मैं भगोड़ा नहीं – शुभ्रा बैनर्जी  : Moral Stories in Hindi

आज अदालत में नितिन और रोमी के केस की सुनवाई थी।रोमी की तरफ से पति और ससुराल के ऊपर दहेज के लिए प्रताड़ित करने का आरोप लगाया गया था।एक मध्यम वर्गीय परिवार के इकलौते बेटे ने, शादी के समय कभी सोचा भी नहीं था कि कुछ ही महीनों में उसके परिवार को यह दिन भी

देखना पड़ेगा।नितिन तो शादी के पहले ही जब मिला था रोमी से तो खुलकर बोला था”देखो रोमी,मेरे घर में दो ही लोग हैं,एक मैं और दूसरी मेरी मां।बचपन में ही पापा चल बसे थे।मां ने बड़ी मुश्किल से घर पर आटा चक्की डाली,किराने की छोटी सी दुकान चलाई मुझे पालने के लिए।मैं भी उनकी मदद करता था,पढ़ाई के साथ-साथ।हम दोनों के ऐसे कोई शौक भी नहीं हैं कि पैसा लुटाएं।अब तुम आ

जाओगी तो यही सोचकर चक्की बंद करवा दिया है।छोटी सी दुकान है, अगर तुम चाहो तो तुम भी मां के साथ दुकान पर बैठ सकती हो।मेरी नौकरी से घर का खर्च अच्छी तरह से चल जाता है।बस मेरी मां ने जो दुख सहें हैं,उनसे अब छुटकारा दिलाना चाहता हूं।रानी की तरह रखना चाहता हूं मां को।तुम भी देखना उनकी बेटी बनकर रहोगी।”

रोमी ज्यादा खुश तो नहीं हुई ,उल्टे मुंह बनाकर बोली”मैं घर में पड़े रहकर बोर हो जाऊंगी।मुझे तो काम करने बाहर जाना पसंद है।”रोमी को समझाते हुए कहा नितिन ने”अरे जब घर पर ही दुकान है,तब बाहर जाने की क्या जरूरत है?”रोमी की मां ने तब बात संभाल ली रोमी को समझाकर।

नितिन की मां ने खुद बहुत गरीबी देखी थी,किसी दूसरी मां को दुखी नहीं देख सकती थीं।सीधे कहा रोमी की मां से”बहन जी हमें दहेज में कुछ नहीं चाहिए।आपकी बेटी जैसा चाहे अपनी जिंदगी जी सकती है।मुझे तो अपने लिए एक बेटी और बेटे के लिए एक दोस्त मिल जाएगी बस।बेटा खिलाने लायक कमा ही लेता है।”

आनन-फानन में शादी तय हुई।अब रोमी से नितिन की बात होना सामान्य था।रोज़ डेट पर जाना,मंहगे कपड़े खरीदवाना,साज श्रृंगार का सामान खरीदने की भी शौकीन थी रोमी। शुरू-शुरू में तो रोमी के प्रति प्यार में डूबे नितिन को यह सब बहुत अच्छा लग रहा था,पर धीरे-धीरे बजट बिगड़ रहा था।मां से

जब कहा तो सीधी -साधी मां ने बेटे को ही डांट पिलाई “क्या रे,नए जमाने की लड़की है।थोड़ा बहुत शौक तो रखेगी ना।तुझे भी अप टू डेट रखा करेगी।हर लड़की के अपने कुछ अरमान होतें हैं शादी के।तू उसका दिल ना तोड़ा कर।”

एक लड़की जो अभी तक बहू भी नहीं बनी थी,उसके लिए मां का लगाव देखकर नितिन ईश्वर को धन्यवाद देता।शादी तय तिथि में ही सम्पन्न हुई।रोमी के पिता भी नहीं थे।नितिन ने ही शादी के अधिकतम खर्च किए,मां के कहने पर।नितिन की मां ने बहू को उपहारों का पिटारा खोल दिया।एक ही तो है,और कौन है जिसके लिए बचाकर रखें।

शादी के कुछ दिनों बाद ही नितिन काम पर जाने लगा।रोमी घंटों फोन पर रील बनाती रहती,या वीडियो या मूवी देखती रहती।सास के कई बार बुलाने पर भी वह जवाब नहीं देती थी।जब नितिन के आने का समय हो,तुरंत तैयार होकर चाय बनाने लगती।नितिन के घर पहुंचते ही हांथ में चाय का कप

जब रखती रोमी,उसका दिल बाग-बाग हो जाता।रोमी की सुंदरता में शादी के बाद और निखार आ चुका था।रोज़ शाम को दोनों घूमने जाते।मां से चलने के लिए कहने पर वह बहाना बनाकर टाल जाती।रोमी से कुछ कहता तो कहती”उम्र हो गई है उनकी,अब कहां यहां-वहां दौड़ती फिरेंगीं।शांति से रहने दीजिए अपने कमरे में।बैठकर आराम से टी वी देखती रहेंगीं।”

