कश्मीर की वादियों में भारत पाकिस्तान के बॉर्डर के पास एक गांव जहां के लोग चरवाहे या फिर लोग की नांव में सब्जियां बेचकर अपना गुजारा करते थे।यह गांव कश्मीरी पंडितों का था लेकिन ज्यादातर लोग गांव छोड़कर जा चुके थे लेकिन अर्जुन के दादा जी ने कहा इस गांव के पुरोहित भगवान दास जी थे उन्होंने कहा चाहे कुछ भी हो जाए में अपने घर परिवार और गांव छोड़कर कहीं नहीं जाऊंगा।
।इस लिए इस गांव एक अर्जुन का एक हिन्दू परिवार रहता था लेकिन यहां जितने भी मुस्लिम परिवार थी मैं सभी अर्जुन के दादाजी को बहुत मानते थे अर्जुन गांव के पास से जब भी फौजियों को गुजरता देखा तो बड़ा खुश होता और सोचता है कि मैं भी एक दिन फौज में जाऊंगा और अपने देश की सेवा करूंगा ।
यह बात अर्जुन ने जो अपने दादाजी को बताएं तो उसकी दादाजी का बेटा उसके लिए तुम्हें पढ़ाई करनी होगी अर्जुन यह निर्णय लिया चाहे मुझे कितनी भी मन मेहनत करनी पढे लेकिन मैं फौज की ही नौकरी करूंगा वह दिन रात पढ़ाई करने लगा। और कई साल जब अर्जुन बडा हो गया तब वह
अर्जुन इंडियन आर्मी की परीक्षा देने के लिए अपने घर से बाहर गया तभी कुछ आतंकवादी उसके गांव में घुस आए उसकी दादाजी और उसकी परिवार की सभी लोगों को मार दिया जब अर्जुन को यह सब पता चला तो उसका खून खौल उठा उसने सोचा चाहे कुछ हो जाए मुझे फौजी भर्ती होकर एक एक आतंकवादियों से अपने देशवासियों और अपने परिवार के लोगों की हत्या का बदला लेना है आज कुछ दिनों बाद आर्मी भर्ती हो अर्जुन को हर वक्त लगता की आतंकवादी उसके सामने आ जाए ।और उन्होंने उनसे बदला ले अर्जुन जीवन की इच्छा पूरी हुई उसे खबर मिली दोनों देशों के बीच युद्ध होने वाला था।
अर्जुन की अभी नई-नई पोस्टिंग थी इस लिए अर्जुन को युद्ध में जाने की परमिशन नहीं मिल रही थी अर्जुन बहुत दुखी था क्योंकि उसे युद्ध में जाना था तभी उसने यह कहा कि सर मुझे भी बॉर्डर पर जाना है उसकी सारी सीनियर ऑफिसर उसे मना करने लगे।
उन्होंने कहा नहीं अभी तुम ग्राउंड पर हो लेकिन अर्जुन रूकने को तैयार नहीं था। फिर अर्जुन बहुत ज्यादा अपने अधिकारियों से रिक्वेस्ट की तो उसे भी बॉर्डर पर लड़ने के लिए भेज दिया। बार-बार अर्जुन के आगे बढ़ने पर अधिकारी करने के साथ अर्जुन को भी बॉर्डर के लिए रवाना कर दिया
अर्जुन का सामना जग दूसरे देश की सैनिकों से हुआ अर्जुन का खून कॉल उठा उसने कहा कि यह लोग भी हमारे देश में आतंकवादियों को भेजते हैं उसे अपने दादा पिताजी और परिवार के सभी लोग याद आने लगे और एक-एक दूसरे देश की सैनिकों को मरने लगा।
अर्जुन के साथ उसकी पूरी बटालियन थी लेकिन कई भागों में बैठ चुकी थी एक पोस्ट पर अर्जुन अकेला और उसके कुछ साथी थे तभी दूसरे देश की सैनिकों ने अर्जुन के ऊपर हमला कर उसकी पोस्ट पर कब्जा करने की कोशिश लेकिन अर्जुन ने उनको एक कर सबको मार दिया तभी किसी दूसरे देश के सैनिक में आगे अर्जुन की पीठ पर वार किया ।अर्जुन ने कहा तुम लोगों बुजदिल हो तुममें इतनी हिम्मत नहीं की कभी भी सामने से वार नहीं करते बल्कि हमेशा पीछे से वार करते हो लेकिन अर्जुन ने हिम्मत नहीं हर और अंत तक लड़ते रहे है और अर्जुन ने दुश्मन देश का डटकर मुकाबला कर एक एक मार दिया अपने साथियों को अपनी पोस्ट पर वायरलेस से बुलाया और फिर अपने देश का तिरंगा झंडा ।फहराया झंडा फहराने के अर्जुन ने भारत माता की मिट्टी को अपने मस्तक पर लगाया और जय भारत माता जय भारती। और कहा
” मैंने तो अपना फर्ज निभाया है”
और वीरगति को प्राप्त हुए हंसते हंसते अपने प्राणों का बलिदान दिया
अब आप लोगों की जिम्मेदारी है किस देश को संभाल के रखें
इस कहानी में यह पता है क्या है कि एक छोटे से बच्चों के मन में भारतीय सेवा के प्रति कितना असीम प्रेम है और अपने देश के लिए मर मिटने को तैयार है और अंत में अपने देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों का वरदान देता है और कहता है ,मैंने तो अपना फर्ज निभाया है, ऐसे हमारे वीर सैनिकों को नमन
जय हिन्द जय भारत
विनीता सिंह