मन का रिश्ता – रंजीता पाण्डेय : Moral Stories in Hindi

आज बहुत बहुत खुश थी ममता | उसकी पहली पुस्तक  छप गई थी |वो बार बार अपनी पुस्तक को देखती | और भावुक हो जाती ,उसको यकीन नहीं हो  रहा था ,की उसने इतना बड़ा काम कर दिखाया |

ममता एक बहुत पढ़ी लिखी सीधी ,साधी औरत थी | हमेशा हंसती मुस्कुराती रहती | उसके परिवार में बहुत सी परेशानियां थी लेकिन किसी से कहती नहीं थी | हद तो तब हो गई जब उसके पति ,का एक्सीडेंट हो गया | फिर क्या था मानो दुखों का पहाड़ टूट गया हो | घर , बच्चे, पति सब को संभालना बहुत मुश्किल हो गया था ममता के लिए | वो बहुत दुखी रहने लगी | 

अचानक फेस बुक पे उसको अपने स्कूल टाइम का  दोस्त, मोहित मिल  गया | उसने उसको मैसेज में हेलो लिखा | उसकी सारी फोटो देखने लगी | मन ही  मन बहुत खुश हुई | मोहित का भी मैसेज आया | ममता ने उसका नंबर मांगा | फिर क्या था | दोनो की बीच थोड़ा बहुत बात होने लगा |

ममता थोड़ा बहुत कविता  लिखती थी | मोहित ने पढ़ा और उसकी तारीफ की | ममता को अच्छा लगने लगा | ममता को जब भी टाइम मिलता वो बात करने के बहाने खोजती | अब वो मानो सभी दुखों को भूल खुश रहने लगी | उसको ऐसा लगा की कोई ऐसा है जिससे वह अपनी बात कह सकती है |

लेकिन फिर उसने सोचा की उसका भी परिवार है कही मेरे कारण उसको कोई परेशानी ना हो | इस लिए उसने बात करना कम कर दिया | लेकिन ममता मोहित से दोस्ती  रखना चाहती थी | उसको कुछ समझ नही आ रहा था  , की क्या करे?

 उसने कहानी  लिखना शुरू किया | अपनी हर कहानी मोहित को भेजती | और उसके कमेंट का इंतजार करती | मोहित बस नाइस,बहुत अच्छा ,लिख देता ,बस इतने से ही ममता खुश हो जाती |  

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मोहित बहुत  ही ज्यादा इज्जत करता था ,ममता की | ममता कई बार मजाक में  बहुत कुछ कह जाती, लेकिन मोहित ने कभी भी अपनी मर्यादा पार नहीं की |मोहित की  ये बात ही ममता को सबसे अच्छी लगती थी | मोहित से “मन का रिश्ता ” जुड़ गया था | आज मोहित की मदद ,  के कारण ही ,ममता ने बहुत सारी कहानियों लिखी और उसकी पुस्तक छप गई |

ममता मन  ही मन सोचने लगी अगर मोहित नहीं होता तो मैं कुछ भी नहीं कर पाती | अपने पारिवारिक परिस्थितियों में उलझ के रह जाती | 

सबके जीवन मे एक ऐसा रिश्ता जरूर होना चाहिए ,जिससे वो अपने मन की बात कह सके | ममता बहुत खुश थी की उसके पास मोहित जैसा दोस्त है | 

रंजीता पाण्डेय

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