नितिन जाता तो था पत्नी के साथ,उसे खुश रखने,पर घर आकर मां की सूनी आंखें देखकर वह उलझ जाता।मां तो कितना चहकती रहती थीं।कहीं भी जाने को कहो,झट तैयार हो जाती थीं।सप्ताह में एक

बार मंदिर तो जाना ही होता था उन्हें।अब क्या हो गया?हर जगह रोमी के साथ जाने के लिए कहतीं हैं।दिमाग काम नहीं करता था उसका।रोमी को भी कभी मां से बुरा बर्ताव करते नहीं देखा था उसने।

आज अचानक कंपनी की तरफ से जल्दी छुट्टी हो गई,किसी बड़े अधिकारी के निधन पर।सोचा ,घर जल्दी जाकर हैरान कर दूंगा सास और बहू को।तुरंत कहीं बाहर घुमाने ले जाऊंगा दोनों को।घर आते समय भी नितिन सावधान रहा।ऐसे घुसा घर में कि किसी को भनक तक नहीं पड़ी।रोमी के कमरे के

दरवाजे से देखा वह तो मोबाइल में व्यस्त थी,बिस्तर पर पड़े।मां का कमरा खाली था।शायद वॉशरूम गईं होंगीं सोचकर जैसे ही दालान में गया नितिन, भौंचक्का रह गया।उसकी मां तो ढेर सारे बर्तन मांज रही थी।कपड़ों का ढेर भी पड़ा था बाजू में। बर्तन निपटाकर जैसे ही रुकी,अंदर से रोमी की आवाज

आई”अब सुस्ताने मत बैठ जाना।कपड़े भी पढ़ें हैं धोने को। अच्छा तो नहीं लगता पर इतनी मंहगाई में नौकर रखना बस में नहीं हमारे।आपका भी हांथ -पैर चलता रहेगा तो बीमार कम पड़ेंगीं।आप अगर बीमार पड़ गईं तो आपका बेटा काम काज छोड़कर पल्लू पकड़ा बैठा रह जाएगा।जल्दी

करिए,निपटाइये।उनके आने के पहले कपड़े बदलकर बिस्तर में लेट जाइये।उन्हें पता ना चले कि यहां क्या होता है।”नितिन के पैरों तले से जमीन खिसक गई।जिस मां को रानी बनाकर रखने का भरसक प्रयास करता रहा रात दिन,उसी मां को पत्नी ने एक काम वाली बाई बना दिया।अरे उनके घुटनों में दर्द की वजह से बैठने में भी दिक्कत होती हैं उन्हें,और इतने बर्तन,कपड़े ये धोती हैं रोज़।

नितिन ने अचानक रोमी के कमरे में जाकर उसका हांथ पकड़कर बाहर लाकर बोला”ये तुमने मेरी मां को कौन सी सजा दी है।अरे ये भली औरत कभी अपनी तकलीफ़ मुझसे ना बताती,अगर मैं आज जल्दी ना आ गया होता।तुम्हारे इस रूप से तो आज मिला हूं मैं।मुझे ऐसी बेहया पत्नी नहीं चाहिए।

निकल जाओ मेरे घर से।”धक्का देकर नितिन ने रोमी को निकालना चाहा तो,रोमी का सर दरवाजे से लगकर कट गया।नितिन की मां यह देख तुरंत डेटॉल लेकर दौड़ी आई बहू के सिर में रूई रखने।गुस्से से तमतमाई हुई रोमी ने सास के हांथ से डेटॉल और रुई फेंक कर कहा”अब मैं जब तक

आपको और आपके बेटे को जेल न पहुंचा दूं,चैन से नहीं रहूंगी।ये मेरे सिर का घाव सबूत बनेगा आप लोगों के ख़िलाफ़।थाने पहुंचकर काफी मनगढ़ंत कहानियां सुनाकर सहानुभूति तो ले ली रोमी ने।साथ ही पुलिस को घर भेज दिया,पति और सास को गिरफ्तार करने।

नितिन को बड़ी शर्मिंदगी महसूस हुई।आज तक यहां सर उठाकर रहते आए थे इतने वर्षों से,आज पुलिस को देखकर लोग मां को जाने क्या-क्या कहेंगे।

पुलिस ने नितिन को गिरफ्तार कर लिया,मां को भी थाने ले जाया गया पूछताछ के लिए।मां की बदहवासी नितिन से देखी नहीं जा रही थी।अचानक बेहोश हो गया वह।डाक्टरी जांच में पता चला कि प्रेशर बहुत बड़ा हुआ है।शुगर लेवल बहुत नीचे है।अस्पताल में भर्ती कराया गया तीन दिन के लिए।

