दी आने में करती क्या रहती है तू सुबह से पढ़ाई लिखाई भी कर लिया कर रिजल्ट खराब आया तो फिर ये ना कहना पढ़ाई करने का टाइम नही मिलता…जूते लेते हुए अनीश बोल पड़ा।
जी भैया
सोमा दीदी इस्तरी के कपड़े गिन लो जल्दी कब से आवाज दे रहा हूं
आई गोपी भैया
दीदी आपके ही घर में मुझे तीन घरों का टाइम देना पड़ता है पता नहीं आप करती क्या रहती हैं
सोमा तुझे साथ में पढ़ाई करनी है या मैं अपने घर जाऊं परीक्षा सिर पर है और तुझे फुरसत ही नही है
क्या करूं दीपा देख रही है किसी का मेरे बिना काम ही नहीं चलता है क्या क्या करूं मैं रुआंसी हो गई
देख सोमा … जब रिजल्ट खराब आयेगा तब भी सब यही कहेंगे पता नहीं करती क्या रहती है पढ़ाई भी ढंग से नहीं कर सकती और तेरी पढ़ाई छुड़ा कर घर पर ही बिठा देंगे..ये रोने धोने से कुछ नही होगा सीधे का मुंह कुत्ता चाटे समझी अपने लिए बोलना सीख मना करना सीख मैं तो चली….कहती दीपा जाने लगी
ए सोमा सुबह से क्या गप्पबाजी करने बैठ गई है सहेली के साथ पढ़ाई करने के बहाने … देख बाहर सब्जी वाला आवाज दे रहा है
मां आप ले लीजिए सब्जी मुझे दीपा के साथ परीक्षा के नोट्स बनाने है दो घंटे बाद ही मैं कोई काम कर पाऊंगी दीपा का हाथ पकड़ कर कमरे में बिठाते हुए किताबे खोलती सोमा ने कहा और कमरे का दरवाजा बंद कर दिया।
लतिका श्रीवास्तव