रोमी को अब अपने लगाए सारे आरोपों को सत्य साबित करने का मौका मिल गया।अदालत में जज के सामने झूठे आंसू दिखाकर बोली”, देख लीजिए जज साहब,ऐसे ही बढ़े हुए प्रेशर में कभी भी मार पीट पर उतारू हो जाता है नितिन।मां कुछ कहने आती हैं तो उन्हें भी धक्का दे देता है।पूछ लीजिए इनसे।”

मां बहू के लांछन सुनकर पहले ही अधमरी हो चुकी थी,जज ने जो भी पूछा हां में सिर हिला दिया।अगली सुनवाई की तिथि मिलने तक मां-बेटे को रिहा किया गया था।अदालत से निकलते ही सीढ़ियों पर बैठकर नितिन विक्षिप्त की भांति हंसने लगा।लोग तो उसे सच में पागल ही समझ लेते,यदि उनकी

पड़ोसन दीनदयाल जी की बेटी वहां आकर ना संभालती।शशि नाम था उसका ।वकालत करती थी।नितिन और उसकी मां को इस हालत में देखकर उसका मन कांप गया।पहले नितिन को साइकियाट्रिस्ट के पास ले गई। उन्होंने जांच के लिए भर्ती करने को कहा।”नितिन का केस अब मैं ही लड़ूंगी”ऐसा उसने नितिन की मां से कहा।अपना रजिस्ट्रेशन जज साहब के पास पेश कर अनुमति ले

ली नितिन की तरफ से पैरवी करने की।सुनवाई वाले दिन नितिन की कुछ जांच चल रही थी तो,शशि ने कहा “जांच के बाद नितिन आप सीधे कोर्ट पहुंचे।मैं तब तक मामले को चलवाती हूं।

भरी अदालत में रोमी के मुंह से अपने पति और सास पर लगाए गए जघन्य अपराध शशि सुनती रही।रोमी के खिलाफ भी कुछ गवाह और सुबूत मिले चुके थे उसे।

नितिन को जब बुलाया गया तो उसकी अनुपस्थिति में रोमी ने जज से कहा”देखिए जज साहब नितिन यदि जिम्मेदार होता तो समय पर पहुंचकर मुकदमें को खत्म करता।आपका और कोर्ट का समय बर्बाद नहीं करता।एक नंबर का भगोड़ा है वह।मेरे दहेज का एक भी सामान वापस नहीं किया,ऊपर से मुझे मारपीट कर निकाला है घर से।”

नितिन की जांच समाप्त हो चुकी थी। डॉक्टर अपने साथ रिपोर्ट और नितिन को लेकर कोर्ट पहुंचे।अब शशि अपना पक्ष रखने के लिए तैयार थी।जज के सामने सच बोलने की शपथ लेकर कहा उसने”जज साहब,आज कुछ औरतें नारी की समानता के अधिकार के रूप में पुरुषों को प्रताड़ित करके भी स्वयं बिचारी बनी रहतीं हैं।समाज में ससुराल के प्रति गलत धारणा बनाकर ऐसी औरतें समाज को ही

बदनाम कर रहीं हैं।एक सीधा -साधा आदमी जो बड़ा ही खुशमिजाज हुआ करता था,मुझे पागल के रूप में इसी कोर्ट के बाहर मिला।शरीर के घाव जो खुद भी लगाए जा सकतें हैं,दिखाकर पति पर अमानवीयता का लांक्षन लगाने वाली महिला  क्या यह बता सकती हैं कि एक मां के मन पर कितने अनगिनत प्रहार किए हैं उसने।जिस मां ने दहेज में कुछ ना लेकर उल्टा बहू को उपहारों से लाद

दिया,उस पर दहेज चुराने का आरोप।ये देखिए नितिन जी के घर से मिले सामान की लिस्ट,और इसमें लिखीं सभी चीजें रोमी जी के घर के स्टोर रूम में पड़ा है।एक औरत सिर्फ इसलिए शोषित कहलाए कि पति ने ऊंची आवाज में बात की,या अपनी मां से बुरा बर्ताव करने पर डांटा।तो फिर पत्नी के द्वारा अपनी सास और पति के साथ अनवरत शोषण क्या कहलाएगा।

जज साहब पति को भी जीने का हक है।पुलिस या अदालत का डर दिखाकर, संपत्ति में हिस्सा मांगने में इन्हें शर्म नहीं आती, शर्म आती है अपनी सास को अपनी मां समझने में।”पूरा हॉल तालियों से गूंज रहा था।एक औरत ने जो दूसरी औरत का मुखौटा उतार फेंका था।नितिन हांफता हुआ कह रहा था “जज साहब मैं भगोड़ा नहीं हूं।”

आखिर जज ने नितिन के पक्ष में ही फैसला दिया।झूठे आरोप लगाने व सास व पति को मानसिक प्रताड़ना देने के अपराध में रोमी को कुछ महीनों की सज़ा या जुर्माना लगा।

नितिन की मां ने शशि को गले लगाकर कहा”सांच को आंच नहीं।”

शुभ्रा बैनर्जी 

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